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Best कोराकागज Shayari, Status, Quotes, Stories

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Sarthak Vidya

White  ह्दय से विस्तार हो
सबका मंगल ही मंगल है
जोर जबरदस्ती हो अगर
तो हरपल दंगल ही दंगल है
इंन्सानीयत टूट जायेगी यहां
फिर तो सारा ही जंगल है...

©Sarthak Vidya #Dussehra #kryq983 #rzpicprompt5598 #कोराकागज #restzone #collabwithrestzone#yqrz #lovequotes #love_shayari #love

💞Seema Yadav💞

ओय लड़कियों रोज लेने से पहले एक नज़र रोजगार पर डाल लेना
रोज लेने की खुशी मे कहीं तुम कोई बेरोजगार न चुन लेना..😜— % & #कोराकागज 
#collabwithकोराकाग़ज़     
#जश्न_ए_इश्क़ 
#kkजश्न_ए_इश्क़ 
#विशेषप्रतियोगिता 
#kkvalentinesweek2022 
#kkseemayadav

💞Seema Yadav💞

कब तक रहोगे पत्थर दिल, हमसफ़र 
जान के सच्चाई तुम पिघल ही जाओगे
जब होगी ही नहीं मेरी कोई गलती इसमें
यकीनन ख़ुद ही आके मुझसे माफ़ी मांगोगे #collabwithकोराकाग़ज़
#कोराकागज
#जन्मदिनमहाप्रतियोगिता
 #जन्मदिनकोराकाग़ज़    
#kkपत्थरदिलहमसफ़र

💞Seema Yadav💞

सोचना हो तो

किसी का घर बसाने का सोचना
उजाड़ने का नहीं
लगी आग को बुझाने का सोचना
हवा देने का नहीं
गिरते हुए को उठाने का सोचना
और गिराने का नहीं 
जख्मों पे मरहम लगाने को सोचना
उनपे नमक नहीं
किसी को प्यार से जीतने की सोचना
जोर जबदस्ती से नहीं #कोराकागज #जख्मीशायर 
#yqbaba_yqdidi

अभिलाष सोनी

विषय :- तेरी पाजेब (06-10-2021) तेरी पाजेब की झंकार से, ये दिल झूम जाता है। तेरी मीठी मीठी पुकार से, ये दिल झूम जाता है। मैं जब भी रूठ जाता हूँ, तू मुझको मनाती है। तेरी भोली सी मनुहार से, ये दिल झूम जाता है। मैं तेरा ही दीवाना हूँ, ये इतना जान ले तू भी।

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विषय :- तेरी पाजेब (06-10-2021)
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तेरी पाजेब की झंकार से, ये दिल झूम जाता है।
तेरी मीठी मीठी पुकार से, ये दिल झूम जाता है।
मैं जब भी रूठ जाता हूँ, तू मुझको मनाती है।
तेरी भोली सी मनुहार से, ये दिल झूम जाता है।

मैं तेरा ही दीवाना हूँ, ये इतना जान ले तू भी।
मैं दिल तुझपे लुटाता हूँ, ये इतना जान ले तू भी।
मेरे इन लबों की हँसी की, वजह है सिर्फ तू ही।
तेरे बस एक दीदार से, ये दिल झूम जाता है।

मुमकिन है चाहत में, जो कभी हम दूर हो जाए।
बस इतना काफी है, कि हम न मजबूर हो जाएं।
कभी जो ऐसा दिन आए, तुम मुझको रोक लेना।
तुम्हारे एक इक़रार से, ये दिल झूम जाता है।

तेरी पाजेब की झंकार से, ये दिल झूम जाता है।
तेरी मीठी मीठी पुकार से, ये दिल झूम जाता है। विषय :- तेरी पाजेब (06-10-2021)

तेरी पाजेब की झंकार से, ये दिल झूम जाता है।
तेरी मीठी मीठी पुकार से, ये दिल झूम जाता है।
मैं जब भी रूठ जाता हूँ, तू मुझको मनाती है।
तेरी भोली सी मनुहार से, ये दिल झूम जाता है।

