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Santosh Jangam
Bharat Bhushan pathak
पाप-पुण्य युद्ध में विजय प्रतीक पुण्य का। सत्य से असत्य का प्रतीक जीत सत्य का।। राम नाम जाप का पर्व अम्ब मात का। भद्र के ये छाप का अभद्र नाश ताप का। ©Bharat Bhushan pathak पाप-पुण्य युद्ध में विजय प्रतीक पुण्य का। सत्य से असत्य का प्रतीक जीत सत्य का।। राम नाम जाप का पर्व अम्ब मात का। भद्र के ये छाप का अभद्र नाश
Komal Pardeshi
Pushpvritiya
हिय की मारी सोच अकिंचन, पिय जी झूठ बँधाय गयो मन.....!! @पुष्पवृतियाँ ©Pushpvritiya #चौपाई वैरागी मन तुम बिन प्रीतम, पीर न जाने किन् विध् हो कम...! कस्तूरी मृग बन कर साजन, तोहे ढूँढ़े भटके वन वन......!! विरहिन देह जलन जागे
bhim ka लाडला official
roshan lal
इलेक्ट्रिक कोरोना जब ट्रांसमिशन लाइन या डिस्ट्रीब्यूशन लाइन में वायु की डाईलेक्ट्रिक स्ट्रेंथ से अधिक मान की हाई ट्रांसमिशन वोल्टेज परवाह होती है तो लाइन चालकों के चारो ओर वायु में उपस्थित कण चार्ज होने लगते है तथा वायु चालक की तरह कार्य करने लगती है जिसके कारण चालक के चारो ओर हिसिंग की आवाज तथा बैगनी प्रकाश दिखाई देता है जिसे कोरोना कहा जाता है ! ©roshan lal इलेक्ट्रिक कोरोना
Instagram id @kavi_neetesh
World Cancer Day कैंसर की बीमारी होने के लक्षण इंसान स्वयं बनाता है । बुरी आदतें स्वयं अपनाता और कैंसर का रोगी होता है । बीड़ी सिगरेट शराब तंबाकू जीवन में ये हानि कारी है । शरीर पैसा बर्बाद होता है जीवन की विनाशकारी हैं । तंबाकू का सेवन करने से कैंसर की बीमारी होती है । कैंसर जिसको हो जाए जिन्दगी खत्म हो जाती है । ........पूरी कविता पढ़ने के लिए नीचे क्लिक कीजिए ©Instagram id @kavi_neetesh कैंसर दिवस कैंसर की बीमारी होने के लक्षण इंसान स्वयं बनाता है । बुरी आदतें स्वयं अपनाता और कैंसर का रोगी होता है ।
Devesh Dixit
शान्ति (दोहे) शोर सराबा कर रहे, हुई शांति है भंग। मन भी अब बेचैन है, करते भी वे तंग।। शांति चित्त में हो नहीं, करते तभी विलाप। दर-दर भटके वो फिरे, तन का बढ़ता ताप।। लगन लगी है काम की, मिलता है पैगाम। हो पूरा जब वो कभी, मिले शान्ति फिर नाम।। धड़कन में जब राम हों, सुख का फिर विस्तार। शांति हृदय को भी मिले, जीवन का ये सार।। भवन कलह जब भी मिटा, मिला शान्ति का दान। रचना की तब हो उपज, जैसे हो वरदान।। ................................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #शान्ति #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry शान्ति (दोहे) शोर सराबा कर रहे, हुई शांति है भंग। मन भी अब बेचैन है, करते भी वे तंग।। शांत
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विधा दाम छन्द 121 121 121 121 सुनो रघुनाथ खडा अब दास । हरो सब ताप लगी है आस ।। न ठूँठ बने अब मानव गात । करो न भला तुम ही अब तात ।। जपूँ हरि नाम कहे हनुमान । कटे सब फंद करे जब ध्यान ।। सुनो तन मानव है हरि धाम । भजो फिर लाल सदा प्रभु राम ।। वही रघुनंदन है घनश्याम । रहा जग सुंदर है यह धाम ।। लगाकर चंदन मैं नित भाल । करूँ फिर वंदन लेकर थाल ।। २७/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा दाम छन्द 121 121 121 121 सुनो रघुनाथ खडा अब दास । हरो सब ताप लगी है आस ।।
@barkat_official