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अशेष_शून्य
तुम्हारी आंखें बिल्कुल उस पारदर्शी "प्रिज्म" सी हैं जिसमें मैं अपनी "आत्मा" और मनोभावों का श्वेत प्रतिबिंब कई वर्णों में स्पष्ट देख सकती हूं ; : तुम्हें पता है वहां भी हमारे "प्रेम रंग" की दृश्यता और तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक है इसलिए तुम्हारे कपोलों का सुर्ख रंग दूर से ही चमकता है।। -Anjali Rai तुम्हारी आंखें बिल्कुल उस पारदर्शी "प्रिज्म" सी हैं जिसमें मैं अपनी "आत्मा" और मनोभावों का श्वेत प्रतिबिंब कई वर्णों में स्पष्ट देख सकती हू
Author Munesh sharma 'Nirjhara'
उड़ जाने दो उस सतरंगी ख़्वाब को जो कारण रहा आठों पहर की बेचैनी का, लालिमायुक्त आँखों का, बिना वज़ह की सभी वज़हों का, जो थकाता रहा उसकी सोच में डूबे मन को, भिगोता रहा रक्ताभ कपोलों को, दूर करता रहा हृदय को ख़ुद से ही, उड़ जाने दो उस ख़्वाब को, जो था ही नहीं कभी हाथ में, जो बना ही नहीं साकार होने को, जो बसा नैनों में आकर सिर्फ़ उड़ने को..! 🌹 #mनिर्झरा उड़ जाने दो उस सतरंगी ख़्वाब को जो कारण रहा आठों पहर की बेचैनी का, लालिमायुक्त आँखों का, बिना वज़ह की सभी वज़हों का,
Anita Saini
तुम जानते हो कि गुलाल इतना आकर्षित क्यूँ करता है..? गुलाल कभी इतन मुग्ध न करता! न ही कभी रंग सौम्य और खिला-खिला होता..! यदि कभी किसी प्रेमी ने अपनी प्रेयसी के कपोलों पर निश्छल प्रेम से जो ना मला होता...! प्रेम की सरलतम परिणीति है गुलाल से लाल हुए गाल. तुम जानते हो कि गुलाल इतना आकर्षित क्यूँ करता है..? गुलाल कभी इतन मुग्ध न करता! न ही कभी रंग सौम्य और खिला-खिला होता..!
Gourav (iamkumargourav)
हम लड़के पापा से बहुत डरते हैं... रेल की पटरी की तरह समानान्तर चलते है पर कभी मिल नहीं पाते....आपके द्वारा अपने सुंदर कपोलों पर मधुगुंजित उन अनगिनत झापडों का स्वाद अब तलक याद है...गंदे कपड़े की जिस तरह धुलाई की जाती है ठीक उसी तरह आपने कई बार धोकर मुझे चमकाया है...और आज ये चमक एक लेखक एक कवि और एक अभिनेता के रूप में प्रतिष्ठित है....आपसे कभी ये सब कह तो नहीं सकता लेकिन कभी मेरी आँखों से कोई आँसू का कतरा गिरे तो समझ लिजियेगा.... आपका गौरव तकलीफ में ह ©Gourav (iamkumargourav) हम लड़के पापा से बहुत डरते हैं... रेल की पटरी की तरह समानान्तर चलते है पर कभी मिल नहीं पाते....आपके द्वारा अपने सुंदर कपोलों पर मधुगुंजित उन
Pnkj Dixit
काव्य संग्रह:- प्रेम अमर है ©Pnkj Dixit कब आओगे ? नयनों की छोटी-छोटी तलैया में सागर - सा जल भरा हुआ है । जब से पिया तुम परदेश गये हो कपोलों पर काजल बिखरा हुआ है
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
