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कमलेश मिश्र
------------------------- छाई है काली घटा, पुरवा पवन झकोर । पपिहा पियु पियु रट रहा, नाच रहा है मोर ।। वसुन्धरा पहने हुये, धानी रंग का चीर । वर्षाऋतु आनंद रत, दादुर, बगुला कीर ।। हौले हौले भर रहे, सरि-सरवर के पाट । नयन बरसते प्रिया के,लख प्रियतम की बाट ।। सावन की है झर लगी, पुलकित तरुवर गात। जलधर तन मन सींचता, धरती की क्या बात !! ©कमलेश मिश्र सावन की घटा
Richa Dhar
घटा सावन की जिस रोज़ बरसती थी वो क्षण आज भी अविस्मरणीय है काले बादलों के बीच बारिश की बूंदों के साथ खाली सड़क पर तुम्हारा यूं घूमना और बेवजह अनगिनत बूंदों को हथेलियों पर गिनना और कनखियों से मुझे भी देखना मैं समझ लेती थी तुम्हारी मनोभावना को और मुस्कुरा कर तुम्हारा पागलपन देखती थी सब कुछ याद है मुझे याद है तुम्हारा खिड़की के बाहर हाथ निकाल के अपनी हथेलियों को गीला कर लेना और याद हो तुम,भीगी सड़कों पर चलके मेरे सूखे मन पर अपने पैरों के निशान को छोड़ना और मेरे मन को भिगो देना..... ©Richa Dhar #loyalty सावन की घटा
Shubham Bhardwaj
सावन की घटाओं में,हमने एक बवंडर देखा है। बरसात की हर बूंद में,बनता एक समंदर देखा है।। ©Shubham Bhardwaj #Barsaat #सावन #की #घटा #में #एक #समंदर #बरसात #बूंद
C. P. Tripathi, Editor
उमड़ी हुई हैं घटायें असमान मे अब घुमड़ने से रोक पाऐगा... खोल दो अपनी ज़ुल्फ़ें को तब तो सावन आऐगा... सावन की घटा ऊपर एक छोटा सा प्रयास
मोरध्वज सिंह
रंग बिरंगे मौसम में सावन की घटा छाई है, खुशियों की सौगात लेकर, बहना राखी बांधने आई हैं ! ©मोरध्वज सिंह रंग बिरंगी मौसम में सावन की घटा छाई है। #Life #Love #शायरी #viral #rakshabandhan
DILSHAD ALI @ SULTAAN BHAARTI
सावन की हर घटा मेरी आँखों से बरसी है कमबख्त जलन दिल की ये फ़िर भी ना कम हुई ©Dilshad Ali @ Sultan Bhaarti #सावन की घटा Swati Papu Behera Tushar Ranjan Mohanta Science Master Chand
M Shubham
तेरी इंतजार और रात की घनघोर घटा जब तू आयी और अंधेरा है हटा तेरी इंतजार और रात की घनघोर घटा जब तू आयी और अंधेरा है हटा
Nafis Ahmad Pasha
जब भी सावन घटा को लाता है । तेरा चेहरा ही याद आता है ।। नफ़ीस पाशा "नफ़ीस " गज़ल: जब भी सावन घटा को लाता है
Vishwanath Ram
बारिश की फुहार में, मनमुग्ध हो नाचे मोर, इस फुहार के पावन त्योहार में। विहग करे गुंजन मनोहर डाल पे, झूल-झूल तन अपना बेहाल करे, सुरीली तान छेड़े कानन के बहार में। है मृगनैनी प्यास बुझाती, मचल-मचल रिमझिम बरसात में। इंद्रधनुष खूब मुस्काता बादलों के आर में। पक्षियों के झुंड जैसे मधुमखियों के छत्ते, थककर उड़ान उसकी जब हो जाये कम, लगता हो जैसे गुथे हो फूलों के हर में। उषा अम्बेडकर ©Vishwanath Ram है सावन की फुहार में