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Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).
Blue Moon हमारा जुर्म इतना है, हमारी फितरत में वफादारी है, दौर तो उन्हीं का है, जिनके लहू में गद्दारी है। ©Krishna Deo Prasad. ( Advocate ). #bluemoon #हमारा जुर्म इतना है, हमारी Give फितरत में वफादारी है, दौर तो उन्हीं का है, जिनके लहू में गद्दारी है।
Saani
साथ गुज़रा हर एक लम्हा,मेरे रूबरू आ गया। तेरी ज़ुल्फों की जब बरमला, ख़ुशबू आ गया।। तर था, चश्म तेरी दीद ए हसरत, की ख़ातिर। आज फिर अश्क़ बनकर, मेरा लहू आ गया।। (Saani) ©Saani आज़ फिर अश्क़ बनकर, मेरा लहू आ गया। #Nojotonews #Love #Shayari #Poem
Sarfaraj idrishi
"ये सच है कि हमने किसी पे भरोसा नहीं किया, मगर ये भी सच है,किसी से धोखा नहीं किया, अपने लहू से सींच कर,जलाये हैं सब चराग, जुगनू पकड़कर हमने कभी उजाला नहीं किया।".... ©Sarfaraj idrishi #writer "ये सच है कि हमने किसी पे भरोसा नहीं किया, मगर ये भी सच है,किसी से धोखा नहीं किया, अपने लहू से सींच कर,जलाये हैं सब चराग, जुगनू पकड़
RV Chittrangad Mishra
अमरगढ़ की अमर गाथा चित्रांगद की कलम से खून से लतपथ ये है इतिहास अपने अमरगढ का, जिनको वर्णित करने में हर शब्द मेरे रो दिये है | है नमन उन वीरों को जो खून से सींचे अमरगढ़, और अमरगढ को अमर करने में खुद को खो दिये है | सन अट्ठारह सौ अट्ठावन तारीख अट्ठारह नवंबर, की बताने जा रहा हूं आंसू में डूबी कहानी | अंग्रेजों और देश के दीवानों का वो युद्ध भीषण, वीरों के लहू के रंग मे थी रंगी राप्ती की पानी | क्रूर अंग्रेजों ने जब बर्बरता से कहर ढाई, खौल उठा खून वीरों के हृदय का हिंदुस्तानी | बांध माथे पर कफन सेना फिर बल्लाराव जी की, बढ़ चली आगे छुड़ाने गोरों से अपनी गुलामी | जान का परवाह ना कर लड़ रहे थे वीर सैनिक, अंग्रेजों की गोलियों से आज इनका सामना था | हम जिएं या ना जिएं परवाह ना इस बात की थी, देश हो आजाद हर इक जुबां पर ये कामना था | देखना मुमकिन ही नही सोंचना भी जिसको मुश्किल, ऐसे हादसों सबने सीने से लगा लिया | हाथ को भी हाथ ना दिखाई दे वो अंधियारा, ऐसे में हाथों ने हथियारों को उठा लिया | घाट उतारा मौत के ग्रैफोर्ड कमाण्डर को वीरों ने, कब्र इसकी अमरगढ में आज भी इसकी निशां है | कर्नल कॉक्स और रोक्राफ्ट फिर सेना लेकर घेर लिया, सैनिकों को गोरों की बढ़ा गोलियों से सामना है | लड़ते लड़ते सैनिकों की सांस अब रूकने लगी थी, हाय रे क्या दृश्य होगा हो गया पतझड़ अमरगढ | देश के अस्सी दिवाने जान का बलिदान देकर, अमरगढ़ के नाम पर वो कर दिये खुद को समर्पण | जो बचे थे वीर कूदे जां बचाने राप्ती में, देख उनके काले बालों को गोरों ने मारी गोली | दे दिया वीरों ने अंतिम सांस भी इस अमरगढ को, देश की आजादी खातिर खून से खेले थे होली | है नमन उन मांओ को जिन आंचल में ना लाल लौटा, रह गया आंचल सिमट उस आंचल को शतशत नमन है | है नमन उस प्रेयसी को अपना जो सिंदूर खोई, ऐसी सूनी मांग को भी मेरा ये शतशत नमन है | नमन है उन बहन बेटियो को कि जिसने प्यार खोई, ऐसी राखी और लोरी रहित जीवन को नमन है | है नमन उनको कि जिनसे शौर्य है इस अमरगढ का, और अमरगढ को अमर करने में खुद को खो दिये है | है नमन उन वीरों को जो खून से सींचे अमरगढ़ और अमरगढ को अमर करने में खुद को खो दिये है | ©RV Chittrangad Mishra अमरगढ़ की अमर गाथा चित्रांगद की कलम से खून से लतपथ
KRISHNA KR SAGAR
गूंजता रहेगा सदियो तक एक ऐसा अंजाम लिख देंगे, लहू के हर एक कतरे से जय श्री राम लिख देंगे ©KRISHNA KR SAGAR #snowmountain गूंजता रहेगा सदियो तक एक ऐसा अंजाम लिख देंगे, लहू के हर एक कतरे से जय श्री राम लिख देंगे
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
बात से बात की गहराई चली जाती है झूठ आ जाए तो सच्चाई चली जाती है। रात भर जागते रहने का अमल ठीक नहीं चाँद के इश्क़ में बीनाई चली जाती है। मैंने इस शहर को देखा भी नहीं जी भर के और तबीयत है कि घबराई चली जाती है। कुछ दिनों के लिए मंज़र से अगर हट जाओ ज़िंदगी भर की शनासाई चली जाती है। प्यार के गीत हवाओं में सुने जाते हैं दफ़ बजाती हुई रूस्वाई चली जाती है। छप से गिरती है कोई चीज़ रूके पानी में दूर तक फटती हुई काई चली जाती है। मस्त करती है मुझे अपने लहू की खुश्बू ज़ख़्म सब खोल के पुरवाई चली जाती है। दर-ओ दीवार पे चेहरे से उभर आते हैं जिस्म बनती हुई तन्हाई चली जाती है।। ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS #Exploration बात से बात की गहराई चली जाती है झूठ आ जाए तो सच्चाई चली जाती है। रात भर जागते रहने का अमल ठीक नहीं चाँद के इश्क़ में बीनाई चल
Ranjeet Suman
Ranjeet suman ©Ranjeet Suman गर्दने कटाकर अपने लहू से बुझाया जिनकी प्यास को हमने, गला सूखा हमारा तो उनके समंदर खारे हो गए
Anil Ray
हसीं मोहब्बत के लिए कुछ अरमान थे सोचा इकरार प्यार का आज फूल दूंगा उसको.. देख रूबरू मेरी उस हसीं मोहब्बत को फूल के सामने हसीं फूल अब फूल दूं किसको.. मोहब्बत से खूबसूरत इज्जत व खुशी भूल जिस्म रूह से मिलन अमर कर दूं प्रेम को.. इबादत में जैसे खुदा मिल गया है मुझे झुकाकर सिर अपना रब माना है यारों उसको.. ©Anil Ray 💞🌷जिस्म रूह से मिल गया🌷💞 हँसना-मुस्कुराना लबों का गुनगुनाना बिन मोबाइल ही तुझसे बात करना.. देखकर मुझे दोस्तों! ने पूछ ही लिया अनिल! क्या त
Sushma