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anamika

 #विनिमय #nojotohindi

paritosh@run

वस्तु विनिमय का दौर .. #शायरी

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Adv Rudra varshney

जो था वो अच्छा था जो है वो बेहतर है जो होगा वो बेहतरीन होगा !! जो होगा वो पस्पर विनिमय है #varshneyrudra ~~ #rudrap th #Zindagi #story #Thoughts #Motivation #Dil #Pyar

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जो था वो अच्छा था
जो है वो बेहतर है

 जो होगा वो बेहतरीन होगा !!
 जो होगा वो पस्पर विनिमय है

  varshneyrudra ~~rudrap

©rudra varshney जो था वो अच्छा था
  जो है वो बेहतर है

   जो होगा वो बेहतरीन होगा !!
  जो होगा वो पस्पर विनिमय है

  #varshneyrudra  ~~ #rudrap 
#Nojoto #th

Shishupal Maurya

अभी बहुत अंधेरा है ,जागरूकता ही समाधान है ,यह है बरेली शहर का गुसाईं गौटिया ,संजयनगर ,महिलाओ को पता नही सरकारी यूजनाओ हेतु कहा जाए ,आज तीखे #nojotophoto

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 अभी बहुत अंधेरा है ,जागरूकता ही समाधान है ,यह है बरेली शहर का गुसाईं गौटिया ,संजयनगर ,महिलाओ को पता नही सरकारी यूजनाओ हेतु कहा जाए ,आज तीखे

Rakesh frnds4ever

जनसंख्या 
कभी भी पृथ्वी और मनुष्य के लिए 
समस्या नहीं बन सकती,,
असली समस्या है
व्यापार ओर विनिमय,
बाजार, और मुद्रा,
विकास, और साइंस,
हमको भ्रमित कर 
प्राकृतिक साधनों एवम् संसाधनों का
 अत्याधिक दोहन, और उनकी नष्टता
राजा बनने
 और बने रहने की दुष्ट प्रक्रिया
 मनुष्य की 
मालिक ,शैतान और हैवान बन कर 
दूसरे मनुष्यों को मारने 
ओर गुलाम बनाने की नीच प्रक्रिया,,,
......#जनसंख्या दिवस...... #जनसंख्या_नियंत्रण_कानून   

#जनसंख्या 
 कभी भी 
#पृथ्वी  और #मनुष्य  के लिए 
#समस्या  नहीं बन सकती,,
असली समस्या है
#व्यापार  ओर #विनिमय ,

Anil Ray

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ यौवन की उत्तप्त दुपहरी में प्रिय और प्रेमी में मौन ही दृष्टि-विनिमय होता है। धड़कन वृद्धि, महकी साँसे #कविता #nojotohindi #Mohbbat #sayari #Ehasas #ishaq #pyaaar #Anil_Ray

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तेरा नही देखकर भी यूं देखना सनम
हसीं मोहब्बत में,  बहुत ही खास है।
लबों की मधुर मुस्कान बयां कर रही
युगों की अतृप्त आँखों की प्यास है।
आह! पलकों का इस कदर झुकाना 
प्रथम-मिलन कैसा हसीं एहसास है।
दिल कलियाँ भी अब हुईं प्रफुल्लित
आज यें धड़कन जो दिल के पास है।

©Anil Ray ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

     यौवन की उत्तप्त दुपहरी में
     प्रिय और प्रेमी में मौन ही
     दृष्टि-विनिमय होता है।
    धड़कन वृद्धि, महकी साँसे

रजनीश "स्वच्छंद"

मन को देखो टटोलकर।। जीवनकाल के उत्तरार्ध पर, मन को मैं हूँ टटोलता, ज्ञान भिक्षा जो मिली थी, मुख खोल मैं हूँ बोलता। दीर्घकालिक हूँ नहीं मैं #Poetry #Quotes #Life #kavita

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मन को देखो टटोलकर।।

जीवनकाल के उत्तरार्ध पर, मन को मैं हूँ टटोलता,
ज्ञान भिक्षा जो मिली थी, मुख खोल मैं हूँ बोलता।

दीर्घकालिक हूँ नहीं मैं, नश्वरता का कुल बोध है,
अनुभवों की चाभी भर, बन डुगडुगी हूँ डोलता।

ज्ञान का ये दायरा, ना सीमित ना संकुचित हुआ,
वाणी को कर शिरोधार्य, ले ज्ञान-तराजू हूँ तोलता।

