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Poet Kuldeep Singh Ruhela
White #मुझको भी खाने थे आम यारो मगर मेरी जेब में पैसे नही थे पड़ा था एक दस का नोट मेरी पॉकेट में देखा तो मुझे मेरे बच्चो का ख्याल आ गया ! गुमनाम शायर ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #mango_tree मुझको भी खाने थे आम यारो मगर मेरी जेब में पैसे नही थे पड़ा था एक दस का नोट मेरी पॉकेट में देखा तो मुझे मेरे बच्चो का ख्याल आ
Shivkumar
White हम बहुत आम जगहों से आए थे बहुत आम जगहों पर रहे बहुत आम जगहों पर पढ़े और बेहद आम जगहों पर खाया जब अमीर लोग बड़े नोट निकाला करते थे हमारी जेब में कुछ सिक्के खनकते थे हम सब एक जैसे नहीं थे फिर भी हम शामिल थे रेस में एक ऐसे घोड़े की तरह जिसकी टाँगों पर पूरे खानदान की उम्मीदों का बोझ टिका था और वह बोझ इतना था कि थोड़ा और बढ़ते ही हम चटक सकते थे टूट सकते थे, बिखर सकते थे। हमारे पास खोने को नींदें थीं और बेचने को सपने इसके अलावा कुछ और नहीं जिसे दाव पर लगा सकते। हमने पढ़ीं रात भर किताबें और लड़े सपनों के लिए कितना कुछ और था जो हम कर सकते थे पर मारे गए दूसरों की उम्मीदों पर ख़रा उतरते हुए । ©Shivkumar #mango_tree #mango #Nojoto #nojotohindi हम बहुत #आम जगहों से आए थे बहुत आम जगहों पर रहे बहुत आम जगहों पर पढ़े और बेहद आम जगहों पर खा
Ankur tiwari
White गुरुर किस बात का है तुम्हे बोलो किस बात हवाला हैं सोच समझ लफ्ज़ जाया करों तुमने क्या बात कब निकाला है इन कंकड़ों से हमें ना डराओ तुम पत्थर हैं कोई फ़र्क नही पड़ता अंजान क्या बिगाड़ लोगे तुम मेरा मुझे तो ख़ुद ठोकरों ने पाला हैं @mr_master__sab ©Ankur tiwari #sad_shayariगुरुर किस बात का है तुम्हे बोलो किस बात हवाला हैं सोच समझ लफ्ज़ जाया करों तुमने क्या बात कब निकाला है इन कंकड़ों से हमें ना ड
person
क्या बात है क्या चीज है पैसा दुनिया की हर चीज है कैसा अमीर गरीब बनता है पैसा अमीर गरीब बनता है पैसा पैसा पैसा नोट है कैसा 365 दिन 24 घंटे मैंने चाहा पैसे को फिर भी फिर भी पास ना आईं पैसा ©person money 💰 Money controls human emotions, brings happiness and also brings sadness. Makes you laugh and makes you cry क्या बात है क्या चीज है
Himanshu Prajapati
hanuman jayanti 2024 जय हनुमान ©Himanshu Prajapati #hanumanjayanti24 👉🏻सामने से हट सा खोपड़ी के,😎 👉🏻मुहूर्त का समय निकाला जा रहा है..!
Gopal Pandit
White दिल करता है हम लौट चलें फिर से तेरे शहर को । फिर ख्याल आता है क्या बसा पाएंगे हम अपने पुराने घर को ।। तूने बेईज्जत करके तो निकाला था मुझे सारे शहर के आगे । क्या फिर से जी पाऊंगा तेरे शहर में मैं उठाकर अपने सर को।। #गोपाल_पंडित ©Gopal Pandit #Road दिल करता है हम लौट चलें फिर से तेरे शहर को । फिर ख्याल आता है क्या बसा पाएंगे हम अपने पुराने घर को ।। तूने बेईज्जत करके तो निकाला था म
Saini Kailash
White “अंधेरे को अंधेरे से नहीं निकाला जा सकता। नफरत को नफरत से नहीं निकाला जा सकता, केवल प्यार ही इसे निकाल सकता है।” ©Saini Kailash #SunSet “अंधेरे को अंधेरे से नहीं निकाला जा सकता। नफरत को नफरत से नहीं निकाला जा सकता, केवल प्यार ही इसे निकाल सकता है।”
Gopal Pandit
यूंही भटकते भटकते गुज़र ना जाए ये वक्त सारा कसम तुम्हारी यकीन कर लो बिन तुम्हारे अब ना होगा गुज़ारा हर पल गुजरता सदियों के जैसा नाम ले ले कर के तुम्हारा जब तक ना देखें तस्वीर तेरी कहीं भी लगता ना अब दिल हमारा तेरी गली से हम जब भी गुजरें आंखों से बरसे अंसुओं धारा इतना यकीं तुम हमारा भी कर लो तुम्हारे सिवा नही कोई अपना सहारा नाम ले ले के जी लें तन्हा उमर भर जो श्याम तू ना हुआ हमारा के लिखने लगा जबसे तेरी कृपा को "पंडित" की जीवन में मेरे हुआ उजाला जब टूट कर मैं बिखर रहा था तेरे नाम मुझको संभाला दुनियां में तेरी चर्चा करूं मैं , मुझे भव सागर से तूने निकाला तू ही संभाले उसको सांवरे जिसने भी दिल(श्रद्धा) से तुझको पुकारा अब तो बचा ले ओह खाटू वाले तेरे सिवा नहीं कोई हमारा संभलने लगा हूं मैं दर पे तेरे आकर वरना मैं फिर रहा था दर बदर मारा मारा ज़माने को मैं बस इतना कहूंगा मुझे बेबसी से तूने निकाला इस दुनियां में ऐसा कोई नही है जिसको मुसीबत से ना तूने निकाला तेरी कृपा से ये धरती थमी है ये अंबर भी है श्याम तूने संभाला "पंडित"को आरजू बस तेरी है तेरे बिना ना मेरा होगा गुज़ारा हारा हूं श्याम मैं अब तुम मुझको संभालो हारे श्याम तुम ही हो सहारा। #गोपाल_पंडित ©Gopal Pandit #Janamashtmi2020 यूंही भटकते भटकते गुज़र ना जाए ये वक्त सारा कसम तुम्हारी यकीन कर लो बिन तुम्हारे अब ना होगा गुज़ारा हर पल गुजरता सदियों क
Devesh Dixit
नोट बंदी नोट बंदी में देख हुआ, सबका बुरा हाल। लगे कतार में बैंक के, मन में उठे सवाल। क्या सोचा सरकार ने, जो हुआ बवाल। फिर बताया विद्वान ने, ये था माया जाल। हेरा-फेरी से कमा कर, कर रहे जो गुणगान। चोट जो ऐसी दी उन्हे, पूर्ण हुआ अभियान। बोरे भरकर फेंक दिये, नोटों के भण्डार। कुछ जंगल में थे मिले, कमाल किये सरकार। एक झटके में निकल गये, देखो तो काले धन। छिपा रखे गृहणियों ने, बेचैन हुए तब मन। नोट बदलने के लिए, सामने आया राज। पतियों को मालूम पड़ा, तब जाकर वह काज। मोदी जी का हो भला, जो किया ये काम। पत्नियाँ सिर को पीटतीं, खेल हुआ तमाम। ................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #नोट_बंदी #nojotohindi #nojotohindipoetry नोट बंदी नोट बंदी में देख हुआ, सबका बुरा हाल। लगे कतार में बैंक के, मन में उठे सवाल।