मैं तेरा ही दीवाना हूँ, ये इतना जान ले तू भी।

DR. SANJU TRIPATHI

शालिनी शालिनी कहां रह गई है अभी तक मेरा टिफिन तैयार नहीं किया मुझे ऑफिस जाने के लिए लेट हो रहा है शालिनी शालिनी क्या कर रही हो अभी तक मुझे चाय नाश्ता भी नहीं मिला है शालिनी किचन के कामों में व्यस्त थी तभी उसकी बेटी की आवाज आई मम्मी मम्मी आज मेरी स्कूल यूनिफॉर्म प्रेस नहीं की अब मैं स्कूल क्या पहन कर जाऊंगी मम्मी मम्मी की आवाज से शालिनी का ध्यान भंग हुआ और वह दौड़ कर कमरे की तरफ गई जहां उसकी बेटी प्रेस का प्लक बोर्ड में लगाने ही जा रही थी तभी मम्मी ने पीछे से आवाज लगाई रुको मैं आ रही हूं मैं करती

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पुनर्विवाह (कहानी)

शालिनी और राजेश की शादी को ग्यारह साल पूरे होने वाले थे वे बहुत खुश थे और अपनी ग्यारहवीं सालगिरह धूमधाम से मनाने की तैयारी कर रहे थे लेकिन कुछ दिन पहले ही राजेश का एक्सीडेंट हो गया और एक ही पल में शालिनी की पूरी जिंदगी बदल गई जिस घर में खुशियों का डेरा था अब वहां राजेश की मौत का जिम्मेदार शालिनी को मानते हुए उससे बुरा व्यवहार किया जाने लगा था उसको और उसकी बेटी को हमेशा ही बुरा भला कहा जाने लगा था शालिनी ने भी चुपचाप रहकर इसको अपनी नियति मान लिया था।


शेष कहानी कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें 
👇👇👇👇👇 शालिनी शालिनी कहां रह गई है अभी तक मेरा टिफिन तैयार नहीं किया मुझे ऑफिस जाने के लिए लेट हो रहा है शालिनी शालिनी क्या कर रही हो अभी तक मुझे चाय नाश्ता भी नहीं मिला है शालिनी किचन के कामों में व्यस्त थी तभी उसकी बेटी की आवाज आई मम्मी मम्मी आज मेरी स्कूल यूनिफॉर्म प्रेस नहीं की अब मैं स्कूल क्या पहन कर जाऊंगी मम्मी मम्मी की आवाज से शालिनी का ध्यान भंग हुआ और वह दौड़ कर कमरे की तरफ गई जहां उसकी बेटी प्रेस का प्लक बोर्ड में लगाने ही जा रही थी तभी मम्मी ने पीछे से आवाज लगाई रुको मैं आ रही हूं मैं करती

DR. SANJU TRIPATHI

लेखन का महत्व  लेखन के माध्यम से लेखक पाठकों तक अपने विचारों और भावों को सम्प्रेषित कर सकता है, इसके माध्यम से ही वह अपने भावों और विचारों को साहित्यिक रचना के रूप में प्रस्तुत कर सकता है।

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लेखन का महत्व 


लेखन के माध्यम से लेखक पाठकों तक अपने 
विचारों और भावों को सम्प्रेषित कर सकता है,
इसके माध्यम से ही वह अपने भावों और विचारों 
को साहित्यिक रचना के रूप में प्रस्तुत कर सकता है।

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लेखन का महत्व 

लेखन के माध्यम से लेखक पाठकों तक अपने 
विचारों और भावों को सम्प्रेषित कर सकता है,
इसके माध्यम से ही वह अपने भावों और विचारों 
को साहित्यिक रचना के रूप में प्रस्तुत कर सकता है।

DR. SANJU TRIPATHI

बदलाव चाकू के घाव भर सकते हैं मगर शब्दों के घाव नहीं भर सकते हैं मीना बहुत ही सीधी सादी और शांत सी लड़की हुआ करती थी। मीना के घर में उसके भाई जो भी कहते थे मीना बिना कुछ सवाल जवाब किए मान लेती थी उसके पापा की पोस्टिंग ज्यादातर बाहर ही बाहर रहा करती थी और वो भी आते जाते रहते थे बाकी सब एक ही जगह रहते थे कभी उनके साथ कहीं और रहने नहीं गए इसलिए कभी उनका बहुत ज्यादा सहयोग नहीं मिला और भाई को ही अपने पिता का दर्जा देकर उनकी बात मानने लगी मीना ने कभी उनकी किसी बात पर कोई सवाल नहीं उठाया उसे लगता था

