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Poonam Suyal
मेरे दोस्त मेरे दोस्त जानते हैं, वक्त के साथ चलना, बाग़ में फूलों की तरह, मुस्कुराते हैं। संग रंग-बिरंगे पलों के, सपनों को हैं सजाते, बादलों की छांव में, ख्वाबों को ढालते हैं। जीवन की उलझनों में, सदा देते हैं सहारा, चंदनी रातों में, चाँदनी से मिलाते हैं। (अनुशीर्षक में पढ़ें) ©Poonam Suyal मेरे दोस्त मेरे दोस्त जानते हैं, वक्त के साथ चलना, बाग़ में फूलों की तरह, मुस्कुराते हैं। संग रंग-बिरंगे पलों के, सपनों को हैं सजाते, ब
Kulbhushan Arora
........पीड़ा की पीड़ा..... पीड़ा ने मुस्करा कर देखा, डबडबाई आंखों से पूछा, कितनी सहजता से मुझे, शब्दों में तुम बहा देते हो, और कविता बना देते हो, मेरे घावों को देख कर भी, शाब्दिक मरहम लगा देते हो, किसी दिन बैठो न मेरे साथ, कुछ अंतरंग बातें हो जाएं शब्दों की आड़ में जो तुम अक्सर तुम छिपा लेते हो।। ........पीड़ा की पीड़ा..... पीड़ा ने मुस्करा कर देखा, डबडबाई आंखों से पूछा, कितनी सहजता से मुझे, शब्दों में तुम बहा देते हो, और कविता बना दे
Prashant Mishra
मेंहदी से अपने पाँवों को भर दीजिये प्रेम से इन निगाहों को भर दीजिये मान लूँगा कि आप 'डॉक्टर' हैं बड़ी बस मेरे दिल के घावों को भर दीजिये --प्रशान्त मिश्रा मेरे दिल के घावों को भर दीजिये
Ashish Kanchan
वो माँ वो माँ कुछ गंदे, थोड़े फ़टे कपड़ों में, अधढका बदन लिए हुए वो माँ, कुछ इस तरह बुझे चूल्हे में, सिसकते अंगारों को देखती है तन्हा। के अपने आप ही
Shree
, सुनती जाना इस बार, वक्त मिले तो जवाब सोचना ज़रूर, अबकी आने से पहले। अनुशीर्षक एक बात बताओ, यूं ही जब तुम दबे पांव आकर चेहरे पर मुस्कान लिए जो दस्तक दे जाती हो, क्या जानती हो तुम्हारे जाने के बाद क्या बचता है यहां? यह
Shree
दिखे ना कोई उद्गम, ना विराम! अनुशीर्षक प्रेम .... प्रेम के कई प्रारूप होते हैं, कई चरण होते हैं, ऐसा कहते हैं। पर, जब चरम आता है, प्रेम का तो ना कोई रूप, ना कोई चरण, ना आंसू, ना म
Vandana
,,,, ए दिल दफन रख जलते जज्बात मत सुना हुबक कर कोई भी बात रोक ले सिसक, अश्क वो दर्द का सब्र कर, दबा ये शोर धड़कनों का रहम दे, बाकी रख थमती ये सां
Poonam Suyal
नकाब (अनुशीर्षक में पढ़ें) नकाब चेहरे पर अपने हम नकाब चढ़ा लेते हैं, यूँ हम अपने ग़मों को छुपा लेते हैं आँखों में नमी होती है और लबों पर मुस्कान, अपनी तकलीफ़ को हम अ
marmalade ツ
ये कविताएँ आयेंगी ( अनुशीर्षक में) ~प्रगति ऐ हीर मेरी जिन आँखों में कभी सुबह की सुनहरी लाली थी, उन आँखों में आँसू देख तो आज किरणें भी वापस लौट गईं। चाँद तो फिर भी गुम हो जाता है, तुम
... मोलिका
चलो तुम्हे माफ किया... तरसती है आंखे तेरे दीदार के लिए ताउम्र के लिए तुझे खोने का दर्द छिपाए बैठे है..! चलो तुम्हे माफ किया... तुम कहते हो, कि मैंने सच छिपाया पर क्या कभी तुम समझ पाए उस सच के पीछे की मेरी पीड़ा, जो मेरे दिल पे जाने कितने घ