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HINDI SAHITYA SAGAR
घर-घर में देखो फूट पिया, हर-घर में देखो फूट प्रिया। भाई,भाई से क्यूँ लड़ता, नफऱत का अतिशय घूट पिया। पत्नी, पति से यह कहती है, अब मुझसे यहाँ न जाए जिया। संग तेरे ही जियूंगी अब, चल ले चल मुझको साथ पिया। ©HINDI SAHITYA SAGAR घर-घर में देखो फूट पिया, हर-घर में देखो फूट प्रिया। भाई,भाई से क्यूँ लड़ता, नफऱत का अतिशय घूट पिया। पत्नी, पति से यह कहती है, अब मुझसे यहाँ न
HINDI SAHITYA SAGAR
घर-घर में देखो फूट पिया, हर-घर में देखो फूट प्रिया। भाई,भाई से क्यूँ लड़ता, नफऱत का अतिशय घूट पिया। पत्नी, पति से यह कहती है, अब मुझसे यहाँ न जाए जिया। संग तेरे ही जियूंगी अब, चल ले चल मुझको साथ पिया। ©HINDI SAHITYA SAGAR #devdas घर-घर में देखो फूट पिया, हर-घर में देखो फूट प्रिया। भाई,भाई से क्यूँ लड़ता, नफऱत का अतिशय घूट पिया। पत्नी, पति से यह कहती है, अब मुझ
Bharat Bhushan pathak
# अमी छंद(वार्णिक) छंद विधान-प्रति चरण 9 वर्ण। गणावली-नसल जभान यमाता। मापनी-111 121 122। चार चरण, दो-दो समतुकांत सुन- सुन शिक्षक साथी सरल न ज्ञानहि हाथी।। समझ सदैव सवारी। अतिशय तीक्ष्ण कुदाली।। ©Bharat Bhushan pathak # अमी छंद(वार्णिक) छंद विधान-प्रति चरण 9 वर्ण। गणावली-नसल जभान यमाता। मापनी-111 121 122। चार चरण, दो-दो समतुकांत सुन- सुन शिक्षक साथी सरल न
Bharat Bhushan pathak
स्पर्श हृदय का काव्य करे जब। रचना सुन्दर होती ही तब।। नहीं सुनो तुम लिखना कुछ भी। प्रेरित जग हो जिससे ही जी।। दग्ध हृदय की पीड़ा लिखना। कोई नहीं हो पर तुम दिखना।। भले-बुरे का सम हो चित्रण। नहीं कहीं हो अतिशय वितरण।। ©Bharat Bhushan pathak स्पर्श हृदय का काव्य करे जब। रचना सुन्दर होती ही तब।। नहीं सुनो तुम लिखना कुछ भी। प्रेरित जग हो जिससे ही जी।। दग्ध हृदय की पीड़ा लिखना। कोई
HINDI SAHITYA SAGAR
घर-घर में देखो फूट पिया, हर-घर में देखो फूट प्रिया। भाई,भाई से क्यूँ लड़ता, नफऱत का अतिशय घूट पिया। पत्नी, पति से यह कहती है, अब मुझसे यहाँ न जाए जिया। संग तेरे ही जियूंगी अब, चल ले चल मुझको साथ पिया। ©HINDI SAHITYA SAGAR #tanha घर-घर में देखो फूट पिया, हर-घर में देखो फूट प्रिया। भाई,भाई से क्यूँ लड़ता, नफऱत का अतिशय घूट पिया। पत्नी, पति से यह कहती है, अब मुझस
Mahima Jain
टीम 'E' एक किताब जो हमें पसंद है और एक जो नहीं है। (पढ़िए अनुशीर्षक में) Day 8 Team "E" एक किताब जो हमें पसंद है और एक जो नहीं है। मेंबर :- Khushbu Rawal Khushi किताबें तो बहुत सी पढ़ी है वो ही जीवन जीने की अहम
Mahima Jain
साथ रहने साथ होने साथ देने साथ निभाने हर साथ के अपने मायने है।। नमस्ते लेखकों🌸 #RzHiWriMo (Rest Zone Hindi Writing Month) आज हमारे #RzHiWriMo6 में हम लेकर आए हैं "अलंकृत कविता"। इसे कैसे लिखें:
Aniket Rai
1-हिंदी से प्यार और शब्दों की जानकारी 2-लिखने मे सहूलियत 3-लोगों तक पहुँचने मे आसानी तीन कारण चुनने के हिंदी जुबानी। प्रिय परिवारजनों को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। एक दिन पहले से अपनी प्रिय भाषा का उत्सव मनाया ज
Krish Vj
शीर्षक :- एहसास की दुनिया "कोरा काग़ज़" काग़ज की नाव बनाकर, चलना मैंने जल पर सीख लिया कोरा काग़ज़ संग एहसास लेखन के, यूँ ढलना सीख लिया पूर्ण निबंध पढ़िए.. अनुशीर्षक मेें 📖 🖋️ अंतिम चरण :- शीर्षक :- एहसास की दुनिया "कोरा काग़ज़" निबंध का शीर्षक जो उसकी आत्मा है, अर्थात आत्मा बिना जीवन की कल्पना असम्भव
Hrishabh Trivedi
मुखौटा🎭 Read in caption Disclaimer:- इसे नकारात्मक नहीं बल्कि सकारात्मक दृष्टिकोण से पढ़ने की कोशिश करें। ये किसी नकारात्मकता का समर्थक नहीं है।😊 हम सब अपने चेहरे