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SHAYARI BOOKS
🔹नयी सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात! बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात!! 🔹अब तो अपना खून भी, करने लगा कमाल! बोझ समझ माँ-बाप को, घर से रहा निकाल!! 🔹पानी आँखों का मरा, मरी शर्म औ लाज! कहे बहू अब सास से, घर में मेरा राज!! 🔹भाई भी करता नहीं, भाई पर विश्वास! बहन पराई हो गयी, साली खासमखास!! 🔹मंदिर में पूजा करें, घर में करें कलेश! बापू तो बोझा लगे, पत्थर लगे गणेश!! 🔹बचे कहाँ अब शेष हैं, दया, धरम, ईमान! पत्थर के भगवान हैं, पत्थर दिल इंसान!! 🔹पत्थर के भगवान को, लगते छप्पन भोग! मर जाते फुटपाथ पर, भूखे, प्यासे लोग!! 🔹फैला है पाखंड का, अन्धकार सब ओर! पापी करते जागरण, मचा-मचा कर शोर! 🔹पहन मुखौटा धरम का, करते दिन भर पाप! भंडारे करते फिरें, घर में भूखा बाप! #NojotoQuote 🔹नयी सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात! बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात!! 🔹अब तो अपना खून भी, करने लगा कमाल! बोझ समझ माँ-बाप को,
🔹नयी सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात! बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात!! 🔹अब तो अपना खून भी, करने लगा कमाल! बोझ समझ माँ-बाप को,
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अब तो पत्थर भी बचने लगे है मुझसे, केहते है अब तो ठोकर खाना छोड़ दे. अब तो पत्थर भी बचने लगे है मुझ से,,,
अब तो पत्थर भी बचने लगे है मुझ से,,,
read moreSunita Bishnolia
सकल सृष्टि माँ-तात है, गणपति दीनों ज्ञान अंतर में भगवन बसे,सब कर लीजो ध्यान।१। विघ्न धरा से तुम हरो,गौरी-पुत्र गणेश। तम काटो अज्ञान के,रहे न भगवन लेश।२। प्रथमपूज्य गणदेवता,करो जगत उद्धार। मानस मन से त्याग दे,घृणित तुच्छ विचार।३। #सुनीता बिश्नोलिया© #जय गणेश #जय गणेश
Mohan Somalkar
नमन प्रतिभा कलेची असते एक निसर्गदत्त देणगी लिखाणाची मग मनात पेटते ठिणगी..! शांत बसु देत नाही लेखणी मनातील भाव प्रगट होतात आपोआप मग ते कागदावर हळुच उमटतात! दु:ख असो वा वेदना सुख असो वा आनंद लेखणीतुन व्यक्त झाले की मनाला मिळतो स्वानंद! प्रतिभा अशीच तुमची बहरु द्या जिथेतिथे शब्दरुपी पाखरे साहित्याचे आकाश करतील पालथे! मोहन सोमलकर ©Mohan Somalkar #गणेश
Mamta kumari
हे गौरी सूत गणेश हे शिव पुत्र गणेश विनती बारम बार करते हम, दूर करो हमारे घर के कलेश । गणेश ।
गणेश । #poem
read moreDiwan G
हे गणेश गणपति गजानन मेरी पूजा तुझको अर्पण हे लंबोदर, हे विघ्नहर्ता, दुख मेरे तू, क्यों नहीं हर्ता। करता हूँ मैं तेरा स्मरण, मेरा सब तुम्हीं को अर्पण। ध्यान तेरा नित मैं करता, तू ना रूठे हित मैं करता। मैं ध्याऊँगा,तू आयेगा, मैं आस लगाए रहता हूँ। हे गजानन, गौरीनंदन, करता हूँ तुझको समर्पण। मेरी पूजा तुझको अर्पण।। Diwan G #गणेश
सुकून
चुपक से आना सबकी झोली भरकर देना ओ शिव गौरी के लल्ला खुशियों वाली भूल न जाना बना के अपना दीवाना सबकी बिगड़ी बस तू सुन जाना जय श्री गणेश ©सुकून #गणेश #