लोग कहते है.. . साथ क्या ले जाओगे सब यहीं पड़ा रह जाएगा मैं सोच रहा हूं.. .तो... . .मैं कहां जाऊंगा क्या मैं भी पड़ा रह जाऊंगा उन स्मृतियों में.. . जो यथेष्ठ हों स्पष्ट हों परिमाण हों की मैं था ...... . .यहीं अधूरी इच्छाओं की आपूर्ति में... . अनकही बात की श्रुति में... . प्रयत्नरत.. . क्या मैं भी पड़ा रह जाऊंगा उस आंसू में जो ढुलका नही कपोलों पर गिरा भी नही अपने होने को छोड़कर पड़ा है अपने मौन रूदन में.. . क्या मैं भी पड़ा रह जाऊंगा समय के पथ पर.. देखता जाते हुए समय को... . .उस वर्तमान में .. . जिसका मैं अतीत हूं पड़ा हुआ ! क्या मैं भी पड़ा रह जाऊंगा मैं सोच रहा हूं लोग कहते हैं.... . .सब यहीं पड़ा रह जायेगा.. . ©Ankur Mishra #खाली_हाथ लोग कहते है.. . साथ क्या ले जाओगे सब यहीं पड़ा रह जाएगा मैं सोच रहा हूं.. . तो... . .मैं कहां जाऊंगा
RANA MADHAVENDRA PRATAP SINGH
कुछ अपनापन सा था जिसको हम प्रीति समझ कर जी बैठे। वो जहर हलाहल था जिसको सुरभोग समझ के पी बैठे।। सम्बन्धो पर तलवार चला अपने ही दिल को बांट दिया, जिसने सिर पर पगड़ी बांधी उसने ही सिर को काट दिया ।। धरती ने धीर तजा उस पल मां के उर में कंपन सा था, सबने देखा अदृश्य दृश्य आंखों पर सम्मोहन सा था ।। श्लिष्य अधर अनुगामी हो निज गुरुता का दम भरते थें, नयनों से प्लवित हो अश्रुधार कपोलों को तर करते थें ।। यद्यपि सम्बन्धो के दर पर अगणित उर शोणित प्राशन था, हम लड़ते झगड़ते रहते थें पर स्नेह सहित अनुशासन था ।। विद्युत संस्त्रित से उसका यूँ हो भयाक्रांत थाम लेना, विस्मृत हो सकता नही कभी वो माधवेन्द्र नाम लेना ।। कुछ अपनापन सा था जिसको हम प्रीति समझ कर जी बैठे। वो जहर हलाहल था जिसको सुरभोग समझ के पी बैठे।। सम्बन्धो पर तलवार चला अपने ही दिल को बांट दिय
अशेष_शून्य
मेरे यार को यौम-ए-पैदाइश मुबारक मेरे यार को जिंदगी ! मुबारक— % & Dedicating a #testimonial to Shukla Neha पलाश की लालिमा में जीवन के संतुलन में देह के केंद्र में ताड़ पत्रों से भोजपत्रों तक श्वेत खातों
AK__Alfaaz..
भूगोल की क्लास मे, पढ़ने वाली, 14 बरस की लड़की, मानचित्रों पर, उष्णकटिबंधीय वनों व, शीत कटिबंधीय वनों को, खोजती है, और.., उकेरती है, अपने मन के मरूस्थल पर, बबूल,नागफनी की हरियाली, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #18_बरस_की_लड़की भूगोल की क्लास मे, पढ़ने वाली, 14 बरस की लड़की,
Jaya Mishra JD
बहुत मुश्किल है फिर भी, फिर भी कह रही हूं, नहीं चाहिए अब मोहब्बत, अब भुला देना मुझे, बहुत आसान होगा न ये, मुझे भूल जाना, कितना आसान होता है? (pls..read full poem in caption) #NojotoQuote कितना आसान होता है ना? किसी का धीरे से करीब आना, फिर तुम्हारी सादगी का मज़ाक बना कर, यूँही तुम्हारे दिल का फुटपाथ बना कर, उस पर से बिना मुड़े