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बदलाव 

भाई के विवाह के पश्चात मीना की जिंदगी के बदलाव की कहानी 
कृपया अनुशीर्षक में पढ़े👇👇👇👇

 बदलाव 


चाकू के घाव भर सकते हैं मगर शब्दों के घाव नहीं भर सकते हैं
मीना बहुत ही सीधी सादी और शांत सी लड़की हुआ करती थी। मीना के घर में उसके भाई जो भी कहते थे मीना बिना कुछ सवाल जवाब किए मान लेती थी उसके पापा की पोस्टिंग ज्यादातर बाहर ही बाहर रहा करती थी और वो भी आते जाते रहते थे बाकी सब एक ही जगह रहते थे कभी उनके साथ कहीं और रहने नहीं गए इसलिए कभी उनका बहुत ज्यादा सहयोग नहीं मिला और भाई को ही अपने पिता का दर्जा देकर उनकी बात मानने लगी मीना ने कभी उनकी किसी बात पर कोई सवाल नहीं उठाया उसे लगता था

DR. SANJU TRIPATHI

बचपन की यादों में (गज़ल)

बचपन की यादों में खोकर, मेरा मन आज भी बच्चे जैसा ही बन जाता है। 
याद करता है वह शैतानियां, वह नादानियां फिर उसी में खोकर रह जाता है।

बारिश में भीग कर नहाना, वह मां-पापा की डांट खाना बड़ा याद आता है।
दादी-नानी से किस्से-कहानियां सुनना, वो करना अठखेलियां अब भी भाता है।

खेलने-कूदने के लिए, पढ़ाई से जी चुराना, वो बहाने बनाकर घूमना याद आता है।
स्कूल ना जाने को पेट दर्द का बहाना बनाना,और फिर समोसे खाना याद आता है।

क्लास से बाहर बैठने के लिए होमवर्क ना करके ले जाना बैठ कर गप्पे लड़ाना,
दोस्तों की टोली संग मौज-मस्ती करना समय बिताना, सताता है गुजरा जमाना।

भेदभाव रीति-रिवाजों से अलग,"एक सोच" को अपने में  ही खोये रहना सुहाता था।
चेहरे पर मासूमियत थी, दिल में ना कोई बैर था, बस केवल दोस्ती निभाना आता था।

 #KKPC27
#kkप्रीमियम
#कोराकागजप्रीमियम
#प्रीमियमग़ज़ल 
#विशेषप्रतियोगिता
#collabwithकोराकागज
#कोराकागज

DR. SANJU TRIPATHI

तेरी तलब (ग़ज़ल)

बेस्वाद सी जिंदगी को मेरी जब से तेरे प्यार का स्वाद लग गया,
पल में सारे समां के साथ साथ जिंदगी का जायका बदल गया।

जीने लगे तेरे ही ख्वाबों खयालों में रात और दिन शाम-ओ-पहर,
तेरे तसव्वुर के सिवा जिंदगी में कोई भी ख्वाब बाकी ना रह गया।

तेरी तलब ऐसी लगी है कि मेरी सारी की सारी दुनियाँ बदल गई,
हर पल हर घड़ी खुदा से दुआओं में तुझे ही मांगने दिल लग गया।

कट रही थी मेरी जिंदगी तन्हाइयों में तूने शहनाइयों से सजा दी,
चाहने लगे दिल-ओ-जान से ज्यादा जाने तू कैसा जादू कर गया।

तेरे बिना जिंदगी जीने की "एक सोच" कभी सोच भी नहीं सकती,
तेरा नाम दिल के साथ-साथ हाथों की लकीरों पर भी लिख गया। #KKPC27
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#कोराकागजप्रीमियम
#प्रीमियमग़ज़ल
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