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Manojsharma Mahakaal Bhkt Monu
#खडक सिंह के खड़कने से खड़कती हैं #खिड़कियां,,,, #मेकअप💄 के नाम पर #आटा_पोतती हैं लड़कियां👸....❗❗😐 😂😂😂
#खडक सिंह के खड़कने से खड़कती हैं #खिड़कियां,,,, मेकअप💄 के नाम पर #आटा_पोतती हैं लड़कियां👸....❗❗😐 😂😂😂 #शायरी #nojotophoto
read morePankaj Neeraj
निडर निर्भीक हो जलने को अपने सीने को तान खड़ा है उसके अंदर उसके ही जैसा लम्बा सा अभिमान खड़ा है एक हाथ में ढाल लिए वो खडक एक में तान खड़ा है उस
निडर निर्भीक हो जलने को अपने सीने को तान खड़ा है उसके अंदर उसके ही जैसा लम्बा सा अभिमान खड़ा है एक हाथ में ढाल लिए वो खडक एक में तान खड़ा है उस
read moreदि कु पां
विवाह:.... जो प्रेम विवाह न था... जहां देह का देह के साथ बंधन हुआ था.. जहा बसेरा था शंका का.. भविष्य को ले असमंजस था... इन्हीं सब को बयां करती कुछ पंक्तियां... कृपया अनुशीर्षक में पढ़े.. अच्छा लगे तो प्रोत्साहित करे ... सजा धजा बैठा दी गई थी वो पावन परिणय सूत्र में बधने के लिए.. संस्कार और समाज की दुहाई दे उसके जज़्बातों को विवाह वेदी पर सदा के लिए ख़ामोश कर
सजा धजा बैठा दी गई थी वो पावन परिणय सूत्र में बधने के लिए.. संस्कार और समाज की दुहाई दे उसके जज़्बातों को विवाह वेदी पर सदा के लिए ख़ामोश कर
read moreराजेश गुप्ता'बादल'
The Guest कण कण में इस हिन्द की सोच आगंतुक जो भी वो देव है, वक्त है चाल निराली बंद कर दरवाजा दर पै आया कोरोना कुदेव है! अतिथि है किन्तु इससे पूछो आखिर जाना तुझको मगर कब है? देने को देते सबको मान यहां बिन बुलाए आ धमका जो गांव मेरे ने आखिर मेहमान तुझको कहा ही कब है? पापी नीच कमीन अधम निरा ही निपान, लाशों के हैं अम्बार लगे जहां भी पहुंचा तू जब है। दूर हटो हाथ छुड़ाओ कारण इसके अश्क बिरहा के क्या कम है, भूखी आंतें सूनी सड़कें घर जैसे बे मियादी कारावास, कैसे कहूं तू रूप खुदा का हरकत से तू हैवानों से क्या कम है। राजेश गुप्ता'बादल'मुरैना मध्यप्रदेश #अतिथि #मेहमान #शैतान #हैवान #कोरोना #nojoto #all The Guest कण कण में इस हिन्द की सोच आगंतुक जो भी वो देव है, वक्त है चाल निराली बंद कर दर
Sheela Gahlawat seerat
नज्म शीर्षक:- तुम बिन रीता चुपके- चुपके से तुम आती हो, फिर भी तुम बिन रीता सपनों को मनकों में पिरो जाती, फिर भी तुम बिन रीता नजरों में तुम बसती हो, ये मेरा विश्वास है या है भम्र तुम संग हर लम्हा पाती, फिर भी तुम बिन रीता फिर लौट चलों उन हंसीन वादियों में जहाँ जीया हर सपना मोहब्बत की बुनती बुनकर लाती, फिर भी तुम बिन रीता हर लम्हे में महकी बगियाँ, फूलों की क्यारियाँ हैं सजी तुम हो तो ये बेला मखमली है, फिर भी तुम बिन रीता ख्यालों को ख्वाबों में, तुमको ही ढूढती हूँ हर इक सपना मदहोशी के आलम में आती, फिर भी तुम बिन रीता पत्तों की खडक में भी लगता है, तुम ही तो....... यादों की चादर तान सोती, फिर भी तुम बिन रीता सीरत ©Sheela Gahlawat seerat नज्म शीर्षक:- तुम बिन रीता चुपके- चुपके से तुम आती हो, फिर भी तुम बिन रीता सपनों को मनकों में पिरो जाती, फिर भी तुम बिन रीता