विवेक पर कुमति थी भारी, उदंडता अमरत्व पर,
विष मन्थित कंठ धारे, मैं निज को ही हूँ कोसता।

सुचितोचित प्रश्नवाचक, चढ़ दुर्ग था ललकारता,
विनिमयी इस मेले में, निज त्रास को हूँ मोलता।

कंठाग्र जो थी संस्कृति, आंदोलित रही उदगार को,
हो कुपित मनोभाव से, संग शुष्म रक्त हूँ खौलता।

ह्रस्व था या दीर्घ था, मैं दिन था या दीन हुआ अब,
आकंठ क्रंदन-स्वर में डूब, स्याही में नाद हूँ घोलता।

©रजनीश "स्वछंद" मन को देखो टटोलकर।।

जीवनकाल के उत्तरार्ध पर, मन को मैं हूँ टटोलता,
ज्ञान भिक्षा जो मिली थी, मुख खोल मैं हूँ बोलता।

दीर्घकालिक हूँ नहीं मैं

amar gupta

स्वप्न में भी है चित्र तुम्हारे, सुधा तुम्हीं, ये चित्त भी हारे! विरह सखी, त्याग में क्षण क्षण, नयन को अब अश्रु न प्यारे! ये दुख ही मेरी है #yqbaba #yqdidi #प्रिय #महादेवी_वर्मा #yqrestzone #rzhindi #rzकाव्योगिता #rzकाव्योगिता4

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तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या!

स्वप्न में भी है चित्र तुम्हारे,
सुधा तुम्हीं, ये चित्त भी हारे!
विरह सखी, त्याग में क्षण क्षण,
नयन को अब अश्रु न प्यारे!
ये दुख ही मेरी है निधि,
कोई अधिक मनोहर निलय क्या?

कण कण में जीवित तुम मेरे,
श्वासों में, उर, इस दर्पण में,
अब कैसे रहूं पृथक तुम्हीं से?
असीमित, अनन्त हो तुम मुझमें।
कहो ना प्रेम यूहीं बिसुरने
मेरे प्रेम का है कोई प्रतिदेय क्या?

जगते हो नयन में तुम हर बेला
ये विरह क्या, क्या ही मिलन बेला
मै असंग नहीं तुमसे और न तुम
मुझसे, फिर क्यों ये दुख का मेला?
उर मेरा जो है पास तुम्हारे,
हमारे हृदय का हुआ न विनिमय क्या? स्वप्न में भी है चित्र तुम्हारे,
सुधा तुम्हीं, ये चित्त भी हारे!
विरह सखी, त्याग में क्षण क्षण,
नयन को अब अश्रु न प्यारे!
ये दुख ही मेरी है

Shruti Gupta

स्वप्न में भी है चित्र तुम्हारे, सुधा तुम्हीं, ये चित्त भी हारे! विरह सखी, त्याग में क्षण क्षण, नयन को अब अश्रु न प्यारे! ये दुख ही मेरी है #yqbaba #yqdidi #प्रिय #महादेवी_वर्मा #yqrestzone #rzhindi #rzकाव्योगिता #rzकाव्योगिता4

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तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या!

स्वप्न में भी है चित्र तुम्हारे,
सुधा तुम्हीं, ये चित्त भी हारे!
विरह सखी, त्याग में क्षण क्षण,
नयन को अब अश्रु न प्यारे!
ये दुख ही मेरी है निधि,
कोई अधिक मनोहर निलय क्या?

कण कण में जीवित तुम मेरे,
श्वासों में, उर, इस दर्पण में,
अब कैसे रहूं पृथक तुम्हीं से?
असीमित, अनन्त हो तुम मुझमें।
कहो ना प्रेम यूहीं बिसुरने
मेरे प्रेम का है कोई प्रतिदेय क्या?

जगते हो नयन में तुम हर बेला
ये विरह क्या, क्या ही मिलन बेला
मै असंग नहीं तुमसे और न तुम
मुझसे, फिर क्यों ये दुख का मेला?
उर मेरा जो है पास तुम्हारे,
हमारे हृदय का हुआ न विनिमय क्या? स्वप्न में भी है चित्र तुम्हारे,
सुधा तुम्हीं, ये चित्त भी हारे!
विरह सखी, त्याग में क्षण क्षण,
नयन को अब अश्रु न प्यारे!
ये दुख ही मेरी है
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