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Praveen Jain "पल्लव"
प्रकृति की गोद में पल्लव की डायरी मानव आवरण की संरचना प्रकृति का सोपान है हर अंगों और सांसो का पल पल होता कदम ताल है आनंदित जीवन मे रहने का निशुल्क वरदान है हर मौसम की छटा का रसपान करे इसमें जीने का अलग अंदाज है पंचतत्व की रचना में देह बनी प्रकृति का अहसान है मत उजाड़ो लालचों में ना भरो धुँआ हवा में जहरीला ना पर्वत पेड़ो को काँटो अगर सांसो को निरंतर लेना हे तो प्रकृति की गोद मे ऑक्सीजन का अकूत भंडार है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #AdhureVakya अगर सांसो को लेना है तो प्रकृति के पास ऑक्सीजन का अकूत भंडार है #AdhureVakya
vishnu prabhakar singh
'अकूत' मौज नहीं है कथित सजगता ने उसे खा लिया है निवाला नहीं है मौज दायरा विहिन है मौज आचरण तारत्मयता जिसे भ्रष्ट करती हो वो मौज, नहीं है ! शून्य के साथ है मौज ऊँचाई की पराकाष्ठा है मौज यह युग नहीं है इस दिवा का अर्थ आधार भी खो चुका है मौज तृष्णा बन कर रह गया बेचारा अंश चाहिये तो मृत्यू होगी अनेक डर है मौज नहीं है ! निभाया नहीं जा सकता मौज अभ्यास से प्रभाव विहिन हो जाता मौज मौज नहीं तो मौज की संभावना भर मस्ती नहीं है मौज निर्वाण के समकक्ष वाला स्वर्ण स्तम्भ छटकता य़ायावरी ब्रह्म से घिरा पदम विभूषण है मौज अलंकार नहीं है मौज नहीं है, अभी चरम पर गया हुआ है ! मौज प्रेम है अखंडता है, जीवंत है, कगार है लक्ष्य है चाहत, संतुष्टी नहीं है मौज विकास है मौज करूणा है मौज अहिंसा है मौज कविता है मौज अद्भूत सरिता है मौज आज सामुहिकता खास है मौज सबका साथ सबका विकास है मौज !! पुनः प्रकाशित। अकूत मौज नहीं है कथित सजगता ने उसे खा लिया है
Sugandh Mishra
मुक्ति की अभिलाषा - एक आत्मसंवाद Full poetry in caption आत्मसंवाद मृग भटके वन वन पर कस्तूरी ना पाए , एक सुगंध की चाह में , चन्हुओर दौड़ लगाए । १ हर आकांक्षा पूर्
धीरज झा
दुनिया में सबसे अमीर कौन है ? किसके पास है अकूत सम्पत्ति कौन है जिसकी दौलत कम नहीं होती रुपये पैसे कम हो सकते हैं सोना चांदी चोरी हो सकता है फिर भला कौन सि दौलत है जो सुरक्षित है ? वो लोग जिन्हें ट्रेन की आवाज़ केवल एक शोर नहीं लगती बल्कि वे इसमें भी ढूंढ लेते हैं संगीत वे लोग जिनके लिए दिन निकलने का मतलब सिर्फ तारीख बदलना नहीं होता बल्कि ये होता है प्रकृति का खूबसूरत नज़राना जिनके लिए बेजुबान केवल जानवर नहीं होते बल्कि होते हैं हमारी आपकी तरह ही जिन्हें भूख लगती है प्यास लगती है और आपके मारने पर लगती है चोट जिनकी आंखों के कोर पर आंसू की बूंदें पके आम सी लटकती रहती हैं और धप्प से गिर जाती हैं ये बूंदें किसी की तकलीफ देख कर जिनके लिए किसी का रोना अपने रोने जितना ही दुखदाई होता है जिनके सिर मरघट के आगे गुज़रते हुए अपने आप झुक जाया करते हैं जो लोग महसूस सकते हैं आसमान में सितारों के बीच चमकते चांद का अकेलापन जिन्हें महीने में एक दिन चांद का आसमान से गायब रहना आम नहीं लगता जो समझते हैं चांद इस एक दिन छुट्टी लेता है खुल कर रोने के लिए वे कुछ लोग जिन्हें बाक़ी सब पागल, नादान, नासमझ और ना जाने क्या क्या कहते हैं वही लोग असल मायने में दुनिया के सबसे अमीर लोग हैं इनकी दौलत पर कोई इनकम टेक्स का छापा नहीं पड़ता इनकी दौलत कभी जुए में हारी नहीं जा सकती इनका धन कभी कोई चोरी नहीं कर सकता इस अमीर लोगों को मिलती रहे हिम्मत इन लोगों का बढ़ता रहे हौसला इन लोगों की बनी रहे मुस्कुराहट क्योंकि दुनिया इन्हीं की दौलत से है अमीर ❤❤❤❤❤❤❤❤❤ धीरज झा #कौन_है_सबसे_अमीर ? दुनिया में सबसे अमीर कौन है ? किसके पास है अकूत सम्पत्ति कौन है जिसकी दौलत कम नहीं होती रुपये पैसे कम हो सकते हैं सोन
... मोलिका
सुनों, मुझे करनी है मोहब्बत तुमसे, ऐसी.. अनंत तक, अनंत के बाद भी..!! (Read in caption...) सुनों, मुझे करनी है मोहब्बत तुमसे, ऐसी, जैसी गौरी ने की थी, शिव से.., वैसे तो हलाहल धारी जग कहता है इन्हें, पर पिया था अकूत विष, सती ने भी,
Aprasil mishra
"वैश्विक समाज की शवाधान प्रणालियों में अन्तर एवं उनकी ऐतिहसिक पृष्ठभूमियाँ : जमींन-जिहाद के आलोक में।" **************************************** वैश्विक समाज में जनगत मानसिकता आज जिस तरह साम्प्रदायिक चरमपंथ में वैमनस्य का शिकार हो