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Prerna Singh
हमें समाधान पसंद था उसे समस्या उसे युद्ध पसंद था मुझे संगीत मैं पारदर्शी वो डार्क बस इसी फर्क ने मुझे मिटा दिया उसे बचा दिया मिटना और मिटा देना दोनों अलग क्रियाएं हैं परिणाम दोनों के अलग आएंगे उस दिन कहां जाएगा शायद पिछले जन्म का कोई बुरा कर्म हैं अगला पिछला कुछ होता नहीं जो होता हैं इसी जन्म का होता है तुम्हारा बोया हुआ अगला कटेगा अच्छा या बुरा तुम्हारे वजह से पाएगा जैसे मैंने काटे थे बेटी के रुप में जन्म लेकर मुझे दबाया गया अनचाहा समझकर जैसे अब दबाया जा रहा हैं मलबे में पुरानी वस्तु समझकर मैं वस्तु नहीं विदित उसे भी पर उस के प्रयास में सामिल कई कौरव लालची बन कर ©Prerna Singh हमें समाधान पसंद था उसे समस्या उसे युद्ध पसंद था मुझे संगीत मैं पारदर्शी वो डार्क बस इसी फर्क ने मुझे मिटा दिया उसे बचा दिया मिटना और मिटा द
Devesh Dixit
सपनों का महल सपनों का एक महल बना था, पलकों में जो मेरे सजा था। बिखर न जाए कहीं पत्तों सा, ऐसा मेरे मन में रमा था। हर पल को ही पिरोया मैंने, बीज को उसके बोया मैंने। पाऊँ सफलता आगे चलकर, गीत यही गुनगुनाया मैंने। अच्छे से सब कुछ चल रहा था, मगन मैं भी अब झूम रहा था। देख रहा जो महल सपनों का, उसे ही अब मैं ढूंँढ़ रहा था। आँखें खुलीं तो मैंने पाया, महल सपनों का बिखरा पाया। हर एक सपना उजड़ चुका था, देख खुद को ही बेबस पाया। सपनों का एक महल बना था, पलकों में जो मेरे सजा था। बिखर गया वो कहीं पत्तों सा, जो की मेरे मन में रमा था। ....................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #सपनों_का_महल #nojotohindi #nojotohindipoetry सपनों का महल सपनों का एक महल बना था, पलकों में जो मेरे सजा था। बिखर न जाए कहीं पत्तों सा, ऐ
Pushpvritiya
कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको, कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......! सुनो गर जनम दोबारा हो, मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!! चाहूँगी मैं जड़ में जाकर जड़ से तुमको सींचना.. मन वचन धरण नव अवतरण सब अपने भीतर भींचना..... रक्तिम सा भ्रुण बन कर तुम सम, भ्रुण भ्रुण में अंतर परखूँगी..! मेल असंभव क्यूँ हम तुम का, इस पर उत्तर रखूँगी....!! पुछूँगी कि किए कहाँ वो भाव श्राद्ध कोमल कसीज, खोजूँगी मैं वहाँ जहाँ बोया गया था दंभ बीज... उस नर्म धरा को पाछूँगी, मैं नमी का कारण जाचूँगी.......!! मैं ढूंढूँगी वो वक्ष जहाँ, स्त्रीत्व दबाया है निज का, वो नेत्र जहाँ जलधि समान अश्रु छुपाया है निज का....! प्रकृत विद्रोह तना होगा, जब पुत्र पुरुष बना होगा..... मैं तुममें सेंध लगाकर हाँ, कोमलताएं तलाशूँगी, उन कारणों से जुझूँगी.... मैं तुमको जीना चाहूँगी......!! अनुभूत करूँ तुमसा स्वामित्व, श्रेयस जो तुमने ढोया है... और यूँ पुरुष को होने में कितने तक निज को खोया.....! कदम कठिन रुक चलते चलते कित् जाकर आसान हुआ, हृदय तुम्हारा पुरुष भार से किस हद तक पाषाण हुआ.....!! मैं तुममें अंगीकार हो, नवसृज होकर आऊँगी, मैं तुमको जीना चाहूँगी........ फिर तुमसे मिलन निबाहूँगी........!! @पुष्पवृतियाँ ©Pushpvritiya कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको, कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......! सुनो गर जनम दोबारा हो, मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!! चाहूँगी मैं जड़ में
