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भारतीय लेखिका तरुणा शर्मा तरु
Manya Parmar
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
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**** ज्ञान **** ज्ञान की पुर्ण परिभाषा देने वाले आपको अनेक प्रमाण मिलेगे। वास्तविक में ज्ञान क्या है ? क्या स्वरूप इसका ? (जानिए) हमारा मस्तिष्क एक आकाशगंगा है । इसका सम्बन्ध शरीर रूपी पात्र के हद्रय रुपी सागर की तरंग (विचार) रुप में बदल जाती इनसे है। यही मुख के द्वारा निकलनें से ज्ञान की परिभाषा में बदल जाती है। और यही सामने वाले के हद्रय के तरंग से तरंग (विचार से विचार) मिलने की प्रक्रिया ही एक ज्ञान है। ज्ञान का अब तक पुर्ण विकसित विकास किसी को नहीं हुआ है। चाहे भगवान के अवतार भी क्यूं ना हुआं हो। सभी का जन्म लेने के कुछ -कुछ कारण थे। अब तक जितने भगवान अवतार हुएं है उनको भी नहीं है? क्योंकि प्रकृति के प्रमाण से प्रमाण पर लिख रहा हूं ये सब। मार्ग दर्शन करने आते हैं हमाराऔर धर्म स्थापित करके चले जाते हैं। श्री गीता जी भी इसी का एक प्रमाण है, जो ज्ञान से ज्ञान प्राप्त होता है। उसको ही इस ज्ञान स्वरूप कहा जाता है। संसार में वह कोई और नहीं होता। आपके ह्रदय में खुद भगवान होता है। जो आपके मुख पर ज्ञान यज्ञ से प्रभावित होकर प्रसन्नता होती है। वह उन्हीं के द्वारा प्रदान की हुईं किया हुआ अलौकिक उपहार होता है। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #New #treanding #reading #Tea Rahul ƈɦɛȶռǟ ƈօօʟ (Y̴a̴a̴r̴a̴) vishwadeepak Nikita vandna Create By Heart Rahul ƈɦɛȶռǟ ƈօօ
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****एक छोटी सी जिंदगी**** जन्म लेने वाले की मृत्यु निश्चित है और मृत्यु होने के बाद जन्म निश्चित है?यही आवागमन के स्वरूप को संसार जिंदगी की यात्रा मानता आ रहा है। अमृत सागर में इसका अनुभव कुछ और ही होता है। हे परमत्तव अंश जिन्दगी वह सच्चाई होती है। पहले खुद भगवान आपको दर्शन से अनुभव कराते हैं। हर धर्म के इन्सान की माता जी के जठर अग्नि के तेज रूपी तप के बल से ज्ञान प्राप्त होता हैं कोख में । इसी ज्ञान से जिन्दगी की शुरुआत होती है इस जहां में। इसी ज्ञान का प्रकाश से जन्म लेने के बाद विपरित हो जाता है इस जहां में परिस्थितियों को देखने से इस धरा पर भगवान के ज्ञान से मिलान न होने से बच्चा रो कर शुरू करता है । अपनी जिंदगी की कहानी इस जहां में। उस दिए हुए कोख के ज्ञान से नो महीने की कहानी ही नहीं समझ पाना ।हर धर्म के इन्सान को जन्म और मृत्यु सबसे बड़ा उदाहरण हो रहा है। इसको समझिए हे परमत्तव अंश विष रुपी हृदय में से घड़ा खत्म करें । समस्त पृथ्वी के समस्त परमत्तव अंशों। फिर हृदय से हृदय में से निकले अमृत ज्ञान से। एक नई जिंदगी की शुरुआत होगी । यही जिंदगी संसार रूपी समुद्र, संसार रूपी वृक्ष,शरीर रूपी की पात्रता की व प्रकृति की गोद में । आपकी हमेशा याद रहेगी। श्री गीता जी का उत्पन्न होना और बुद्ध जन्म और इस आत्मा का पुनर्जन्म का भाषण 11 सितम्बर 1893 एक अमृत सागर ज्ञान की जिंदगी का उदाहरण है। समस्त संसार के समस्त धर्मों के -हे पृथ्वी वासियों। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #akelapan #New #treanding #Trading ****एक छोटी सी जिंदगी**** जन्म लेने वाले की मृत्यु निश्चित है और मृत्यु होने के ब
