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Sunny

feel is bettr #Love

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Dr Mudsar

Alone But Struggling For Bettr #OpenPoetry

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#OpenPoetry Typed By
MuDsar_Tanha
.. 
Mukhlis Her Kisi Se Rehta Hu, n
Shaayed,,
Es Liye Udaas Rehta Hu,n Alone But Struggling For Bettr

Rittz

Missing you is bettr then missing ur memory.

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Kya hoga usko yaad karke jiski yaadao me meri hi yaadain dafan hogyi.

Ky gunah tha meri yadon ka jo usne unhe apni hi yadon k saath apne ap ko hi kafan se dhak liya. Missing you is bettr then missing ur memory.

Arifa Siddiqui

Sometime silence is bettr than unnecessary drama🤐 #mylife

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ALONE


–Arifa صدیقی
✍ Sometime silence is bettr than unnecessary drama🤐
#Nojoto 
#mylife

kritika

anjanbi rehna hi bettr h is jahan m logo ssss... #nojotostory#Quote#shayri#Ajnabi#anjan#Apne#dost

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प्यार भी एक पल का था ,जब तक अनजान थे 
इश्क़ बेसुमार था .... 
जिसदिन  पहचान हुए अजनबी हो गए.... anjanbi rehna hi bettr h is jahan m logo ssss... #nojotostory#quote#shayri#ajnabi#anjan#apne#dost

shubham d nashik

poem-कृष्णबावरी....01 poem and voice-Shubham Davange #krushnabavri its a series of 5 poems ,if I get some bettr response I will present al #Love #Radha #kavita #lovepoem #Marathipoem #MarathiKavita #RadhaKrushna #marathinojoto #shubhamdavange

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Ishita 😊

Well....This is not a poem but the real sentiments of a mother who lost her child.....I know the audio is nt that good but trust me i will d

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Shruti Gupta

For bettr view: पुष्प की लता नहीं पर श्रमिक हूं मैं, शब्द ही मुझे मान लो, क्षणिक हूं मैं। तय नहीं कोई सफर कोई भी राह, क्या उचित और अनुचित #poem #yqbaba #हिंदी #yqdidi #ग़ज़ल #yqhindi #bestyqhindiquotes #कालजयी_श्रुति

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पुष्प की लता नहीं पर श्रमिक हूं मैं,
शब्द ही मुझे मान लो, क्षणिक हूं मैं।

तय नहीं कोई सफर कोई भी राह,
क्या उचित और अनुचित भ्रमित हूं मैं।

मन प्रभावित और अबोध इस कदर,
लांघ देती प्रति मेढ़ को, ललित हूं मैं।

प्रेम का गगन मुझे न रास आया,
अब तो सर्वदा को ही पथिक हूं मैं।

मेरे तन मन में प्रिय के आग को
बुझने न दूंगी कभी, निश्चित हूं मैं!

तन में मेरे सादगी पर भिन्न मन,
एक प्रतिमा मैं नहीं, दो चरित्र हूं मैं।

"कालजयी" की तुमको न पहचान है,
काल सा ही जान लो, अकथित हूं मैं। For bettr view:

पुष्प की लता नहीं पर श्रमिक हूं मैं,
शब्द ही मुझे मान लो, क्षणिक हूं मैं।

तय नहीं कोई सफर कोई भी राह,
क्या उचित और अनुचित

amar gupta

For bettr view: पुष्प की लता नहीं पर श्रमिक हूं मैं, शब्द ही मुझे मान लो, क्षणिक हूं मैं। तय नहीं कोई सफर कोई भी राह, क्या उचित और अनुचित #poem #yqbaba #हिंदी #yqdidi #ग़ज़ल #yqhindi #bestyqhindiquotes #कालजयी_श्रुति

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पुष्प की लता नहीं पर श्रमिक हूं मैं,
शब्द ही मुझे मान लो, क्षणिक हूं मैं।

तय नहीं कोई सफर कोई भी राह,
क्या उचित और अनुचित भ्रमित हूं मैं।

मन प्रभावित और अबोध इस कदर,
लांघ देती प्रति मेढ़ को, ललित हूं मैं।

प्रेम का गगन मुझे न रास आया,
अब तो सर्वदा को ही पथिक हूं मैं।

मेरे तन मन में प्रिय के आग को
बुझने न दूंगी कभी, निश्चित हूं मैं!

तन में मेरे सादगी पर भिन्न मन,
एक प्रतिमा मैं नहीं, दो चरित्र हूं मैं।

"कालजयी" की तुमको न पहचान है,
काल सा ही जान लो, अकथित हूं मैं। For bettr view:

पुष्प की लता नहीं पर श्रमिक हूं मैं,
शब्द ही मुझे मान लो, क्षणिक हूं मैं।

तय नहीं कोई सफर कोई भी राह,
क्या उचित और अनुचित

amar gupta

For bettr view मुझे मात्र 'तुम' नहीं चाहिए मगर 'तुम सम मै' या ही 'तुम संग मै' ! तुम्हारी कल्पनाओं में व्यर्थ किए दिन, तुम्हारी प्रतीक्षा #प्रेम #yqbaba #yqdidi #हिंदी_कविता #तुम_और_मैं #bestyqhindiquotes #कालजयी_श्रुति #तुम_सम_मै

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मुझे मात्र 'तुम' नहीं चाहिए मगर
 'तुम सम मै' या ही 'तुम संग मै' !

तुम्हारी कल्पनाओं में व्यर्थ किए दिन,
तुम्हारी प्रतीक्षा में बीत गए कई वर्ष,
मगर हम ढूंढते रह गए एक दूसरे को 
यहां वहां दिन-रात सूर्य चंद्र के चक्र सा
समक्ष होकर भी है प्रत्यक्ष हम 
और यह खोज चलता रहेगा अनंत तक 
जिसमें 'तुम और मैं' की दौड़ यूहीं रहेगी!

' तुम ' वह सूर्य है जिसकी परछाई 
सागर को धुंधला देती है अक्सर 
मिलन का एक स्वांग रचने को-
वह स्वांग ' मै ' और यह मिलन क्षितिज 
कल्पनाओं की नींव तो होती है मगर 
क्या कोई अंत होता है? - अपूर्ण है यह।
मुझे इस दौड़ से मुक्त कर दो 
और बांध लो अपने अनंत यथार्थ नभ से 
मुझ कण नगण्य अधिकलपित शून्य को 
सदैव के लिए - एक भ्रमण हो तय,
'तुम सम मै' या ही 'तुम संग मै'!  For bettr view

मुझे मात्र 'तुम' नहीं चाहिए मगर
 'तुम सम मै' या ही 'तुम संग मै' !

तुम्हारी कल्पनाओं में व्यर्थ किए दिन,
तुम्हारी प्रतीक्षा
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