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Dileep Bhope
इथले राक्षस सारे तुझ्या उदरात सैतानांचा वावर जागजागी घुसलेला आता तूच सांग लोकशाही तुझे मंदिर म्हणू तरी कशाला..? ©Dileep Bhope #लोकशाही
milind sarkate
॥ लोकशाही ॥ जाती-धर्माच्या वादात लोकशाही बेशुद्ध झालीय.. स्वातंत्र्य, समतेचे मुल्य सर्रार विकत आलीय.. धर्माच्या भिंती ही रोखतात समतेची वाट.. जातीयतेच्या ठिणग्याने पेटवला जातोय थंड समाज सत्तेसाठीच चढवला जातोय देशभक्तीचा साज.. रिकामं पोट असणार्यांचा नशेत वाढवला जातोय माज.. हत्याकांडाच्या मालिका ही आता रूक्ष झाल्यात .. कारण बातम्या देणार्याच्या कलमाच गुलाम झाल्यात.. अन्यायाचा विद्रोह कधीच मंद झालाय गुलाम मतदारामुळे "लोकशाहीचा" बेशुद्धीतच जीव गेलाय.. - सरकटे मिलिंद मुरलीधर 9307240658 #indian constitution # लोकशाही
MADHUKAR BILGE
😢लोकतंत्र का कत्ल-ए-आम😪 आज लोकतंत्र का कत्ल-ए-आम कर दिया गया। लोकतंत्र ने घूँट घूँट कर अपने जान छोड़ दी.... इस पूर्ण वारदात का चश्मदित गवाहों में से शामिल मैं भी एक शक्श हूँ....! मतदारों ने अपने वोट की नीलामी कर दी।किसी ने शराब, किसी ने मांस तो किसी ने कागज के पन्नो के ख़ातिर अपने वोट को बेच दिया।घर से निकलते वक्त अपनी दरिद्री, गरीबी, बेरोजगारी,और घर के अंधेरो को झूटी तसल्ली यह देकर मतदार निकला था कि,मैं जाऊँगा और समृद्धि,विकास,प्रगति,रौशनी, और अपने उज्वल भविष्य को मिलूँगा और उन्हें सही सलामत अपना वोट सोप दूँगा। मगर रास्ते मे उसने अपना वोट सत्ता के भूखे दलालो को बेच दीया और पूरे 5 सालों के लिए उसने अपने घर की दहलीज को फिर एक बार विकास और प्रगति के दीदार के लिए प्यास छोड़ दिया..। यह सब देखकर विकास और प्रगति यह दोनों भाई बहन ख़फ़ा होकर मायूस होकर वापिस लौट गए... एक 5 साल का लंबा इंतजार देश की आँखों मे छोड़कर...... आखिर अपने बच्चो से बिछड़कर कौन सी माँ सुकून से रह पायेगी, और इसलिए लोकतंत्र ने अपने दोनों बच्चों- विकास और प्रगति के दीदार के खातिर अपने प्राण त्याग दिए....वो भी घूँट घूँट कर.! और तमाशा देखने वाले मतदारों ने लोकतंत्र के जनाजे को कंधा देना भी लाजमी नही समजा... और वो देगे भी क्यो.. आखिर लोकतंत्र उनकी लगती कौन है.. लाश को वैसे ही लावारीश छोड़ दिया... और लोकतंत्र के वो दो बच्चे-विकास और प्रगति उनको खबर तक नही....... पता नही जब खबर होगी तब उनके आंखों में से कितने समंदर बहेंगे.....! और न जाने कबतक ए लोकतंत्र की लाश आबाद फिजा में ऐसेही सड़ती रहेंगी। लोकतंत्र का इस तरह से घूँट घूँट कर मरना मैं लोकतंत्र का कत्ल समझता हूँ... जिसके क़ातिल वो सब मतदार हैं जो बिके हुए है....चंग कागज के टुकड़ों के ख़ातिर...! -article by- बिलगेसाहब(MADhukar Bilge) लोकशाही का कत्ल ए आम#बिलगेसाहब
Devyani Chugadia
हर नेता ने बहुत नचाया, मतदान के समय भिखारी बन आया.. उसका हर रूप मेरे पे छाया, भूल के भी ना भुला पाया.. हर अखबार में अपना काम छपाया, Nota का विकल्प अपने लिए ही तो आया.. कमल, पंजे ने चाहे तुझे कितना भी शक्तिशाली बनाया, मेरे एक मत ने तुझे पूरा...पूरा हीला डाला.. #लोकशाही #lokshahiekparv #election2019 #firstvote #pleasevote #yqbaba #yqdidi #yqhindi
Kumar Kartik Poetry
Arun Vighne
Ravi S. Singh 'चंचल'(Hindian)
जबसे बाहर पढ़ने/कमाने को जाना हुआ ख़ुद का ही घर मुसाफ़िर खाना हुआ जिस गांव की गलियां पांव तले चलती थीं आज वही गांव क्यूं हमसे बेगाना हुआ। पूरे दिन गांव में सबका घर नाप आते थे आज सगे भाई का घर भी बेगाना हुआ। बचपन की होली में गांव भर को रंग लगाते थे आज की होली में मन मसोस रह जाना हुआ। जबसे लकीरें खींच गईं हैं दिलों के बीच में तबसे ख़ुद में ही मेरा खो जाना हुआ। कहानियां बड़ों से सुनते थे हर शाम को आज सबका अलग ही फ़साना हुआ।✍️ "चंचल" #Life #दिन #वो दिन
Haider Ali Khan
वो 🏙️दिन नही..वो 🌌रात रात नही !! वो पल 😳पल नही जिस पल 👸आपकी बात नही !! 👸आपकी 🤔यादो से मौत हमे अलग नही कर सके !! 👹मौत की भी इतनी औकात नही !! ©Haider Ali Khan वो दिन दिन नही