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Praveen verm
बादलों ने पैगाम भेजा है,ये समा तेरे ही नाम भेजा है। आजा लग जा गले ये जिंदगी,वर्षा से पूरी जिंदगी का अरमान मागा है।। ©Praveen verm वर्षा रानी
Tara Chandra
आओ प्यारी, वर्षा रानी, खूब भिगाओ, बरसा पानी।। कोई जगह धरा ना सूखे, वृक्ष कोई प्यासा ना दिखे, तृप्त करो तुम जन-जीवन को, आकर समय-समय महारानी।। पशु-पक्षी सबको तुम भाती, नदी तरंगित हो इतराती, पंछी गाते मीठी सरगम, जब तुम अमृत रस बरसाती।। बच्चों का मन तुम हर लेती, भिगा-भिगो कर खुश कर देती, तुम्हें निहारे सारे बच्चे, दादा-दादी, नाना-नानी।। तुमसे मौसम बने सुहाना, मन भाता है मीठा खाना, सरदी में तुम ठिठुरा देती, गरमी में तुम ज्यादा आना।। ©Tara Chandra Kandpal आओ प्यारी वर्षा रानी.... #Smile
S. Bhaskar
वर्षा रानी वर्षा रानी बड़ी सयानी, घिर घिर से फिर से चली आई, देखो इसके चक्कर में, छाता पकड़ ससुराल पहुंचा बादल जमाई। आओ भगत तो खूब हुई है, दौड़ दौड़ सब करते खूब बड़ाई, वर्षा दीदी बड़ी खुश हुई देख भीगा आंगन, उनके आने से ही तो है खेत लहलहाई। आकाश पापा कहते की बिटिया थोड़ा और रुक जाओ, और घर में ठहराते है खुद के जमाई, बदल पाहुन भी गदराए और बड़ा मुस्कुराए, वर्षा जी भी इतना सम्मान देख बहुत खूब मुसकाई। अब दिन ढल गया पर दीदी की जाने का मन नहीं, बच्चे घर के बाहर भीग रहे और अन्दर लेता जमाई, बाप के कहने और धरती मां पर बरसी वर्सा रानी, अब चाहे कुछ भी कर लो छोड़ के ना जाऊंगी चारपाई। अब कोसने लगे है सब अब तो लौट जाओ, देखो तुम्हारा ससुराल तरस गया है, मायके में तुमने बहुत आफत कर दी, अब तो चली जाओ संग अपने जमाई। जमाई राजा तुम्हीं कुछ समझाओ, मेरी बिटिया को अपने घर ले जाओ, अब अगले साल आना खुद बड़ाई करेंगे, चले जाओ जो कहोगे वो बिदाई करेंगे। वर्षा रानी #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #yqdada #yqhindi #yqbhaskar
Nisheeth pandey
#FourLinePoetry वर्षा रानी सोचती उडूं उडूं दूर धरा तक मैं जाऊं.... फिर ये सोच भय सताती वापस कैसे आऊँगी.... फिर बिजली चमकी बादल मचला जोर से गरजा जाने क्या सुझा... फिसला पाँव घबराई तबराई गिरने बरसने लगी धरा धर वर्षा रानी ..... 🤔#निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey वर्षा रानी सोचती उडूं उडूं दूर धरा तक मैं जाऊं.... फिर ये सोच भय सताती वापस कैसे आऊँगी.... फिर बिजली चमकी बादल मचला जोर से गरजा जाने क्या
Sadhana singh
वर्षा रानी आओ आओ वर्षा रानी नभ से फिर बरसाओ पानी बादलों को संग लेकर सबका दिल हर्षाओं रानी आओ आओ वर्षा रानी। बिजुरी चमके चम चमा चम मेघा गरजे घनन घन-घन बोले पपीहा,कोयल गाए और पंक्षी चहके-चहके आओ आओ वर्षा रानी। सावन बरसे झम झमा झम मन मयूरी नाचे छम-छम बोले कंगन,पायल गाए और चितवन चहके-चहके आओ आओ वर्षा रानी नभ से फिर बरसाओ पानी। ©Sadhana singh #OneSeason वर्षा रानी #Nojoto #nojothindi #NojotoFamily #nojotonews # Abha Anokhi Sanju Singh Adv Rakesh Kumar Soni Chandrawati Murlidh