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सबसे पवित्र पृथ्वी पर क्या है ? ******************************* सबसे पवित्र रुप अमृत सागर में से कुछ पवित्रता का अंश मात्र ही होता है। (एक -अनुराग ) समस्त पृथ्वी पर लोककल्याण ज्ञान के लिए । सबसे पवित्र अंश अनुराग रुपी अमृत ही होता है। ना की पुर्ण पवित्र और पुर्ण होता है एक अनुराग। फिर भी एक पवित्रता की संगति का फल मिलता है। इसको इस संसार में ? क्योंकि । अर्जन से बड़ा था ? उसका अनुराग उस काल में ? इसलिए आप इस संसार में ? आप केवल सयंम रखना सिखिएं। अपने दिव्य दृष्टि से धृतराष्ट्ररूपी अज्ञान को लोककल्याण के लिए । इसको बोध करना और करवाना नहीं भुले आप। यदि आपका कोई पवित्र सवाल है। अर्जन जैसा कोई जरुर अपना अनुराग रुपी भाव । जरुर निकल कर दिखाएं। आपका अनुराग रुपी भाव भविष्य में सुरक्षित रहे। समस्त पृथ्वी वासियों और समस्त धर्मों के परमत्तव अंशों के लिए । आपका कोई सवाल है तो कमेंट करते रहिए। यह श्री गीता जी के पांचवें श्लोक का गुप्त रहस्य भाव है। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #adventure सबसे पवित्र पृथ्वी पर क्या है ? ******************************* सबसे पवित्र रुप अमृत
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***ज्ञान*** ज्ञान के स्वरूप के कितने रुप व कारण है ? सबसे पवित्र ज्ञान क्या है ? (जानिए) समस्त पृथ्वी पर समस्त परमत्तव अंशों समस्त ज्ञान का रुप नाशवान और जड़वर्ग का ज्ञान का इतिहास प्रकृति के स्वरूप में समाया हुआ है उनमें प्रमुख प्रकृति के ही 28 गुण है । समस्त देव और मनुष्य के तो केवल (सत,रज,तम) तीन गुणों को अपनाकर भी अपना उद्धार नहीं कर सकते हैं । जब तक प्रकृति के प्रथम गुण निस्वार्थ भाव को नहीं अपनाएगें पुर्ण ज्ञान के स्वरूप में प्रकृति के 28गुण हद्रय 4वेद(4वाल) और अपने ह्रदय में जन्म से ही मिलता है। और दो उपहार रुपी घड़े भरे हुए विरासत रुप में भी मिलते हैं। 1.एक विष रुपी ज्ञान 2.एक अमृत रुपी ज्ञान जन्म से ही हर धर्म के इन्सान को मिलता है यहां अपने हृदय में। यह उपहार भगवान व प्रकृति का आपको भेंट रुप मिला हुआ है । एक विष रुपी घड़े को लुटाते -लुटाते आपकी जिन्दगी गुजर जाती है । हे परमत्तव अंश इस संसार में केवल करोड़ों में । एक ही इन्सान ह्रदय में से विष रुपी घड़ा ही खत्म कर पाता है। ऐसा प्रकृति पर दृढ़ विश्वास से लिखता हूं । उसके बाद दुसरे घड़े का अमृत सागर रुपी ज्ञान से उत्पन्न । ज्ञान ही इस धरा का सबसे पवित्र ज्ञान भी कहा जाता है । अमृतसागर की गहराई से निकला ही अमृत सागर रुपी । ज्ञान ही ज्ञान के स्वरूप में समा जाता है। जैसे की-श्री गीता जी का उद्गम इसी का एक सबसे बड़ा उदाहरण है। हमारी प्रकृति का इस ब्रह्माण्ड में। यही ज्ञान आपके ह्रदय में आज भी जीवित है। हे परमत्तव अंश ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #New #viral #treanding #Flower Create By Heart Alka Pandey Miss khan teachershailesh Anshu writer आजयपाल बरगी कमल कांत S
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**** एक लेखनी का प्रकाश **** एक लेखनी का प्रकाश समस्त पृथ्वी पर समस्त संसार के , धर्मों के समस्त परमत्तत्व अंशों के लिए वह दर्पण होता हैं । जो अपने शरीर में आंखों की दृष्टि ना होते हुए भी । आईने में अपने चेहरे की खुबसूरती को दिखा देता है। और आंखों में बिल्कुल रोशनी ना होते हुए भी हुएं भी । एक दिन तो उनकी आंखों की रोशनी से तो समस्त संसार को भी प्रकाशित कर देता है। और उन्ही की आंखों से । समस्त पृथ्वी पर समस्त संसार के समस्त परमत्तव अंशों अभी भी देख सकते हो आप। इस प्रमाण आज भी जीवित हैं इतिहास में। इस संसारसे सदीयों वर्षों के उनके जाने के बाद भी। जैसे कि - कवि सुरदास जी अपने जीवन में जन्म से दृष्टि ना होते हुए भी । उनकी दृष्टि का प्रकाश समस्त पृथ्वी पर आज भी संजीवता संजोएं रखी है । समस्त प्राणियों की व हमारी प्रकृति ने अपनी गोद में आज भी जीवित हैं। और उनकी आंखों के तेज ज्ञान कराती हर पल हमें । निरंतर समस्त पृथ्वी के परमत्तव अंशों को। हे समस्त पृथ्वी पर समस्त धर्मों के परमत्तव अंशों आपके पास अनमोल दृष्टि हैं। हे परमत्तव अंश आप अपनी आंखों तेज को लेखनी रुपी दर्पण को दान करके जाएं उस लेखनी को लिखे हुए को भी हमारी प्रकृति आपको भी अपनी गोद में सोने अहसास दिलाएं । आपके जाने के बाद इस समस्त संसार में। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #New #viral #reading #Real #rohitsharma
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