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Suresh Singh
घास पन भयन होकि गोठ गाइ की यती झल्को के लाग्दो हो घरका साइकी
_Ram_Laxman_
सिरतोन मा बही ये राम के सीता तोला बनाहूं ..। मोर तन मन अऊ मोर हिरदेय मा तोला बसाहूं । अऊ मोर गोठ ला तय कहूँ अनसुना करबे ता पगली मय तोला बिन बिहाय सुन तो फलानिन कइके बलाहूं ।। ©_judwaa_writes_ सिरतोन मा बही ये राम के सीता तोला बनाहूं ..। मोर तन मन अऊ मोर हिरदेय मा तोला बसाहूं । अऊ मोर गोठ ला तय कहूँ अनसुना करबे ता पगली मय तोला ब
_Ram_Laxman_
ये घाम हा अब्बड़ सुहाथे जी । जाड़ मा गोड़ हाथ हा कपकपाथे जी । गोरसी तीर मा बईठ के बाबू दाई, अपन तीर मा आगी तापे बर बलाथे जी । अपन पाछू पुराना गोठ ला दाई बाबू हमन लईका मन करा गोठियाथे जी । उखर गुरतुर गोठ ला सुनके, संगवारी हमर जिवरा हा गदगद हो जाथे जी । कभू कभू तो अपन नान्हे पन के बात ला बताथे जी । हांस हांस के गोठियाथे, अऊ संग मा हमन ला हंसाथे जी । गोरसी तीर मा बईठ के बाबू दाई अपन तीर मा आगी तापे बर बलाथे जी । आगीं तापे बर बलाथे जी । ©_judwaa_writes_ ये घाम हा अब्बड़ सुहाथे जी । जाड़ मा गोड़ हाथ हा कपकपाथे जी । गोरसी तीर मा बईठ के बाबू दाई, अपन तीर मा आगी तापे बर बलाथे जी । अपन पाछू पुरा
Chandar Saud
न घर गोराकी हुनी,,न दशै तिहार। सम्झि सम्झि प्रदेशीले,,रुवाउनु हिया र।। ईजा बा को आशर्बाद नाई,,कुल्याको दर्शन नाई।। सुख भन्नु भाग्या साला,,कत
शब्दिता
मासिक धर्म मासिक धर्म एक सामान्य प्रक्रिया है स्त्री के शरीर की किंतु इस सामान्य प्रक्रिया को न जाने क्यों असामान्य रूप से प्रस्तुत किया गया संसार के स
_Ram_Laxman_
का होगे हे यार,,,,ओला 😟 मोर मयारु हा आज कल मोर से मिलत नई हे,,! बढ़ दिन होगे हावय ओह गांव मा दिखत नई हे,,! अंतस हा कलपत हावय यार ओखर से बात करे बर, फेर ओला मोर सुरता हे कि नई, मोर से बात करत नई हे,,! का होगे हे यार,,,,ओला 😣 मोर से बात करत नई हे,,,! मोर मयारु हा मोर से नाराज हे या फिर मोर से कुछु गलती होगे हावय,,, मोला तनिक भी समझ नई आवत हे यार.. मय का करव,,,! फेर यार मय सिरतोन कहत हव... मोला ओखर बिना अन पानी कुछु सुहावत नई हे,,! सुरता मा ओखर रतिहा मा मोला नींद आवत नई हे,,! का होगे हे यार,,,,ओला ☹️ मोर से बात करत नई हे,,,! ओला मोर कुछु फिकर नई हे तइसे लगथे यार,, काबर कि ओला मोर कहूं फिकर रहितिच ता ना ओह मोला पूछ डारथिस...कि का करत हे मोर मयारु हा कीके, तेन यार ओह तो मोला कुछु पूछत नई हे,,! फेर आज कल का होगे हे यार,,,ओला 🥺 मोर से बात करत नई हे,,,! अऊ यार कभू कभू मस्त अपन गोठे गोठ मा मोर हाल चाल अऊ मोर खयाल रख लत रहिस हे, तेन अब तो हाल चाल तो दूर के बात होगे संगवारी.. काबर कि ओह तो मोर करा फोन काल घलो करत नई हे,,! का होगे हे यार,,,ओला 😭 मोर से बात करत नई हे,,,! ©_Ram_Laxman_ का होगे हे यार,,,,ओला 😟 मोर मयारु हा आज कल मोर से मिलत नई हे,,! बढ़ दिन होगे हावय ओह गांव मा दिखत नई हे,,! अंतस हा कलपत हावय यार ओखर से बात
_Ram_Laxman_
नान पन के सुरता,,,😁🤞🏻 संगवारी हो,,,, जब दाई बाबू मन हा पहली धान मींजे बर, दऊंरी फांदे ना ता बेलन गाड़ी अऊ बईला के संग मा हमन हा पाछु पाछू उलान बादी अड़बड़ खावत रहेंन । अऊ कहुं लुका छुपई खेलना राहय ता धान के पैरा मा लुकावत रहेंन। फेर मजा तब आवय संगवारी, जब हमन हा घाम पियास मा खेलन अऊ धूर्रा माटी मा सनाय राहन ता, ओ समय हमर मन बर न निरमा लगे न साबुन, सिधा तरिया मा जाके जुच्छा पानी भर मा नहावत रहेंन । फेर अऊ जब हमन ला कहूं कोनो डहर जाना राहय ना, ता