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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- ख्वाब आँखों में क्या पला था तब । छोड़कर जब सनम गया था तब ।।१ खत वहीं पे जला दिया था तब । बेवफ़ा जब सनम हुआ था तब ।।२ वक्त पे मैं पहुँच नहीं पाया । प्यार नीलाम हो चुका था तब ।।३ फासला चाह के किया उसने । प्यार का सिलसिला रुका था तब ।।४ कैसे कर ले यकीं सितमगर पे । उसकी हर बात में दगा था तब ।।५ राह कोई नजर न थी आती । पास कुछ भी न तो बचा था तब ।।६ खेल हम जाते जान की बाजी । साथ कोई नही खड़ा था तब ।।७ अब तो आँखों से बस बहे पानी । जख्म़ ऐसा हमें मिला था तब ।।८ दिल का सौदा करें प्रखर कैसे । प्यार में ही ठगा गया था तब ।।९ ०६/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- ख्वाब आँखों में क्या पला था तब । छोड़कर जब सनम गया था तब ।।१ खत वहीं पे जला दिया था तब ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल दीप यादों के जलाकर देख लो । प्यार से हमको बुलाकर देख लो ।। दौड़ आयें एक ही आवाज में । जब करे दिल आजमा कर देख लो ।। ये वतन तो आज अपनी शान है । तुम तिरंगा अब उढ़ाकर देख लो ।। हो अगर दुश्मन हमारे सामने । जान की बाजी लगाकर देख लो ।। जान भी कुर्बान हँसकर हम करें । तो अभी गर्दन झुकाकर देख लो ।। मातु अपनी भारती प्यारी मुझे । तुम कभी जादू चला कर देख लो ।। जिस तरह से घात दुश्मन कर रहा । चाल अपनी तुम चलाकर देख लो ।। आज पुलवामा शहीदों का दिवस । फूल चरणों में चढ़ा कर देख लो ।। अश्रु लेकर अब प्रखर लिख लो ग़ज़ल । और महफ़िल में सुनाकर देख लो ।। १५/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दीप यादों के जलाकर देख लो । प्यार से हमको बुलाकर देख लो ।। दौड़ आयें एक ही आवाज में । जब करे दिल आजमा कर देख लो ।। ये वतन तो आज अपनी शान है
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल दीप यादों के जलाकर देख लो । प्यार से हमको बुलाकर देख लो ।। दौड़ आयेंगे एक ही आवाज में । जब करे दिल आजमा के देख लो ।। ये वतन तो आज अपनी शान है । है कफ़न अपना तिरंगा देख लो ।। हो अगर दुश्मन हमारे सामने । जान की बाजी लगाते देख लो ।। जान भी कुर्बान हँसकर हम करें । मातु से है प्रेम इतना देख लो ।। मातु अपनी भारती अपनी यहाँ । भूलता ही मैं नहीं तुम देख लो ।। जिस तरह से घात दुश्मन कर रहा । वार तुम ये आज अपना देख लो ।। आज पुलवामा शहीदों का दिवस । पीठ खंजर है चुभा ये देख लो ।। अश्रु लेकर कर प्रखर करता नमन । वीर वो माँ लाल के हैं देख लो ।। १५/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दीप यादों के जलाकर देख लो । प्यार से हमको बुलाकर देख लो ।। दौड़ आयेंगे एक ही आवाज में । जब करे दिल आजमा के देख लो ।।
Instagram id @kavi_neetesh
