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kavi manish mann

२१२.....२१२......२१२........२१२ #मौर्यवंशी_मनीष_मन #ग़ज़ल_मन

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मन के कमरे में कुछ रौशनी रह गई।
याद की एक खिड़की खुली रह गई।

सौम्यता  देख  मैं   देखता  रह गया,
मुग्धता  देख  वो  भी खड़ी रह गई।

एक  भंँवरे ने  पूंँछा  कली से   प्रिय,
कुछ बता तो सही क्या कमी रह गई।

प्रेम नयनों ने नयनों से जाहिर किया,
याद  कुछ  ना रहा  सादगी रह गई।

मेघ  सा  मैं  गगन में  घुमड़ता  रहा,
वो  धरा सी  मुझे  ताकती  रह गई।

मैं मुसाफिर था आगे ही बढ़ता गया,
देखती  दूर  तक  सांवरी  रह  गई।

वो चली  तो गई  रूठकर  छोड़कर,
पास लेकिन चुनर मखमली रह गई। २१२.....२१२......२१२........२१२

#मौर्यवंशी_मनीष_मन #ग़ज़ल_मन

परिंदा

२१२२ २१२२ २१२ #rain #शायरी

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हर दफ़ा हमने तो सच को सच कहा
लोग  अपने  झूठ  पर  फलते  रहे

ज़िद थी के अब आसमां छूना है बस
हम  "परिंदे"  ज़ख़्मी  हो  बलते  रहे

©Jitendra Verma "परिंदा" २१२२ २१२२ २१२
#rain

Madhu Madhubala

एक ग़ज़ल आप सबकी नज़्र बहर २१२२-२१२२-२१२२-२१२

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दिल लगाकर दिल को मेरे यार तोड़ा किसलिये
गर हमारा हाथ थामा हाथ छोड़ा किसलिये

तुम ये कहते थे कि पलभर दूर रह सकते नहीं 
फिर ये बरसों का दिया मुझको बिछोडा किसलिये

लाख तूफानों के चलते हार  हम माने नहीं
फिर किनारे आपने कश्ती को मोड़ा किसलिये
    
गैर को अपना बनाके आप धोखा दे गए 
प्यार का हमसे ये रिश्ता जान जोड़ा किसलिये   
 
छोड़ दे *मधु * तू  गलत  बन्दों से अब राब्ता 
टूटने पर दिल ये आमादा निगोड़ा किसलिये
"मधु मधुबाला"

                       

 एक ग़ज़ल आप सबकी नज़्र
बहर २१२२-२१२२-२१२२-२१२

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा कुररिका छन्द विधान - नगण रगण गुरु गुरु १११ २१२ २२ प्रति चरण ८ वर्ण दो-दो चरण समतुकांत पवन दूत है भारी । उजड़ वाटिका सारी ।। प #dost #कविता

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विधा     कुररिका छन्द 
विधान - नगण रगण गुरु गुरु 
१११  २१२   २२
प्रति चरण ८ वर्ण दो-दो चरण समतुकांत 

पवन दूत है भारी ।
उजड़ वाटिका सारी ।।
पलट जारि के लंका ।
कहत राम  पे शंका ।।१

उछल कूद है भारी ।
जलज सेतु है जारी ।।
हरिप्रिया सिया नैना ।
सिय लखै लगी रैना ।।२
१५/०९/२०२२  - महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा     कुररिका छन्द 
विधान - नगण रगण गुरु गुरु 
१११  २१२   २२
प्रति चरण ८ वर्ण दो-दो चरण समतुकांत 

पवन दूत है भारी ।
उजड़ वाटिका सारी ।।
प

Archana Tiwari Tanuja

#gazal HindiNojoto #shayri #NojotoFilms #Hindi #urdu #MyThoughts 13/06/2023 ग़ज़ल :- है भरम तेरा... वज़्न-: २१२ २१२ २१२२१२ #nojotohindi #शायरी

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Bharat Bhushan pathak

#chandikachhand चंडिका छंद :-यह एक सममात्रिक छंद है जिसका विधान १३ मात्राएं पदांत रा ज भा (२१२) अनिवार्य है।  हिन्दी बिन्दी हिन्द की। प्रा #Poetry

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सीता छन्द मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२ वर्ण :-  १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते । #कविता

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सीता छन्द
मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२
वर्ण :-  १५
राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।
प्रीति के जो हैं सतायें ईश को ही ढूढ़ते ।।
लोग क्यों माने बुरा जो आपसे ही प्रेम है ।
आपके तो संग मेरी ज़िन्दगी ही क्षेम है ।।
१
भूल जाये आपको ऐसा कभी होगा नहीं ।
दूर हूँगा आपसे ऐसा कभी सोचा नहीं ।।
प्रीति तेरी है बसी वो रक्त के प्रावाह में ।
खोज पाता है नहीं संसार मेरी आह में ।।
२
प्रीति का व्यापार तो होता नहीं था देख लो ।
प्रीति में कैसे हुआ है सोंच के ही देख लो ।।
प्रेम में तो हारना है लोग ये हैं भूलते ।
जीत ले वो प्रेम को ये बाट ऐसी ढूढ़ते ।।
३
प्रेम कोई जीत ले देखो नही है वस्तु ये ।
प्रेम में तो हार के होता नही है अस्तु ये ।।
प्रेम का तो आज भी होता वहीं से मेल है ।
प्रीत जो पाके कहे लागे नहीं वो जेल है  ।।
०१/०४/२०२४  -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सीता छन्द

मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२

वर्ण :-  १५

राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।

Ravi Gupta(RT)

++ग़ज़ल ++(२२१ २१२१ १२२१ २१२ ) कुछ इस तरह से ज़िंदगी भर बेख़ुदी रही दरिया के पास होते हुए तिश्नगी रही ** दुनिया के रंज-ओ-ग़म से न आज़ाद हम हुए

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++ग़ज़ल ++(२२१ २१२१ १२२१ २१२ )
कुछ इस तरह से ज़िंदगी भर  बेख़ुदी रही 
दरिया के पास होते हुए तिश्नगी रही 
**
दुनिया के रंज-ओ-ग़म से न  आज़ाद हम हुए 
फ़ितरत में पर फ़क़ीर सी  आवारगी रही 
**
सुनने को मुंतज़िर थे जो हम बात आपसे 
वो आपके लबों से मगर अनकही रही 
**
चलने को साथ भी चले कुछ दूर हम सनम 
लेकिन दिलों के दरमियाँ दूरी  बनी रही 
**
क़िस्मत की बात मत करें  उससे तो ज़ीस्त में 
कोई भी हो मुआमला नाराज़गी रही 
***
समझूँ इसे ख़ुदा की इनायत   कि  मौजिज़ा*(चमत्कार ) 
इस दिल में शम'अ प्यार की हर पल जली रही 
**
शायद ही कोई शख़्स रहेगा सुकून से 
जिसकी ज़र-ओ-ज़मीन पे दीवानगी  रही 
**
उम्मीद उस से क्या करें मुफ़लिस पे रहम की 
जिसकी रिदा जनम से अगर  मखमली रही 
**
जुल्म-ओ-सितम को देख के ख़ामोश रह गए  
फिर क्या 'तुरंत' आपकी ये शाइरी रही 
**
रवि गुप्ता RT ++ग़ज़ल ++(२२१ २१२१ १२२१ २१२ )
कुछ इस तरह से ज़िंदगी भर  बेख़ुदी रही 
दरिया के पास होते हुए तिश्नगी रही 
**
दुनिया के रंज-ओ-ग़म से न  आज़ाद हम हुए

राजकारण

सोलापूर : राज्याच्या पोलिस महासंचालकांनी १२९ पोलिस निरीक्षकांसह तब्बल २१२ उपनिरीक्षकांच्या बदल्यांचे आदेश काढले आहेत. त्यात सोलापूर शहरातील #मराठीविचार

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल २२१ २१२१ १२२१ २१२ हम पाँव इस जमीं पर टिकाए हुए तो हैं । पर आस चाँद की भी लगाए हुए तो हैं ।।१ हैरान हो के क्यों हमें तुम देखते हो अ #शायरी

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ग़ज़ल
२२१  २१२१   १२२१   २१२
हम पाँव इस जमीं पर टिकाए हुए तो हैं ।
पर आस चाँद की भी लगाए हुए तो हैं ।।१

हैरान हो के क्यों हमें तुम देखते हो अब
हम भी तुम्हारी दीद को आए हुए तो हैं ।।२

होकर जुदा भी हम हैं अभी तक जुदा नहीं
धड़कन तुम्हें दिलों की बनाए हुए तो हैं ।।३

 कहते जिसे रहे हैं  जन्नत की हूर हम 
वह घर हमारे आज आए हुए तो हैं ।।४

हम छोड़ दे वतन को वह हैं फिराक में ।
दोषी हमें यहाँ वह बताए हुए तो हैं ।।५

कोई कमी नहीं अब स्वागत में आपके
हम इंतजाम़ इतने जुटाए हुए तो हैं ।।६

घर से कदम निकाला मिल जाए रोटियाँ ।
इस वास्ते नगर हम आए हुए तो हैं ।।७

सुलझा न पा रहे यहाँ किस्मत की रेख को 
कुछ जख़्म इस तरह से सताए हुए तो हैं ।।८

किस बात की करूँ मैं उनसे प्रखर सुलह ।
वो दुश्मनी अभी भी निभाए हुए तो हैं ।।९

  १८/०७/२०२३   -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल
२२१  २१२१   १२२१   २१२
हम पाँव इस जमीं पर टिकाए हुए तो हैं ।
पर आस चाँद की भी लगाए हुए तो हैं ।।१

हैरान हो के क्यों हमें तुम देखते हो अ
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