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मोहम्मद मुमताज़ हसन
तिजोरियों में भर रहा है सोना देश का ..और आँखों में देखिए रोना देश का खुद को कहता था चौकीदार वतन का खुद ही बेच रहा है कोना कोना देश का तरक्क़ी टीका-सिंदूर, नींबू-मिर्च में उलझी है भला कितना करेगा जादू -टोना देश का अवाम चुप है और गफ़लत में हाकिम है महंगा पड़ेगा गहरी नींद में सोना देश का!! -मोहम्मद मुमताज़ हसन- #ग़ज़ल#जागो वतन वालों
Shyam Kaushik
mTv video
जय हिन्द। 🇮🇳वतन वालो वतन न बेच देना धरती ये चमन न बेच देना शहीदों ने प्राण दिए हैं जिस वतन के वास्ते शहीदों के कफन न बेच देना।।🇮🇳
Manak desai
entertainment intertenment&intertenment
हादसे इतने है इस वतन में "कमली" की.. इक अखबार निचोड़ दूं तो सारा शहर लाल हो जाए! वतन वालों वतन ना बेच देना.. ये धरती और गगन ना बेच देना!♥️😊🙏 #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #yqdada #yqhindi
Parul Sharma
शरहदें महफूज़ हैं ऐ वतन वालो वहाँ कई जाबाज़ दटे हैं अपनी जान लिये भाई,पति,बेटा किसी का शहीद हो गया देश में बरकरार रहे अमन के लिये। पारुल शर्मा शरहदें महफूज़ हैं ऐ वतन वालो वहाँ कई जाबाज़ दटे हैं अपनी जान लिये भाई,पति,बेटा किसी का शहीद हो गया देश में बरकरार रहे अमन के लिये। पार
arun dhuwadiya
अन्याय हुआ कह के पिटे छातियाँ अपनी। ये लोग वहीं लाये है अब लाठियाँ अपनी। कुछ लोग मेरा देश जलाने में लगे है। कुछ लोगों ने सेकी है यहां रोटियाँ अपनी। आओ न कोई काम अभी ऐसा करे हम। बेख़ौफ़ वतन में रहे फिर बेटियाँ अपनी। मेरी शिखा से जल गए कुछ लोग विरोधी। प्यारी थी जिन्हें जान से भी टोपियाँ अपनी। वो धर्म पे इल्जाम लगाने लगे साहिब। जिनसे न छुटी खून सनी कुर्सियां अपनी। अब तंग समझ बन गई है बेड़ियां जिनकी। कसते ही चले जा रहे वो बेड़ियाँ अपनी। मिल बांट के कोई भी नहीं खाता है घर में। हर कोई ले के आ गया है थालियां अपनी। है फिक्र उसे सारे वतन वालों की *आशू*। कुछ लोग तो पीटेगें फ़क़त ढपलियाँ अपनी। आशू रतलाम अन्याय हुआ कह के पिटे छातियाँ अपनी। ये लोग वहीं लाये है अब लाठियाँ अपनी। कुछ लोग मेरा देश जलाने में लगे है। कुछ लोगों ने सेकी है यहां रोटिय
Shiwalika_SSS
"विजयगाथा" सदियों की वो विजयगाथा भारत फिर दोहराएगा, समय बहुत कठिन है मगर जल्द ही बीत जाएगा, ए दुश्मन तू हर एक गुनाह का हिसाब चुकायेगा, समय बहुत कठिन है मगर जल्द ही बीत जाएगा।। Read the caption.... I wrote it about the attack & revenge last year when the most unfortunate event took place in our country 🙏🙏🇮🇳🇮🇳here's the full poem:-
mk_lover_writes
वतन वतन वतन ओ मेरे वतन आ हिला दे आज ये गगन बन के शोला आज हम चलेंगे दुश्मन पे गाज बनके हम गिरेंगे ना तो हम रुकेंगे ना झुकेंगे क्या हैं हम जहां से हम कहेंगे रुकावटें है तोड़ देनी सारी आज हम पड़ेंगे सब पे भारी कदम कदम मिशाल सा रखेंगे और तोड़ देंगे तोड़ देंगे तोड़ देंगे..... ..... सारी दुनियां का भरम वतन वतन ......... आ हिला दे आज ये गगन अंश क्या है वंश भी मिटादे ख़ाक में मिलाके तू सुलादे बूंद बूंद लहू का हिसाब ले जवाब उनको गोलियों की आग दे चला चल चला चल तू चला चल हो आसमान या हो धरातल वर्तमान में तू ऐसा करके बदल दे आने वाला कल सीमाओं के बाग पड़े उजड़े खिला दे उनमें आज तू कमल तिरंगे की शान को बढ़ाके बढाके बढ़ाके ........ दुश्मन को आज करदे तू दफन वतन वतन वतन ........ आ हिला दे आज ये गगन सीमा पे तू जलजला वहादे तिरंगा आसमान में फैहरादे सारी तू शियासते भुला दे बुनियाद दुश्मनों की तुम हिला दे मां के सीने का दर्द है कम करना तू इंच इंच का हिसाब करना आंखों को जो उठाके बात करते उनके दिलों में डर है आज भरना ये रात फैसले की आज आयी दम भरके आज निकलो तुम शिपाही अरे आज हमसे आज हमसे आज हमसे ....... दुश्मन भी यहां आके करेगा नमन वतन वतन वतन आ हिला दे आज ये गगन जय हिन्द वतन वतन वतन