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Anil Ray
👰👰👰👰👰👰👰👰👰👰👰👰 बेटी को इस कदर पढ़ा लो यारो....!!!!!! फिर कभी कोई यह नारा नही लगाये.....! बेटी पढ़ाओ पर बहू को नही पढ़ाओ..!!! 👩💻👩💻👩💻👩💻👩💻👩💻👩💻👩💻👩💻👩💻👩💻👩💻 ©Anil Ray 💞💕💘मुझे जीना है कलमयुग में💘💕💞 बेटियों को अब सुशिक्षित इस कदर करें सर्वजन बहू रूप को कभी आवश्यक ही न रहे अध्ययन। निजपंखों से स्वतंत्र विचरण
Anil Ray
हाथ में लेकर प्रकाश खोज रहा हूँ मानवता को अब जाति-धर्म के विभेद में, कही खो गयी है। सत्य, प्रेम, बंधुत्व एवं परोपकार नही है समीप किस दिशा में देखूं मानवता! दूर चली गयी है। ©Anil Ray ⭐🌟 ✨मानवता है धर्म हमारा✨ 🌟⭐ निज दीपक बनकर अनिल! करो खुद की खोज अनुसंधान ऐसा हो, मानवता में रहे हमेशा मौज। वसुंधरा पर चिरस्थापित हो मानव
Shitanshu Rajat
सवाल, अस्मिता, हक़ीक़त.... और BHU (Read full poem in caption) सवाल, अस्मिता, हक़ीक़त और बीएचयू (BHU)...... मंजर-ए-उपद्रव हुआ है यहाँ भी उनके साथ अब, जो कह रही थीं, बख्श दो, ओ नापाक हाथ अब, ना मान सके जो
AK__Alfaaz..
असीम,अनन्त, मनमोहक मुस्कान है जिनकी., अतिविलक्षण,प्रतिभाशाली, भाषा ज्ञान है जिनका., अद्भुत व्यक्तित्व, अनुपम चारित्रिक., गुण विशेष है जिनका., मन,कर्म,वचन से, सेवाभाव स्वभाव है जिनका., सर्वजन हिताय,सर्वजन सुखाय., आचरण मे परिलक्षित होता है जिनके., सूर्य अरूणिमा सा मस्तक पर., तेज सुशोभित है जिनके., असीम,अनन्त, मनमोहक मुस्कान है जिनकी., अतिविलक्षण,प्रतिभाशाली, भाषा ज्ञान है जिनका., अद्भुत व्यक्तित्व, अनुपम चारित्रिक., गुण विशेष है जिनका.
AK__Alfaaz..
कल, भोर भये, हृदय के आहाते मे, मन के रोशनदान से सूरज की इक नन्ही, नवजात किरण, लुढ़क आयी, हाथों की लकीरों मे अपने, रौशनी का भविष्य लिए, और.. उजाले की जीवन रेखा के संग, खुशियों की धूप लिए, कल, भोर भये, हृदय के आहाते मे, मन के रोशनदान से सूरज की इक नन्ही, नवजात किरण, लुढ़क आयी, हाथों की लकीरों मे अपने,
Rajesh Gurjar
Amar Anand
-परम सत्य योगपथ- सब जन सन्यासी हो जाएंगे तो, घर का खर्चा कौन चलाएगा। सब जन आध्यात्मिक हो जाएंगे तो, गृहस्थ का धर्म कौन निभाएगा। इसलिए हे प्यारे, तुम बस देखते रहो, संसार को, संसार में होने वाली गतिविधियों को,अपनी ही स्थितियों एवम् परिस्थितियों को। तुम नित्य प्रतिदिन बदल रहे हो, जो कल थे वो आज नहीं हो और जो आज हो वो कल भी नहीं रहोगे। तुम बस कुछ एक क्षण के साक्षी हो, जिसे अपना जीवन समझ रहे हो.. हे प्यारे बस एक रूप हो , जिसे आपने प्रकृति का एक अहम हिस्सा समझ लिया है। जबकि सच तो यह है कि, तुम्हारे न होने से पहले भी सब कुछ था, तुम्हारे न होने के बाद भी सब कुछ होगा। इसलिए, जिस क्षण के तुम साक्षी हो उसमें ही घुलमिल जाओ और आनंद स्वरूप हो जाओ। हे प्यारे लाभ हानि, यश अपयश, सुख और दुख इन सबसे से ऊपर उठ जाओ.... जय श्री कृष्णा #मेरेएहसास केवल अध्यात्म हे प्रभु भेजा है , यदि धरा पर हमें तो नाम अमर कर जाऊँ मैं.. योगपथ साधक रहूँ प्रतिपल जीवन आनंदमय गुजारूं मैं.. किसी