मैं तराशता रहा खुद को हर बार हर हिसाब से, और जीत गई वो बाजी जो लगी थी अपने ही हिसाब से।। कई मर्तबा हुआ, दुखा,दिल, रोया भी बहुत, पर जंग जीत गया मैं लड़ाई जो खिलाफ थी मेरे जमीर के लिहाज से।। वो तोड़कर भी सब अरमान अपने मैं लिपटा रहा उनकी रहनुमाई मे, और इक वो थे कि गिला रखते रहे कि मैं बदला ही न वैसे रख उनके नकाब से।। गर्त दर गर्त, परत दर परत मोटी चढ़ती ही गई, मेरे लिहाफ पे, तब भी शिकायत रही सभी को मुझी से,कि की नही कुछ बदला उनके अंदाज से।। शिकायत वाजिब होगी रही उनके भी अपने मुकाम से, कि बदलते रहे वो चेहरे पर चेहरे,रख जुदा अपने ही ख्वाब वे।। अब लौटना मुमकिन भी न रहा बदल चुका हूँ,इस खिताब से, कि जिंदगी जी ही नही मैंने कही उनके हिसाब से।। ©Instagram id @kavi_neetesh मैं तराशता रहा खुद को हर बार हर हिसाब से, और जीत गई वो बाजी जो लगी थी अपने ही हिसाब से।। कई मर्तबा हुआ, दुखा,दिल, रोया भी बहुत, पर जंग जीत
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
प्यार अपना वो अमर बताते हैं । साथ जो भी उम्र भर निभाते हैं ।। १ हो गया राम मय अवध अपना । सब यही अब खबर सुनाते हैं ।। २ जिनकी फितरत जुदा रही हमसे । देख लो वो नज़र मिलाते हैं ।। ३ राह जिनको नहीं पता अपनी । वो हमें अब डगर दिखाते हैं ।। ४ तुम हमारी वफ़ा नहीं भूलो । प्यार में जो फ़िकर जताते हैं ।। ५ जीत कर बाजी वो मुहब्बत की । प्यार का अब असर दिखाते हैं ।। ६ जो प्रखर का हुआ नहीं अब तक । सब उसे हमसफ़र बताते हैं ।। ७ ३०/०१/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR प्यार अपना वो अमर बताते हैं । साथ जो भी उम्र भर निभाते हैं ।। १ हो गया राम मय अवध अपना । सब यही अब खबर सुनाते हैं ।। २ जिनकी फितरत जुदा रह
Poet Kuldeep Singh Ruhela
मेरे देश के वीर जवानों तुमको ये अभिमान रहे किया जो तुमने वतन के लिए ये लोग को याद रहे खेलने की उम्र में जो तुमने शमशीरे उठाई थी वतन की खातिर अपनी जान की बाजी लगाई थी भूल नही सकते है हम उन वीर शहीदो को जिसने अपने सीने पर गोरों से गोली खाई थी हस्तें हस्तें जिन वीरों ने फांसी के फंदे को चूमा था आओ मिलके उनकी शहादत को नमन करे! ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #RepublicDay मेरे देश के वीर जवानों तुमको ये अभिमान रहे किया जो तुमने वतन के लिए ये लोग को याद रहे खेलने की उम्र में जो तुमने शमशीरे उठाई थ
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- अब गरीबी में भी सिर उठा के चलो । आप बीती सभी से छुपा के चलो ।।२ दीद उनके भी फिर यार होते कहाँ । यार दिल में जिन्हे तुम बसा के चलो ।।२ खोज लेंगे तुम्हें एक दिन खुद सभी । फासला तुम अभी तो बना के चलो ।।३ जल उठेंगे सभी फिर तुम्हें देखकर । तुम जरा सा उधर मुस्कुरा के चलो ।।४ और कितना चले यार पीछे बता । तुम कभी तो नजर ये मिला के चलो ।५ जीत जायेंगे बाजी यूँ ही एक दिन । तुम कदम जो सनम फिर मिला के चलो ।।६ देख जाते हुए कह गया था प्रखर । प्यार दिल से हमारा मिटा के चलो ।।७ २३/०१/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अब गरीबी में भी सिर उठा के चलो । आप बीती सभी से छुपा के चलो ।।२ दीद उनके भी फिर यार होते कहाँ । यार दिल में जिन्हे तुम बसा के चलो ।।२
Poetic.Overthinker
Rajnish Shrivastava
कहते थे जो कभी हमसे कि हम तो बस तुम्हारे हैं । नजर अब वो नहीं आते हम जबसे बाजी हारे हैं ।। ©Rajnish Shrivastava # बाजी