Find the Latest Status about आह्लादित from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, आह्लादित.
Pnkj Dixit
🌷जागो रे यौवन🌷 सुकुमार देह में झांके नवयुगल । पुलकित हृदय आह्लादित तन-मन । सजीव प्राण जाग्रत अभिलाषा । मनभावन रूप सौंदर्य हर्षित मुग्ध नयन । आत्मसात वाहृय आकार सबल संभल जागो रे यौवन ! जीवन नैया समान । १२/०७/२०१८ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷जागो रे यौवन🌷 सुकुमार देह में झांके नवयुगल । पुलकित हृदय आह्लादित तन-मन । सजीव प्राण जाग्रत अभिलाषा ।
🌷जागो रे यौवन🌷 सुकुमार देह में झांके नवयुगल । पुलकित हृदय आह्लादित तन-मन । सजीव प्राण जाग्रत अभिलाषा ।
read moreShree
भूलते-भूलते भूला जाऊंगी एक दिन खुद को.. सच है, सनम तू इतना अब जो याद आ रहा है। मैं क्या कुछ नहीं, तेरे नाम से.. हां मैं सब कुछ हूं.. कुछ भी बुला ले दुनिया.. मैं बस एक 'तुम्हारी' हूं। अनुशीर्षक— % & तुम्हारी 🥰 भूलते-भूलते भूला जाऊंगी एक दिन खुद को.. सच है, सनम तू इतना अब जो याद आ रहा है। अब जो सुनो जिंदगी में जितनी सारी रात बाकी है हर
तुम्हारी 🥰 भूलते-भूलते भूला जाऊंगी एक दिन खुद को.. सच है, सनम तू इतना अब जो याद आ रहा है। अब जो सुनो जिंदगी में जितनी सारी रात बाकी है हर #a_journey_of_thoughts #unboundeddesires #lovepoemsarebest #तुम्हारा_मन_मेरी_समझ
read morevinay vishwasi
कोयल ने छेड़ी मीठी तान। शुरू हुआ भ्रमरों का गान। प्रकृति की अद्भुत छटा से, हुई है वसुधा शोभायमान। आम्रमंजरी से आच्छादित। हुए मनुज सब आह्लादित। गेहूँ की बाली को लखकर, प्रफुल्लित हो गये किसान। प्रकृति की अद्भुत छटा से, हुई है वसुधा शोभायमान। 24/03/2020 नव पल्लव संग मलयानिल। किरणों से करती झिलमिल। -विश्वासी वायुमंडल भी हुआ सुरभित, झूम रहा करके गुणगान। प्रकृति की अद्भुत छटा से, हुई है वसुधा शोभायमान। शीत की शीतलता जाने को। शनैः - शनैः ग्रीष्म आने को। है पूरित सकल आयोजन, वृक्षों का परिवर्तित परिधान। प्रकृति की अद्भुत छटा से, हुई है वसुधा शोभायमान। #वसन्त_आगमन #विश्वासी कोयल ने छेड़ी मीठी तान। शुरू हुआ भ्रमरों का गान। प्रकृति की अद्भुत छटा से, हुई है वसुधा शोभायमान। आम्रमंज
#वसन्त_आगमन #विश्वासी कोयल ने छेड़ी मीठी तान। शुरू हुआ भ्रमरों का गान। प्रकृति की अद्भुत छटा से, हुई है वसुधा शोभायमान। आम्रमंज
read moreसंगीत कुमार
पुष्पित मन हर्षित हुआ वर्षो का सपना साकार हुआ राम जन्मभूमि में भू पूजन हुआ मंदिर का निर्माण शुरू हुआ अखिल ब्रहमाण्ड खुशी से गुंज गया मनुज हृदय आह्लादित हुआ अहो भाग्य भारत वंशी का फिर से राम सिया संग विराजेंगे शांति,सद्भावना धरा पर आयेगा दीवाली घर घर मन जायेगा ध्वजा घर घर लहरायेगा राम राज बसुधा पे आयेगा जीव -जन्तु खुशी से झूमेंगे शंख घंटी का स्वर जब धरा पे गुंजेगा बसुधा से अम्बर तक राम नाम गुंजेगा अयोध्या नगरी स्वर्ग सा सज जायेगा देवलोक में देवगण हर्षित हो जायेंगे पुष्प धरा पर बरसायेंगे क्या मनोरम दृश्य हो जायेगा हर मन को भा जायेगा पुष्पित मन हर्षित हुआ वर्षो का सपना साकार हुआ जय श्री राम🏹 ✒️©संगीत कुमार /जबलपुर #Dullness पुष्पित मन हर्षित हुआ वर्षो का सपना साकार हुआ राम जन्मभूमि में भू पूजन हुआ मंदिर का निर्माण शुरू हुआ अखिल ब्रहमाण्ड खुशी से गु