vishnu prabhakar singh
छठ पूजा घर आँगन में यह प्रस्ताव है 'छठ बेटी का' उस बेटी का जो, अपने घर से, परम् अपने घर पाँव रखती है जिसका समाज में प्रत्यक्ष पदार्पण होता है जो अपने बेटिपन में छठी मईया को पाती है जिसे आभास है कि, परंपरा महत्वपूर्ण दृष्टिकोण का निचोड़ है इसलिए जीवित है। यह सब जन हिताय, सब जन सुखाय है, इसलिए स्वीकृति है। यह नारी कोमलता व समर्पण का वो आवश्यक रूप है जिसे मानने वालों में वो स्वयं भी है, इसलिए आत्मसात है। बेटी छठ जीती है मिश्रित होती है अपने स्वभाव में प्रकृति संग रखकर ऊर्जावान बनाती है घर आँगन को सिमित नेतृत्व दे कर। वैसे तो, अनेक अवसरवादी है, सनातन धर्म, लेकिन छठ विशिष्ट लोकपर्व है इसमें नारी नेपथ्य कल्याणकारी रूप में दिखता है। तो दोस्तों 'छठ' किसका? उसका, जिसका अच्छेपन में दान हुआ। ( पुनः प्रकाशित ) मूल तत्व मत छोड़िये,सत्य रहिये।दिखावा भर मत कीजिये।दिखावा दिख जाता है। सर्वकामना पूर्ति उद्देश्य मत रखिये,मूल पकड़िये डर है तो।अब यह भी पूछिये
Anil Ray
भरा अंधविश्वास जगत में आओ भ्रम को दूर भगाये..✍️ अजर-अमर शाश्वत अनंत है आत्मतत्व वेदो ने गाया ब्रह्म सत्य भौतिक जगत मिथ्या ऋषि-मुनियों ने दोहराया एक ही आत्मा है जो परमात्मा अंश कहलाये पुरुष प्रधान समाज के उपासक लड़का-लड़की में भेद कराये भरा अंधविश्वास जगत में आओ भ्रम को दूर भगाये। मातृशक्ति के ही यह 'द्वंद्व' यह दोनों रूप आधुनिक युग में भी क्यों समझे इन्हे कुरूप सर्वजगत हे मातृशक्ति का यह स्वरूप फिर भी सितम है कैसा इन पर जुल्म ढाये, भरा अंधविश्वास जगत में आओ भ्रम को दूर भगाये। एक तत्व से निर्मित लड़का लड़की एक समान महिला अत्याचारों के खिलाफ धारण करें कमान आया है वह जायेगा यह सृष्टि का विधान मौत अवश्य है जग में फिर हम क्यों घबराये, भरा अंधविश्वास जगत में आओ भ्रम को दूर भगाये। लड़की के बिना जीवन क्या जगत भी अधूरा जननी बनकर यही तो है जीवन का आधारा समानता हो जीवन में तब होगा नव निर्माण पूरा प्राकृतिक रचना में सर्वजन समान है सभी में प्रेम समाये, भरा अंधविश्वास जगत में आओ भ्रम को दूर भगाये। प्राकृतिक रूप से सभी समान है समझा गये भारत रत्न अंबेडकर संविधान में शामिल की समानता समस्याओं को झेलकर समतामूलक समाज का करे निर्माण, हम अत्याचारों को भेदकर आओ मिलकर अत्याचारी शासन को जड़ से मिटाये, भरा अंधविश्वास जगत में आओ भ्रम को दूर भगाये। है अपनी एक धरती एक ही अपना गगन चले हम दिलों में लेकर एक ही लगन मातृत्व के प्रेम में मानवता हो मगन आह्वान करता 'अनिल राय'मिलकर ज्ञान का दीप जलाये, भरा अंधविश्वास जगत में आओ भ्रम को दूर भगाये। ©Anil Ray भरा अंधविश्वास जगत में आओ भ्रम को दूर भगाये..✍️ अजर-अमर शाश्वत अनंत है आत्मतत्व वेदो ने गाया ब्रह्म सत्य भौतिक जगत मिथ्या ऋषि-मुनियों ने दोह