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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Shree Ram कुण्डलिया :- इनकी उनकी सुन यहाँ , हो जाता बदनाम । मन की अपनी सोंच तू , मन में बसते राम ।। मन में बसते राम , वही हैं जग के स्वामी । उनसे छुपा न भेद , वही हैं अन्तर्यामी ।। ज्ञान उन्हें सब आज , बुद्धि है किनकी ठनकी । समय दिखाए खेल , आज उनकी कल इनकी ।। मिटती देखो है नही , कभी भाग्य की रेख । तुम्हें बताऐं आज क्या , महिमा उनकी देख ।। महिमा उनकी देख , सभी का सिर चकराये । जिनके हाथों आज , धाम वह अपने आये । राम लेख ही एक , सदा जीवन में टिकती । यही भक्त औ प्रेम , प्रभु के मन से न मिटती ।। १९/०१/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- इनकी उनकी सुन यहाँ , हो जाता बदनाम । मन की अपनी सोंच तू , मन में बसते राम ।। मन में बसते राम , वही हैं जग के स्वामी ।
Ankur tiwari
जीवन में एक मोड़ पर जब मुझको झटका बड़ा मिला मेरा मन था बहुत उदास और मुंह लटका मेरा मिला ठन गई उस दिन जब दिलों दिमाग़ के बीच में जंग मैं कन्फ्यूज सा बीच में उनके केवल खड़ा मिला दिल कहता कर कुछ भी क्यों तू दुनिया से डरता है कहता दिमाग़ ज़रा संभल जा तू इस दुनियां में रहता है दिल कहता कि रिश्ते नाते प्यार वफा सब जीवन हैं कहता दिमाग़ जब पैसा हैं तो तू ही सबसे निमन है दिल ने कहा कि जा प्यार कर कहता दिमाग खतरा है बड़ा दिल कहता क्यों भयभीत हैं कहता दिमाग तू संभल जरा दिल कहता है तू भी रो ले कहता दिमाग तू लड़का हैं दिल कहता तो क्या दर्द नही कहता दिमाग तू बड़का है दिल और दिमाग के पाटे में पिस गया हूं मैं भी गेहूं सा अंजान समझ न आए कुछ क्या भाग जाऊं मैं मेहुल स ©Ankur tiwari #Dhund जीवन में एक मोड़ पर जब मुझको झटका बड़ा मिला मेरा मन था बहुत उदास और मुंह लटका मेरा मिला ठन गई उस दिन जब दिलों दिमाग़ के बीच में जंग
AJAY NAYAK
हां ना हां ना करते-करते , फिर से हो गये हम तैयार उस चितवन सुन्दरी को पाने को जिसका कर रहे थे हम वर्षों से यहां इन्तजार । बढ़ चले यह सोचकर, कि जो होगा वो होगा अभी तो कम से कम उनसे मिलने के लिए तो चलें। प्यार है शायद फिर से कुछ हो जाये.. धड़क उठा दिल कि उनसे मिलकर क्या बोलेंगे, गया माथा ठनक कि अभी तक तैयार ही नही हुए तभी उनसे मिलने से पहले मित्रों की मदत से एक चिट्ठी किए तैयार, उधर मन भी हो गया तैयार कि हर एक वार का उत्तर देंगे, भले ही वो एक बार फिर से क्यों ना हो जाएँ दूर। प्यार के इसी उधेर बुधेर मे रह गये हम और वे कहा से कहा निकल गए, जब आंख खुली तो सामने एक सीसा नजर आया, उसमे जब देखे तो, सिर्फ और सिर्फ ख़ुद को ही पाया, देखकर इतना ही बोले कि हम इतने भी बुरे नही जितना खुद को अबतलक बुरा समझता आया। प्यार है शायद फिर से कुछ हो जाये.... –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ www.nayaksblog.com ©AJAY NAYAK #sadak हां ना हां ना करते-करते , फिर से हो गये हम तैयार उस चितवन सुन्दरी को पाने को जिसका कर रहे थे हम वर्षों से यहां इन्तजार । बढ़ चले य
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- बच्चों का यह खेल , खींच लाता है बचपन । देख इन्हें अब आज , याद आता वह जीवन ।। बच्चों का यह खेल ... वह लम्बा परिवार , और छोटा सा भीतर । लड़ते हम सब संग , जैसे बाज औ तीतर ।। हो जाएँ जब तंग , छुपे फिर माँ के आँचल । छोटी सी हो बात , मगर हो जाती अनबन ।। बच्चों का यह खेल ...। आज नही है पास , हमारे दिन वह सुंदर । आते घर जब घूम , बने रहते थे बन्दर ।। बापू देते डाट , मातु से होती ठन-ठन । यह बालक नादान , अभी हैं ये कोमल मन । बच्चों का यह खेल ...। खेलों में ही बीत , सदा जाता था वह दिन । कभी नही थी सोच , काल क्या हो किसके बिन ।। बस इतना था याद , यही होगा नवजीवन । छू कर माँ के पाँव , सदा करता जो वंदन ।। बच्चों का यह खेल , खींच लाता है बचपन । देख इन्हें अब आज , याद आता वह जीवन ।। ०६/१०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- बच्चों का यह खेल , खींच लाता है बचपन । देख इन्हें अब आज , याद आता वह जीवन ।। बच्चों का यह खेल ...
ashish gupta
बड़ी शिद्दत से मिले हो रुक कर जाना मुझे गीले है तुमसे जरा रुक कर जाना आप की तलाश में चप्पल भी घीस गए पैर में छाले पड़ गए जरा रूक पर जाना बाग में देखो है तितलियां और भौरे फूल खिले हैं जरा रूक कर जाना हूं तेरे ही वास्ते आया बन ठन के कपड़े अभी सिले हैं जरा रुक कर जाना ©ashish gupta #tereliye बड़ी शिद्दत से मिले हो रुक कर जाना मुझे गीले है तुमसे जरा रुक कर जाना आप की तलाश में चप्पल भी घीस गए पैर में छाले पड़ गए जरा रूक
जनकवि शंकर पाल( बुन्देली)
जनकवि शंकर पाल( बुन्देली)
Dr Parmod Sharma Prem
#poetry Month दुआ बद्दुआ ़ बन न जाए कहीं। किस्मत से ही ठन न जाये कहीं। डा० प्रमोद शर्मा प्रेम नजीबाबाद बिजनौर ©Dr Parmod Sharma Prem #ddlj # #poetry Month दुआ बद्दुआ ़ बन न जाए कहीं। किस्मत से ही ठन न जाये कहीं। डा० प्रमोद शर्मा प्रेम नजीबाबाद बिजनौर
अनिता कुमावत
आ धरती धोरा री वीर - वीरांगणा री शान पृथ्वी राज , राणा प्रताप, राणा सांगा जस्या वीरां री आ धरती पन्नाधाय, हाडा राणी, राणी पद्मिनी रे बलिदान सूं रंगी आ धरती मीरां सी दासी, करमा सी भगतन बस अठे रेत रां धोरा सूं लेर झीलां री नगरी अठे आपणां पराया रो राखां माण मेहमान नवाजी देखण खातर पधारो म्हारे राजस्थान ...!!! वीर सपूतां रे बलिदान री धरती म्हारे राजस्थान री होवे साका रणभूमि माय ज्वाला जौहर स्वाभिमान री गढ़, किलां , महल, हवेलियाँ सुणावे गाथा सांस्क