चाहे ओह कतनो दूरिहा राहय ओ डहर ले हमन चार पांच झन संगवारी अइसने घूम फिर के आवत रहेंन । अऊ हमन हा नान - नान रहे हन ता हमन एकदम ना समझ रहे हन यार,,,, तभे तो जब बाजा बजाय के मन करय ता तेल टिपा ला डंडा धर के बजावत रहेंन । अऊ का बतावव संगवारी....! नान पन के गोठ हा तो सबके अड़बड़ निराला रहिथे । वइसने हमरो मन के निराला रहिस हे..! काबर कि हमर मन के नान नान हाथ गोड़ राहय अऊ बड़े बड़े आमा अमली के पेड़, ता बस खाना राहय ता आमा खाय बर एक के ऊपर एक के कंधा मा चढ़के कच्चा पक्का आमा टोर के सुघ्घर खावत रहेंन । अऊ संगवारी जब हमन ला स्कूल हो या आंगन बाढ़ी, जाना राहय ता ना..ओ समय पहली बेग वेग कुछू नई राहय ता बस कलम अऊ पट्टी ला झोला मा डार के आँगन बाढ़ी अऊ स्कूल हलावत जावत रहेंन । फेर अऊ काला बतावंव संगवारी,,,😎 जब हमन हा नान कुन राहन ता जम्मों चीज मन के मजा ला पावत रहेंन । फेर अब संगवारी उही दिन, उही रात अऊ उही जगह मन के अड़बड़ सुरता आथे यार...☹️ फेर कास,,,, अऊ हमन ला हमर नान पन मिल पातिस संगी..! ता अऊ हमन ला दुबारा खेले कूदे के मौका मिलथिस..। लेकिन अइसे नई हो सकय यार,,, तेखरे सेतिक अपन नान पन के सुरता ला कभू कभू रतिहा म लमावत रहिथन यार..। ©_Ram_Laxman_ हमर नान पन के सुरता,,,😁🤞🏻 संगवारी हो,,,, जब दाई बाबू मन हा पहली धान मींजे बर, दऊंरी फांदे ना ता बेलन गाड़ी अऊ बईला के संग मा हमन हा पाछु पा
_Ram_Laxman_
नान पन के सुरता,,,😁🤞🏻 संगवारी हो,,,, जब दाई बाबू मन हा पहली धान मींजे बर, दऊंरी फांदे ना ता बेलन गाड़ी अऊ बईला के संग मा हमन हा पाछु पाछू उलान बादी अड़बड़ खावत रहेंन । अऊ कहुं लुका छुपई खेलना राहय ता धान के पैरा मा लुकावत रहेंन। फेर मजा तब आवय संगवारी, जब हमन हा घाम पियास मा खेलन अऊ धूर्रा माटी मा सनाय राहन ता, ओ समय हमर मन बर न निरमा लगे न साबुन, सिधा तरिया मा जाके जुच्छा पानी भर मा नहावत रहेंन । फेर अऊ जब हमन ला कहूं कोनो डहर जाना राहय ना, ता चाहे ओह कतनो दूरिहा राहय ओ डहर ले हमन चार पांच झन संगवारी अइसने घूम फिर के आवत रहेंन । अऊ हमन हा नान - नान रहे हन ता हमन एकदम ना समझ रहे हन यार,,,, तभे तो जब बाजा बजाय के मन करय ता तेल टिपा ला डंडा धर के बजावत रहेंन । अऊ का बतावव संगवारी....! नान पन के गोठ हा तो सबके अड़बड़ निराला रहिथे । वइसने हमरो मन के निराला रहिस हे..! काबर कि हमर मन के नान नान हाथ गोड़ राहय अऊ बड़े बड़े आमा अमली के पेड़ मन राहय, ता बस खाना राहय ता आमा खाय बर एक के ऊपर एक के कंधा मा चढ़के कच्चा पक्का आमा टोर के सुघ्घर बईठ के छईहां मा खावत रहेंन । अऊ संगवारी जब हमन ला स्कूल हो या आंगन बाढ़ी, जाना राहय ता ना..ओ समय पहली बेग वेग कुछू नई राहय ता बस कलम अऊ पट्टी ला झोला मा डार के आँगन बाढ़ी अऊ स्कूल हलावत जावत रहेंन । फेर अऊ संगवारी,,,😎 जब हमन हा नान कुन राहन ता जम्मों चीज मन के मजा ला पावत रहेंन । फेर अब संगवारी उही दिन, उही रात अऊ उही जगह मन के अड़बड़ सुरता आथे यार...☹️ फेर कास,,,, अऊ हमन ला हमर नान पन मिल पातिस संगी..! ता अऊ हमन ला दुबारा खेले कूदे के मौका मिलथिस..। लेकिन अइसे नई हो सकय यार,,, तेखरे सेतिक अपन नान पन के सुरता ला कभू कभू रतिहा म लमावत रहिथन यार..😐 ©_Ram_Laxman_ नान पन के सुरता,,,😁🤞🏻 संगवारी हो,,,, जब दाई बाबू मन हा पहली धान मींजे बर, दऊंरी फांदे ना ता बेलन गाड़ी अऊ बईला के संग मा हमन हा पाछु पाछू उ
sandy
"हो.. त्यांच्या गौरी वाघाने नेल्या .." प्रत्येक वेळी ती आईला, आजीला विचारायची.. सगळ्यांच्या घरी गौरी गणपती असतात.. आपल्या घरी का नाही येत