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RavindraSingh Shahoo
पराधीनता पराधीनता चाहे किसी वजह से हो वास्तव में मानसिक कमजोरी है जिंदगी में सही समय पर सही मार्गदर्शन मिल पाना बेहद जरूरी है बीता हुआ समय कभी लौटकर नही आता ये सच हर कोई समझ नही पाता जो पराधीन होकर रहते हैं बाद में अकेलापन महसूस करते हैं इस लिए समय रहते गलत राह छोड़ो और पराधीनता की बेड़ियाँ तोड़ो जिंदगी में स्वतंत्र सोच निहायत जरूरी है वर्ना आगे चलकर पछतावा मजबूरी है! द्वारा:-RNS. #पराधीनता
DR. SANJU TRIPATHI
समाज की कुरीतियों और कुप्रथाओं की बेड़ियों को तोड़ने से पहले नारियों को अपनी ही सोच को स्वतंत्र करना होगा। रूढ़िवादी, दकियानूसी मानसिकता को छोड़कर नए विचारों और सोच को बदल कर अपनी सोच का विकास करना होगा। जात-पात के भेदभाव को मिटाकर सब जन के अंतर्मन में हर नर-नारी के मन में समानता के भावों को जगाना होगा। स्वाधीनता की बातें करने से पहले हर नारी को स्वाधीनता के सही मायनों को खुद ही जानना, समझना व अपनाना होगा। जानती हैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को हर नारी परन्तु फिर भी, अपनी सही बात कहने और समझाने की हिम्मत नहीं रखती हैं। खुद को बांध कर रखा है पराधीनता के कफस की बेड़ियों में अपने सपनों को उड़ान देने से आसमां में उड़ने से डरती रहती हैं। नारी जब खुद को खुद से ही स्वतंत्र करने का संकल्प लेगी, सही मायने में तभी नारी स्वाधीन होगी,स्वाधीनता को समझेगी। जब हर नारी आत्मविश्वास के साथ अपने पैरों पर खड़ी होगी, तभी हर नारी अपनी स्वाधीनता का जश्न खुलकर मना पाएगी। -"Ek Soch" #पराधीनता #विशेष_प्रतियोगिता #कोराकागजविशेषप्रतियोगिता #कोराकागज #collabwithकोराकागज #yqbaba #yqdidi
ashutosh anjan
पराधीनता पराधीनता का मंज़र अच्छा नही लगता, महल भी अपने घर से अच्छा नही लगता। ग़ुलामी की सोने की जंजीर मुबारक़ तुम्हें, मुझें ग़ैर के पैरों में पड़े रहना अच्छा नही लगता। बड़ी कुर्बानियों के बाद ये दिन देखा है हमनें, मुझें ख़्वाबों में भी क़ैद रहना अच्छा नही लगता। जब भी मरुँ अपनी ज़मीन मयस्सर हो मुझें अंजान, ग़ैरों की मिट्टी का ज़ायका मुझें अच्छा न लगता। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #yourquotedidi #yourquotebaba #yourquotehindi #पराधीनता #आशुतोष_अंजान #कविता
Shravan Goud
पराधीनता तो सिर्फ आजादी के ही सपने देखती है। पराधीनता तो सिर्फ आजादी के ही सपने देखती है।
Krish Vj
स्वाधीन हूँ मैं, कि फ़िर भी पराधीन हूँ मैं जकड़ा हुआ समाज की इन कुरीतियों में गर्म खून है रगो में, विचारो में शीतलता हैं हा में हा मिलाकर चलता समाज चिन्ह पर सोच धूमिल है या मन सुध बुध खो बैठा हैं स्वाधीन होकर, तू पराधीन जीने को बैठा हैं मन और विचारों की पराधीनता कायरता हैं उठ खड़ा हो ! तोड़ दासता की ये बेड़ियाँ पराधीनता:- कविता स्वाधीन हूँ मैं, कि फ़िर भी पराधीन हूँ मैं जकड़ा हुआ समाज की इन कुरीतियों में गर्म खून है रगो में, विचारो में शीतलता है
Motivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 अपनी बौध्दिक क्षमताएं दुर्बल पड़ी हो , तो यह निश्चित है कि आप पराधीनता के पाश में जकड़े होंगे !.i. j ©motivationl indar jeet guru #जीवन दर्शन 🌹 अपनी बौध्दिक क्षमताएं दुर्बल पड़ी हो , तो यह निश्चित है कि आप पराधीनता के पाश में जकड़े होंगे !.i. j
Poetry with Avdhesh Kanojia
वीरगति दिवस पर वीर त्रिमूर्ति को नमन भगतसिंह सम बलिदानी व सुखदेव से सुख के त्यागी। राजगुरु के गुरुमंत्र से पराधीनता भागी।। नतमस्तक हम इन समक्ष हैं नमन है वीर त्रिमूर्ति को। विस्मृत कैसे कर दें हम इन जैसी परम विभूति को।। ✍️अवधेश कनौजिया© #शहीददिवस वीरगति दिवस पर वीर त्रिमूर्ति को नमन भगतसिंह सम बलिदानी व सुखदेव से सुख के त्यागी। राजगुरु के गुरुमंत्र से पराधीनता भागी।।
Naresh Chandra
महान देशभक्त मंगल पाण्डेय ने 1857 में अंग्रेज़ों के विरुद्ध क्रांति का शंखनाद कर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत की। उन्होंने देश में पराधीनता के विरुद्ध लड़ाई का बीज बोया और क्रांति की अलख जगाई, जिससे अंग्रेजी शासन की नींव हिल गई। अमर बलिदानी मंगल पाण्डेय को कोटि-कोटि नमन। महान देशभक्त मंगल पाण्डेय ने 1857 में अंग्रेज़ों के विरुद्ध क्रांति का शंखनाद कर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत की। उन्होंने देश में पर
Poetry with Avdhesh Kanojia
वीरगति दिवस पर वीर त्रिमूर्ति को नमन भगतसिंह सम बलिदानी व सुखदेव से सुख के त्यागी। राजगुरु के गुरुमंत्र से पराधीनता भागी।। नतमस्तक हम इन समक्ष हैं नमन है वीर त्रिमूर्ति को। विस्मृत कैसे कर दें हम इन जैसी परम विभूति को।। #इतिहास #history #bhagatsingh #sukhdev #rajguru #poetry #poem वीरगति दिवस पर वीर त्रिमूर्ति को नमन भगतसिंह सम बलिदानी व सुखदेव से सुख के
Poet Shivam Singh Sisodiya
#OpenPoetry पराधीन नहिं सुख सपनेहूँ क्या आनंद स्वतंत्र का कहना | श्वान नहीं तू सिंह है यौवन फिर क्यों परबंधन में रहना || कह गए तिलक तो आज़ादी है जन्मसिद्ध अधिक हमारा | यदि स्वतंत्र रहने में दुःख है फिर भी वह दुःख सबसे प्यारा || पराधीनता में रहकर तो सुख सौभाग्य भी न सहना, पराधीन नहिं सुख सपनेहूँ क्या आनंद स्वतंत्र का कहना || शिवम् सिंह सिसौदिया बाल गंगाधर तिलक पराधीन नहिं सुख सपनेहूँ क्या आनंद स्वतंत्र का कहना | श्वान नहीं तू सिंह है यौवन फिर क्यों परबंधन में रहना || कह गए तिलक तो आज़ादी है जन्मसि