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Babita Kumari
एक ख़्वाब देखा है मैंने,की कुछ पल बिताए हम तुम्हारे साथ एक नदी के किनारे गुजारे, हाथों में तुम्हारा हाथ हो,और बतियाते रहें हम तुम्हारे कांधे के सहारे हमारे चेहरे पर जो आए हमारी जुल्फें, तुम बड़े ही प्यार से उन्हें अपने हाथों से हटाए तुम मेरी जिंदगी हो,और तुम्हारे बिना मेरा वजूद नहीं कहो तुम प्यार से,और हम पलके झुकाए मुस्कुराए माथा चूम तू मेरा, मुझे सीने से लगाए आंखों ही आंखों में तू करे मुझ से हजारों बात सांझा करे अपने जज़्बात तेरे दिल की धड़कन, महसूस करू में तेरी बांहों में आंखे बन्द कर अपनी , महसूस करू तेरे प्यार को घुल जाऊं तेरी सांसों में ओर यूं ही नींद आ जाए मुझे तेरी बाहों में महफूज़ महसूस करते है खुद को तेरी बाहों में तू मेरा सिर्फ मेरा मेरी आबरू का रक्षक खुले जो आँख मेरी , कह जाए तुझ से ओर रोते रोते तुझे हम सीने से लगाए ©Babita Kumari #woaurmain #रिवर #, love pramodini mohapatra neha gaTTubaba KhaultiSyahi ANSARI ANSARI pramod malakar Raj Yaduvanshi –Varsha Shukla ad sa
Shree
शीर्षक/Caption: ले चलो मुझे... बस और मन में नहीं दब सकती...! मुझे चाहिए... अब वो गोदावरी का तट, और साबरमती रिवर फ्रंट, सागर की वो अधसोई लहरें और उन लहरों का शोर, दे दो मुझ
Vandana
"जिस इंसान को बहुत दर्द और असहनीय पीड़ा मिल चुकी है वह इंसान कभी किसी को दर्द नहीं दे सकता और उस इंसान के लिए पैसा और शोहरत कोई मायने नहीं रखती,,, जो इंसान संवेदनशील हो जाता है क्योंकि वह हर दर्द और पीड़ा से गुजर जाता है शायद दुख भी जरूरी है इंसान के लिए,,, इस स्टोरी को पढ़कर आपको शायद
Meenakshi Sethi
उस पार न जाने क्या होगा! (Read In Caption) उस पार न जाने क्या होगा! प्यार यहीं तकरार यहीं उस पार न जाने क्या होगा? इनकार यहीं इज़हार यहीं उस पार न जाने क्या होगा? तेरा मेरा ये शिक
vasundhara pandey
तुम्हारी प्रीत की पात्रता में मैं ही क्यूँ अपात्र हुयी तुम्हें ढ़ूंढ़ती फिर रहीं हूँ यहाँ भीड़ में हर परछाईं में बस तुम नज़र आते हो यहाँ मेघ में पुरवाई में नज़र तो यूँ खुद को भी लगी पर तुम पर जो लग
Aprasil mishra
"जलप्लावन : शैवालिनि(नदी) पीड़ा" ( अनुशीर्षक👇) ********************************* पीड़ायें तो पीड़ायें हैं विह्वल पीड़ायें क्या जाने, है हिमनद में यों तपी देह कि वह बह बह कर ही म
ASHUTOSH Maurya
देखना है तो हमारे साथ चलो, किसी दरिया किनारे साथ चलो, शहरों के लोग सब पत्थर हुए हैं छोड़ कर ये नजारे साथ चलो, ©ASHUTOSH 'ASHU' #Missing #रिवर
Agrawal Vinay Vinayak
सेना का सम्मान [Read Caption] मातृभूमि को कर नमन कर्तब्य पथ पर चल रहा, दिव्यता का तेज जिनके मुख पर जल रहा, हजारों मुश्किलें हैं, षड़यंत्र हैं, दुश्वारियाँ हैं एक उनके
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat रोसोडें में कौन हैं वहीं मेरे हाथों की हल्दी हैं जो अरमानों से सजाई आई हैं SEE CAPTION #lifequotes #women #zindagi #yqbaba #yqdidi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat रोसोडें में कौन हैं वहीं मेरे हाथों की हल्दी हैं जो अरमानों
तेजस
आज फिर एकदम से अंतरात्मा चौंका है, पर्यावरण दिवस है भाई, अच्छा मौका है। कुछ करूँ कुछ लिखूँ सुबह से इसमें जुटा था, तभी से जब AC बंद कर के बिस्तर से उठा था। मैं भी तो प्रकृति प्रेमी हूँ ख्याल आया, कुछ लिखने को मैं कलम उठाया। 20-30 पन्ने फाड़ा, कुछ ढंग का नहीं लिखाया, टिश्यू पेपर से लगातार पसीना सुखाया। जाने कितने पेड़ों को काट कर ये पेपर बने होंगे, अंत में 'सेव पेपर सेव इन्वरामेन्ट' भी लिखने होंगे। लेकिन पसीने का क्या किया जाए, टिश्यू पेपर के बिना कैसे जिया जाए? बिना AC के अब रहा नहीं जा रहा है, पता नहीं कौन ग्लोबल वार्मिंग बढ़ा रहा है। पर्यावरण दिवस पर लिखने में इतनी समस्या है, लिखने से मेरा मन अब उकता सा गया है। सोच रहा स्विमिंग पूल में एक डुबकी लगाने की, फिर दो लाइन लिखूँगा पानी बचाने की। चलो लिखना छोड़ के कुछ कर ही लेता हूँ, जो कचरा जमा है उठा के नदी में बहा देता हूँ। स्वच्छता में थोड़ा अपना भी योगदान दूँ, 'क्लीन रिवर' पर फिर थोड़ा ज्ञान दूँ। पर्यावरण को बचाने के लिए क्या इतना नहीं काफी है? कि मुझमें अभी भी पर्यावरण की बहुत चिंता बाकी है। ©तेजस आज फिर एकदम से अंतरात्मा चौंका है, पर्यावरण दिवस है भाई, अच्छा मौका है। कुछ करूँ कुछ लिखूँ सुबह से इसमें जुटा था, तभी से जब AC बंद कर के बिस