Sethi Ji
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 🌼 इश्क़ का महकना , दिल का चमकना 🌼 🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 दिल बहलना दुनिया का दस्तूर हो गया ज़िन्दगी में हर किसी को इश्क़ का फितूर हो गया जब लिखने बैठा अपनी मोहब्बत की दास्तान को मेरा दिल आज फिर जज़्बातों के हाथों मजबूर हो गया यहाँ हर कोई प्यार करता हैं , किसी ना किसी का इंतज़ार करता हैं पहले करता था शायरी ज़माने की गुमनामी में तुमसे मोहब्बत करने के बाद ऐ मेरे सनम मेरा कलाम हुस्न की हर गलियों में मशहूर हो गया 💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 ©Sethi Ji ♥️🌟 इश्क़-ए-बेवफाई🌟♥️ ♥️🌟 सनम-ए-रुस्वाई 🌟♥️ पलकों में आंसू , दिल में दर्द सोया हैं ।। तुमको क्या पाता , तुमसे बिछड़ कर यह " शायर " किस कदर
Suneel Nohara
हाथों की जो लकीरों में है, कहते हैं लोग वही तकदीरों में है। लिखी उसकी कोई यू मिटा सकता नहीं। के जन्म कान्हा का भी जंजीरों में है। कर्म करने की आजादी है तुम्हें नोहरा, यह तेरी ततबिरों में है। जो बोया है बसर ने वही काटेगा बसर। यही तो गीता की तकरीरों में है। ©Suneel Nohara जो बोया था वही काटेगा बसर, Anshu writer चाँदनी Rakesh Srivastava Ritu Tyagi Anupriya
Anjali Singhal
Ashutosh Mishra
--अकेला-- नव युग का आधार अभी बाकी है,नव युग का उसका निर्माण अभी बाकी है। जो बीज बोया था संस्कृति का, उसका निर्माण अभी बाकी है। फिर से पहल कर संवारने का,उस छवि को जिनसे तेरी पहचान बनाई। जड़ से खत्म करना होगा उन कमियों को, जो बाधक हैं तेरे विकास में। जो जलते हैं तेरे विकास से,उनको जलने दो खुद को तैयार करो। तू अकेला ही शक्क्षम है,नव युग के निर्माण में, तू अकेला ही शक्क्षम है नव युग के निर्माण में। अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🌹 ©Ashutosh Mishra #akela नव युग का आधार अभी बाकी है,नव युग का निर्माण अभी बाकी है। जो बीज बोया था संस्कृति का,उसका निर्माण अभी बाकी है। फिर से पहले कर संवारन
Nisheeth pandey
सच बेचना था ,पर सच के खरीद्दार न मिले। ख़ुद को सच्चाई से सजाए थे, पर सच्चाई के दिलदार न मिले।। नसीब ने जिससे भी मिलवाया , झूठ के जूतों पर खड़ा मिला। बद्नसीबी कहे ख़ुद के नसीब को, 'झूठ' में यार 'सच' में दुश्मनी मिले।। ईमान देकर ईमान न मिला, स्वार्थ के आगे कुछ भी नहीं मिला । जरूरत खत्म होते जुदा होते गए सब, ख़ुशी के बाजार में अश्क मिले।। ज्यादातर लोग दोहरे पैमानों की तराजू पर डगमगाते। ऐसे लोगों के बीच, नकाब के बाजार मिले।। मैंने देखता रहा हमेशा फिज़ा को , गुल कम ही मिले, कांटे हजार मिले।। आज भी अपनों में ,प्यार का अकाल है। मुस्कुराहट भरी चेहरे पर धोखा भरे, दिल मिले।। मुहब्बतों की दुहाई में,,फरेब बोया जाता है । ईमान की कसम , एक से बढ़ एक बेईमान मिले।। #निशीथ ©Nisheeth pandey सच बेचना था ,पर सच के खरीद्दार न मिले। ख़ुद को सच्चाई से सजाए थे, पर सच्चाई के दिलदार न मिले।। नसीब ने जिससे भी मिलवाया , झूठ के जूतों पर खड़
ਸੀਰਿਯਸ ਜੱਟ