अनुराग चन्द्र मिश्रा
आज़ादी क्या सच में आजाद हैं हम किसके पीछे चलते हैं किसके पीछे बोलते हैं कभी अपने कदमों के निशां खोज पाए हैं हम "दे दी हमें आजादी बिना खडक बिना ढाल साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल" इन पंक्तियों से आगे कभी कुछ सोच पाए हैं हम क्या इतनी आसां थी आजादी बिना लहू बहाए मिली हमें ये छोटी बड़ी सी बात क्यों नहीं समझ आती किसी के किसी का नाम ले तो कोई छूट जाता है क्या इक किरदार दूसरे के बिना सब कुछ निभा पाता है ? "करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है ऐ शहीदे-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार, अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है" ऊपर की पंक्तियां अधूरी ही रह जाती ग़र नीचे की पंक्तियों की बहार ज़हन में न आती कोई छोटा बड़ा नहीं यहां हर कोई बराबर का भागीदार है और इसे कायम रखना ही हमारी पहचान है| #आज़ादी क्या सच में आजाद हैं हम किसके पीछे चलते हैं किसके पीछे बोलते हैं कभी अपने कदमों के निशां खोज पाए हैं हम "दे दी हमें आजादी बिना खडक
#आज़ादी क्या सच में आजाद हैं हम किसके पीछे चलते हैं किसके पीछे बोलते हैं कभी अपने कदमों के निशां खोज पाए हैं हम "दे दी हमें आजादी बिना खडक #Freedom #nojotohindi #hindinama
read moreUtkrisht Kalakaari
Divyanshu Pathak
तेरे बर्फ़ीले एहसासों की बानगी काजू की बर्फ़ी है ! सूखी शख़्त भुरभुरी पर मीठी बहुत मीठी ! तेरी बातों की तरी को मैंने चख कर देखा ओहो ! गुड़ शहद गुलकंद मकरंद से भी मीठी बहुत मीठी ! :💕🍨🍧💕👨🙋☕☕☕☕☕☕☕🙋💕🐒😊🍉🍉🍧🍨🍨 Good evening ji .... तेरी तलाश की है मैंने मन्दिर मैदान पहाड़ो में ढूढ रहा था तुझको यारा मैं खण्डर और खदानों में ! चा
:💕🍨🍧💕👨🙋☕☕☕☕☕☕☕🙋💕🐒😊🍉🍉🍧🍨🍨 Good evening ji .... तेरी तलाश की है मैंने मन्दिर मैदान पहाड़ो में ढूढ रहा था तुझको यारा मैं खण्डर और खदानों में ! चा
read moreSarita Shreyasi
विवाह-संस्कार के समय,कुछ वचन उच्चारण किये थे तुमने, हाँ,उच्चारण ही,मनन नहीं कह सकती, क्यूंकि मुझे तो आत्मसात थे,उस दिन नहीं,बहुत छुटपन से, जब सही अर्थों में ब्याह का अर्थ नहीं जानती थी, तब से गौरी को शिव की और स्वयं को किसीकी अर्द्धांगिनी ही मानती थी। Read in caption विवाह की वेदी पर संस्कार के नाम पर, कुछ वचन उच्चारण किये थे तुमने, हाँ, उच्चारण ही, मनन नहीं कह सकती, क्यूंकि मुझे तो आत्मसात थे, उस दिन नही
विवाह की वेदी पर संस्कार के नाम पर, कुछ वचन उच्चारण किये थे तुमने, हाँ, उच्चारण ही, मनन नहीं कह सकती, क्यूंकि मुझे तो आत्मसात थे, उस दिन नही #yqbaba #yqdidi #HumTum #अर्द्धांगिनी
read moreRavendra
अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण ने किया थाने का निरीक्षण नवाबगंज बहराइच , शुक्रवार को अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण पवित्र मोहन त्रिपाठी द्वारा थाना #न्यूज़
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