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Anand Dadhich

'मरघट'
हरकत करके होशियार रहिये,
मरघट जाने को तैयार रहिये,
जमाना बचाने नहीं आएगा..,
अपनेआप ही खबरदार रहिये!

झूठ के वज़न को उतार रहिये,
घृणा की सोच से पार रहिये,
संसार समझाने नहीं आएगा..,
अपनेआप ही जिम्मेदार रहिये!
     हरकत करके होशियार रहिये,
     मरघट जाने को तैयार रहिये!

चरित्र में खुद एक सुविचार रहिये,
सेवाभाव से लिप्त अपार रहिये,
ये जगत बताने नहीं आएगा..
अपनेआप ही असरदार रहिये !
     हरकत करके होशियार रहिये,
     मरघट जाने को तैयार रहिये!

नित शांति के पालनहार रहिये,
सच्चे आनंद के सूत्रधार रहिये,
संसार सिखाने नहीं आएगा..,
अपनेआप ही चमकदार रहिये!
     हरकत करके होशियार रहिये,
     मरघट जाने को तैयार रहिये!

डॉ आनंद दाधीच "दधीचि"

©Anand Dadhich #मरघट #geet #kaviananddadhich #poetananddadhich #Hindi #poetsofindia #ghat

Rakesh frnds4ever

#WoRasta जाने कौन सा #वोरास्ता होगा जिस पर #चलकर रूह को सकून मिलेगा #जीवनडगर के विभिन्न #पड़ावों में कहीं ना ऐसा #मुकाम आया है , जहां #ज़िन्दगी #सुकून #पथ #मरघट #rakeshfrnds4ever

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- नेह विलुप्त मुझे अब दिखता , देखो चारों ओर । डरकर रहते रिश्ते सारे , लिए स्वार्थ की डोर ।। नेह विलुप्त मुझे अब दिखता ... मातु-पिता का #कविता

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गीत :-
नेह विलुप्त मुझे अब दिखता , देखो चारों ओर ।
डरकर रहते रिश्ते सारे , लिए स्वार्थ की डोर ।।
नेह विलुप्त मुझे अब दिखता ...

मातु-पिता का प्रेम अनूठा , कल तक जिस संसार ।
वंश प्रेम में अब वह खोकर , भूले सब संस्कार ।।
अब तो डरते मातु-पिता हैं , देख तनय के कोर ।
नेह विलुप्त मुझे अब दिखता...

भेदभाव की गठरी बाँधी , औ सिकहर दी टाँग ।
आज वही डसते हैं देखो , बनके काले नाग ।।
इस जग का रखवाला लगता , छोड़े बैठा छोर ।
नेह विलुप्त मुझे अब दिखता...

दुनिया के इस मेले में सब , बैठे है कंगाल ।
दीदी जीजा साला साली , की अब बने मिसाल ।।
बाकी रिश्तों में तो दिखता , छाया कलयुग घोर ।
नेह विलुप्त मुझे अब दिखता ..

दादी नानी काकी मौसी , की किसको परवाह ।
नहीं किसी को भी रिश्तों में , दिखती थोड़ी चाह ।।
मरघट तक है सूना-सूना , है माया का जोर ।
नेह विलुप्त मुझे अब दिखता ...

नेह विलुप्त मुझे अब दिखता , देखो चारों ओर ।
डर कर रहते रिश्ते सारे ,लिए स्वार्थ की डोर ।।

२२/०८/२०२३      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-
नेह विलुप्त मुझे अब दिखता , देखो चारों ओर ।
डरकर रहते रिश्ते सारे , लिए स्वार्थ की डोर ।।
नेह विलुप्त मुझे अब दिखता ...

मातु-पिता का

Ayesha Aarya Singh

#talaash #मरघट में भी कुंठित होते #nojotohindi #jivan #Ayesha shayari #alfaj #Khyaal Sethi Ji R K Mishra " सूर्य " R Ojha SIDDHARTH.SHEND

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vs dixit

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Ravindra Singh

मरघट #Poetry

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Ravindra Singh

मरघट मैं जब भी गुजरता हूँ , किसी मरघट से होते हुए । मर जाता है मेरा ग़ुरूर , जाग जाता है ज़मीर मेरा, सोते हुए । #Poetry

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Ravindra Singh

मरघट मैं जब भी गुजरता हूँ , किसी मरघट से होते हुए । मर जाता है मेरा ग़ुरूर , जाग जाता है ज़मीर मेरा, सोते हुए । #Poetry

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मरघट 

मैं जब भी गुजरता हूँ ,
किसी मरघट से होते हुए ।

मर जाता है मेरा ग़ुरूर ,
जाग जाता है ज़मीर मेरा, सोते हुए ।

मुझे मेरी औक़ात का पता चलता है ,
मैं भूल जाता हूँ मेरी जाति, मेरा मज़हब।

जब देख राख एक इंसान की ,
सोचता हूँ मैं भी यही हूँ , मर जाऊँगा जब ।

मैं हँसता हूँ ठहाके लगा कर ,
फिर हो शांत, मैं चिंतित हो जाता हूँ ,

देखता हूँ आसमान की तरफ़ ,
न दुखाऊँ दिल किसी का , भोले से उम्मीद लगाता हूँ ।

हे मेरे महाकाल ,मुझ पर इतनी दया रखना ,
मैं आऊँ तुम्हारे पास इंसानियत के बीज बोते हुए ।

मैं जब भी गुजरता हूँ…

©Ravindra Singh मरघट 

मैं जब भी गुजरता हूँ ,
किसी मरघट से होते हुए ।

मर जाता है मेरा ग़ुरूर ,
जाग जाता है ज़मीर मेरा, सोते हुए ।

Mayank Sharma

ये वाला वैसे 500वां होगा 🙏 पूरी कविता नीचे पढ़ें 👇 पिंजरे का सौदागर पिंजरे में कैद है! कल के बेफ़िक्रे, आज हर कदम मुस्तैद है! #Introspection #yqbaba #yqdidi #yqquotes #Malang #covid19 #500thquote

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इससे मिलूँ, उससे मिलूँ 
ये चाव खो रहा अब! 
देख, रुक गई जिंदगी
सारा गाँव सो रहा अब!
 ये वाला वैसे 500वां होगा 🙏 
पूरी कविता नीचे पढ़ें
👇

पिंजरे का सौदागर 
पिंजरे में कैद है! 
कल के बेफ़िक्रे, आज 
हर कदम मुस्तैद है!

Ashok Mangal

जंग से हासिल क्या होगा जीत से हासिल क्या होगा विध्वंस ही होगा चहुँ ओर विनाश से हासिल क्या होगा धरती कांप उठेगी प्यारी सृष्टि मिट जायेगी #YourQuoteAndMine

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बिगड़े दिमाग़ की 
परेशानी है जंग,
गुरूर की बदनुमा 
शैतानी है जंग !
शख्स के अहम की 
मनमानी है जंग ,
इंसानियत खोने की 
निशानी है जंग !! जंग से हासिल क्या होगा
जीत से हासिल क्या होगा 
विध्वंस ही होगा चहुँ ओर 
विनाश से हासिल क्या होगा 
धरती कांप उठेगी प्यारी 
सृष्टि मिट जायेगी
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