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शब्दवेडा किशोर
#व्रण कितीही सोंगे धरली जरी वण त्या वेदना विसरत नाही तो काळ..ती वेळ..ती माणसं.. कधीही व्रण ते चेहरे विसरत नाही.. साधु संताचा आव आणला जरी भक्तिमार्गही व्रणाच्या खुणा जपतो परमार्थातात तल्लीन झाला तरी ह्दयात तो व्रण मात्र अडकूनच राहतो मनाच्या जखमा अन् त्यावरच्या खपल्यांचे व्रण काळजात कायम अडकून राहतील जरी ती माणसही उरली नाही तरी त्यांनी दिलेले हर क्षणांचे व्रण ते ओझं ओढायला लावतील @शब्दवेडा किशोर ©शब्दवेडा किशोर #व्रण
vaishnavi chingale
भावना टोचत असतात तीव्र घाव ज्यांचे पुसत नाहीत तरीही काळजावरचे व्रण मात्र इथे कोणास दिसत नाहीत...!! #वसू #व्रण #एकाकीजगणे #एकांत
SURAJ आफताबी
जो कुछ था वो तो सब लुटा दिया अ जिन्दगी तुझे बांटे तो बांटे क्या खबर है मेरे खूँ को मेरे ही खूँ की है प्यास अब निजियों और गैरों में से छांटें तो छांटें क्या ? बारिश के नाम पर अंगारों के सावन मिले मेरे व्रणों को कर्ज़ में मिले कांटे तो अब कांटे क्या बेगुनाह चीखों ने मुझसे है इश्क फ़रमाया अ जिंदगी तू मारे अब तुर्शी चांटे तो चांटे क्या ? नीले अंबर की गोद का सूरज है मेरा साथी मिले तेरी बाहों के नर्म अहाते तो अब अहाते क्या मेरे पांव के छालों ने नापे है कई मुसाफिरखाने अ जिंदगी बड़े सुहाने तेरे घर-आंगन मगर हम फकीरों को घर सुहाते क्या ? व्रण - जख्म तुर्शी - तेजाब अहाता - चारों ओर से घिरी जगह #जिंदगी #कविताएँज़िंदारहतीहैं #life #yqbaba
KUNAL MAHESHWARI
*मंजिल की सफ़ीना में दूर तक जाना है* *यू कह लो नासूर को सहते हुए मंजर-ए-नूर तक जाना है* उस मुकम्मल जिंदगी का फायदा भी क्या *जीवन-ए-फूल को तब तक सूख जाना है* ~कुनाल माहेश्वरी🙏❤ सफ़ीनाسفینا=#Boat(#नाव) नासूर=canker (ऐसा घाव जिसमें से बराबर मवाद निकलता हो, नाड़ी व्रण।) #Love #Life #Nojoto #Flower #Manjar #stay_safe
pooja d
व्रण इतके अंतरी। देह सारा दाह करी।। जखमा अशा काही। कुणाला न दाखवता येई।। शुभ प्रभात लेखक मित्र आणि मैत्रिणींनो आताचा विषय आहे व्रण इतके अंतरी... #व्रणइतकेअंतरी चला तर मग लिहूया. #collab #yqtaai लिहीत राहा. #Your
सुशांत राजभर
Red sands and spectacular sandstone rock formations किस-किस से शिकायत करूँ मैं? किस-किस को जख्म दिखाऊँ मैं ? व्रण(घाव) है सिर से पाँव तलक, मरहम कहाँ -कहाँ लगाऊं मैं? ©सुशांत राजभर किस-किस से #शिकायत करूँ मैं? किस-किस को जख्म दिखाऊँ मैं ? व्रण(घाव) है सिर से पाँव तलक, #मरहम कहाँ -कहाँ लगाऊं मैं
Rashmi Hule
व्रण इतके अंतरी दाह नच सरता... नको नव्या जखमा सोसवेना आता... कुणा शब्द लागे लागे कुणा मौन... भळभळत राही बेचैन आपलेच मन... Rashmi . शुभ प्रभात लेखक मित्र आणि मैत्रिणींनो आताचा विषय आहे व्रण इतके अंतरी... #व्रणइतकेअंतरी चला तर मग लिहूया. #collab #yqtaai लिहीत राहा. #Your
Bharat Bhushan pathak
ज्ञानदायिनी मातु विमले,शारद माँ हमको वर दे। मूढ़ बहुत हैं हम सब माते,वरदहस्त हमपर धर दे।। श्वेतपद्म पर रहने वाली,अमृत ज्ञान वर्षण कर दे। अज्ञान व्रण में सब हैं तड़पे,पीड़ा अम्बे तू हर ले।। ©Bharat Bhushan pathak #SaraswatiPuja ज्ञानदायिनी मातु विमले,शारद माँ हमको वर दे। मूढ़ बहुत हैं हम सब माते,वरदहस्त हमपर धर दे।। श्वेतपद्म पर रहने वाली,अमृत ज्ञान
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सारिका छंद :- २६ वर्ण ६,६,६,८पर यति । मन का विलाप , बन गया ताप , व्रण युक्त शाप,हिय मनुज विवश । घुंघरू की ताल , करता मलाल , छुपता न हाल , शुभ दिखत दिवस ।। मोहित मिलाप , कदमों की चाप , जब पासआप,प्रमुदित तन मन । मत बैर करो ,कुछ ईश डरो । पग शीश धरो , मगन रहत मन ।। ०३/०८/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सारिका छंद :- २६ वर्ण ६,६,६,८पर यति । मन का विलाप , बन गया ताप , व्रण युक्त शाप,हिय मनुज विवश । घुंघरू की ताल , करता मलाल , छुपता न हाल
yogesh atmaram ambawale
खाण सौंदर्याची ऐसी ती बाण नजरेचे जी चालवत राही. क्षण अविस्मरणीय होई ते व्रण दीलावर जे उमटत जाई. जाण होता प्रेमाची ताण मनावर होत राही. गुण न येई इलाज करता खूण ही ती तशीच राही. रण जिंकले जैसे प्रेमाने सण हृदयी साजरा होई. कणाकणात दिसे ती क्षण भर ही न विसर होई. चारोळी ऐवजी कविता लिहा व संपन्न झाल्याचे लिहायला विसरू नका 🙏🙏 #बाराखडीव्यंजनकोट #आजचे_अक्षर_ण #मराठीकोट्स #collab #yqkavyanand #YourQuoteAn