Shravan Goud
दशा चाहे शनि की हो या गुरु की नियत सही रहना चाहिए। फ़िर कैसे लिख पाता भला परसों वर्षा रानी का गुणु गा रहा था उन्होने ही भींगो दिया अब अब OMG के एक्टर परेश रावलकी तरह किसपे केस ठोकु 😃😃😃😃😃😃😃
Kulbhushan Arora
लो भई, मई भी गई 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼 लो भई.... मई भी गई, बहुत दी इसने... उदासी की धूल, ऐसे ऐसे दर्द,.... ना पाएं हम भूल, आया है जून.... लायेगे मानसू
Krish Vj
आनन पर हैं सूरज की लाली माथे पर चँदा चमकता है आफ़ताब और माहताब के नगीनों से गला दमकता है प्रकृति रानी का भाल सुशोभित हिम-पर्वतो से होता है पैरों में शोभित होती वन उपवन की पायल छनकाती है खिले है रंग बिरंगे फूल ,खुशबू से अपनी मन महकाते है अनगिनत सुंदर पशु पक्षी, सुंदरता में चार चाँद लगाते है कल-कल नदियां बहती सागर उमड़ घुमड़ फिर आता है मेघराज मल्हार है गाते, वर्षा रानी का नृत्य फिर आता है कंचन सी काया दमकती, अनमोल हीरे-मोती सुहाते है जो निहारता सुंदरता इसकी नयन सुकून से भर आते हैं प्रकृति की सुन्दरता कविता आनन पर हैं सूरज की लाली माथे पर चँदा चमकता है आफ़ताब और माहताब के नगीनों से गला दमकता है प्रकृति रानी का भाल
Vibha Katare
अरी चाँदनी सुन तो ज़रा.. तू आना न झरोखे पे, जाकर कह दे चंदा से, छुप जाए कहीं किसी कोने में.. तेरी रोशनी जो आये, मेरी लाड़ो सो न पाए, मेरी गुड़िया जग जग जाए, बिटिया को सुलाऊँ.. लोरी मैं सुनाऊँ.. (Please read in caption..) अरी चाँदनी सुन तो ज़रा.. तू आना न झरोखे पे, जाकर कह दे चंदा से, छुप जाए कहीं किसी कोने में.. तेरी चाँदनी जो आये, मेरी लाड़ो सो न पाए, मेरी गुड़
Bharat Bhushan pathak
प्रकृति निहाल हो उठी,चहुँओर असीम शान्ति का उद्भव हुआ। निदाघ के भयावह चाबुकों से मुक्त हो समस्त वसुंधा आनंद सागर में हिलकोरे खाने लगी। धरतीपुत्र अंबर के शुभाशीष से द्रवित हो उठे। समस्त जलस्रोत इस अमृतमय बूँदों में स्नान कर अपने मनोभाव को सकल चराचर से साझा करने को उद्वेलित हैं। उनमनों की विकलता का अब शमन हुआ। केकी भी सपरिवार कहीं सघन द्रुमालय में आह्लादित है। जनमानस भी इस आशीर्वाद को ग्रहण कर अपने कर्मपथ में अग्रसित हो चुका है,समस्त चराचर की भावनाओं का दर्शन आइए एक नूतन छंद में हम आज कर सकते हैं या स्वतंत्र मनोभाव भी हम रखें। इस प्यारे छंद का नाम राधेश्यामी छंद है,आइए इस मनहर ऋतु पर हम अपने प्रेरक भाव रखकर वर्षारानी का स्वागत करें। इस छंद का विधान है गुरुजनों के मार्गदर्शनानुसार:-32 मात्रा प्रति चरण,16-16 मात्रा पर यति,चार चरण दो चरण समतुकांत,चरणांत गुरु। वर्षा रानी निकली घर से,पालकी चढ़ी बूँदों वाली। गर्जन करके मेघा बोले,अब आई जग में मतवाली।। हरी-भरी अब होगी धरती,नहीं रहेगी अब गर्मी ©Bharat Bhushan pathak प्रकृति निहाल हो उठी,चहुँओर असीम शान्ति का उद्भव हुआ।निदाघ के भयावह चाबुकों से मुक्त हो समस्त वसुंधा आनंद सागर में हिलकोरे खाने लगी। धरतीपु