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Stories related to गुटर गुटर

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Jack Sparrow

कागज़ और कलम गुटरगूँ कर रहे थे । ये दिलकश नज़्म उन्ही की पैदाइश है ।।

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कागज़ और कलम गुटरगूँ कर रहे थे ।
ये दिलकश नज़्म उन्ही की पैदाइश है ।। कागज़ और कलम गुटरगूँ कर रहे थे ।
ये दिलकश नज़्म उन्ही की पैदाइश है ।।

संDEeP

Daddy जी कुडी़ लभ देयो नी नी पूत सोडा हो गिया वडा वे चित डिग दे वे देर नी लगणी कीथे हुस्न गली चे खा जावे ना ठडा वे मेरे नाल दे पतन्दर सारे

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 Daddy जी कुडी़ लभ देयो नी
नी पूत सोडा हो गिया वडा वे
चित डिग दे वे देर नी लगणी
कीथे हुस्न गली चे खा जावे ना ठडा वे

मेरे नाल दे पतन्दर सारे

Shweta Rajak

मैं बैठी पेड़ की छाँव में सुन रही एक सुंदर सी ध्वनि को, सुन रही आवाज़ मैं उनके अज्ञात अल्फाजों को, उनकी गुटर गूँ करती आवाज में महसूस कर र #poem

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काव्य पथिक

-Deep_Thinker ♥ मैं बैठी पेड़ की छाँव में 
सुन रही एक सुंदर सी ध्वनि को,
सुन रही आवाज़ मैं 
उनके अज्ञात अल्फाजों को,
उनकी गुटर गूँ करती आवाज में 
महसूस कर र

Abhishek 'रैबारि' Gairola

पल भर की कविता कबूतर खड़ी है छज्जे पे कहीं। चुपचाप, शांत, खामोश अभी, न गुटरगूं, न मटर- गटर, सीधी... देख रही है दूर कहीं, समझ नहीं आता है #Poetry #poem #writing #writer #शायरी #nojohindi

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कबूतर खड़ी है छज्जे पे कहीं।
 चुपचाप, शांत, खामोश अभी, 
न गुटरगूं, न मटर- गटर, 
सीधी... देख रही है दूर कहीं, 
समझ नहीं आता है पर कहाँ कहीं, 
क्यूँ की सामने हैं घनेरे पेड़ कई। 
क़लम निकाल के लिख तो लूँ ज़रा 
इसकी यह दुविधा ही सही, 
कम्बख़्त कॉपी ले कर झट से आया जब, 
फट से उड़ चली गगन में, 
फड़फड़ाती, सरसराती, ससुरी, 
अब ख़ाली लव्ज़ हैं जो एक याद पे निर्भर हैं, 
नतीजों से परे ये पल भर की कविता यही।

©Abhishek 'रैबारि' Gairola पल भर की कविता

कबूतर खड़ी है छज्जे पे कहीं।
चुपचाप, शांत, खामोश अभी, 
न गुटरगूं, न मटर- गटर, 
सीधी... देख रही है दूर कहीं, 
समझ नहीं आता है

Devesh Dixit

#किवाड़ों_से_झाँकती_रौशनी #nojotohindi किवाड़ों से झाँकती रौशनी एक जगह थी जो सुनसान, दिखा वहीं पर घर अनजान। घर के आगे खुला इलाका, दिखता था #Poetry #Vaghela

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Devesh Dixit

#किवाड़ों_से_झाँकती_रौशनी #nojotohindi #nojotohindipoetry किवाड़ों से झाँकती रौशनी एक जगह थी जो सुनसान, दिखा वहीं पर घर अनजान। घर के आगे खु #Poetry #sandiprohila

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Amit Mishra

शीर्षक पढ़ के excited मत हो जाइये थोड़ी अटपटी सी है इसलिए attraction के लिए माल की packing अच्छे से की है या यूँ कहें customer बुलाने के लिये

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चटपटी सी प्रेम कहानी
चटखारे लेके है सुनानी

पढ़ें अनुशीर्षक में
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 शीर्षक पढ़ के excited मत हो जाइये थोड़ी अटपटी सी है इसलिए attraction के लिए माल की packing अच्छे से की है या यूँ कहें customer बुलाने के लिये

Prakashvaani پرکاشوانی

शाम 6 बजे का वक़्त, ढलते सूरज की गर्मी और ठंढी हवाओं के बीच हो रही लड़ाइयों का आनंद लेता हुआ मैं पास के एक पार्क की तरफ टहलने का मन बना रहा था #prakashvaani

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आजादी की शर्त... शाम 6 बजे का वक़्त, ढलते सूरज की गर्मी और ठंढी हवाओं के बीच हो रही लड़ाइयों का आनंद लेता हुआ मैं पास के एक पार्क की तरफ टहलने का मन बना रहा था
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