#Dullness पुष्पित मन हर्षित हुआ वर्षो का सपना साकार हुआ राम जन्मभूमि में भू पूजन हुआ मंदिर का निर्माण शुरू हुआ अखिल ब्रहमाण्ड खुशी से गु
read moreसंगीत कुमार
पुष्पित मन हर्षित हुआ वर्षो का सपना साकार हुआ राम जन्मभूमि में भू पूजन हुआ मंदिर का निर्माण शुरू हुआ अखिल ब्रहमाण्ड खुशी से गुंज गया मनु
read moreAnita Saini
ना सरवर ना बावड़ी ना बरगदर की छाँव है सोने सी चमकती बालू रेत का रेगिस्तान है! मेरे मरूधर की शान का क्या मैं करूँ बखान लहू से सींचा वीरों ने ये, वो मातृभूमि महान है! घास की रोटी खा कर अमर हुए प्रताप महान कुम्भा, सांगा और जन्मे यहाँ पृथ्वीराज चौहान है! पग पग पर सजी वीरगाथाएँ गौरव की खान हैं बलि बलि जाऊँ मैं ऐसा मेरा सजीला राजस्थान है! शौर्य के अद्भुत इतिहास का असम्भव गुणगान है आह्लादित,गर्वित करता नाम जय जय राजस्थान है! ना सरवर ना बावड़ी ना बरगदर की छाँव है सोने सी चमकती बालू रेत का रेगिस्तान है! मेरे मरूधर की शान का क्या मैं करूँ बखान लहू से सींचा वीरों ने
ना सरवर ना बावड़ी ना बरगदर की छाँव है सोने सी चमकती बालू रेत का रेगिस्तान है! मेरे मरूधर की शान का क्या मैं करूँ बखान लहू से सींचा वीरों ने #feelings #yqbaba #yqdidi #proud #Grace #gratitude #RajasthanDiwas
read moreमुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
किरदार : मेरा ************* विचलित मन ,भीगी सी पलके चारो और मौन लटका है , कुछ -कुछ ढूंढ रहा पगला मन जाने कहां- कहां भटका है…… आह्लादित जीवन के वो पल आड़ में उनकी कौन खड़ा है , छोड भंवर में जीवन नैया मांझी अब किस ओर मुड़ा है…. सुरभित सा मन का ये उपवन तूफानों की भेंट चढा है , भटकी सूनी सी राहों में आज मेरा प्रतिबिंब खड़ा है …. उम्मीदों के बादल छिटके बदली कहीं दूर बरसी है , उड़ता फिरता आस परिंदा पंख तुडा कर आन गिरा है …. मेरा किरदार कहीं खोया फिर हर मुश्किल से कौन लडा है , आज जवाबो के घेरे में मेरा इकलौता प्रश्न खड़ा है….. किसका रस्ता देखे पगले उस रस्ते से कौन मुड़ा है , आजा वापिस घर को अपने कब से टूटे दर पे खड़ा है ……!! अंकुर ©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) किरदार : मेरा ************* विचलित मन ,भीगी सी पलके चारो और मौन लटका है , कुछ -कुछ ढूंढ रहा पगला मन जाने कहां- कहां भटका है…… आह्लादित जी
किरदार : मेरा ************* विचलित मन ,भीगी सी पलके चारो और मौन लटका है , कुछ -कुछ ढूंढ रहा पगला मन जाने कहां- कहां भटका है…… आह्लादित जी #poem #MeraKirdaar
read moreराजेश कुशवाहा 'राज'
चितवन में है धरी चित्र सी, जीवन उमंग भरती तरंग सी, यूँ रूठकर मुझको सताती, चुपके से सागर भर जाती। तिमिर घना हो अमावसी सी, उजियारा दे पूरनमासी सी, हृदय पटल पर ज्ञान चक्षु सी, यूँ प्रेरक बुद्धि भर जाती, खामोशी हो प्रलयकाल सी, भरा प्रेम है सृष्टि सृजन सी, मन मंदिर को पावन करती, देवी सी प्रतिमा हो जाती, छवि हृदय में है केतन सी, यूँ पहचान बनीं श्यामल सी, नूपुर ध्वनि सी आह्लादित करती, पाजेबों से संगीत निकलती, "राज" प्रेम है सावन बसंत सी, यूँ "प्रिय" है कृष्ण की राधा सी, है रविकर-पुंज सी ये चलती, नित नवीन ऊर्जा को भरती, कल-कल करती नदियों सी, होती आच्छादित यूँ नीरव सी, यूँ कोयल सी कलरव करती, मधुकर सी शीतल मधु भरती, चमक रूप की है चाँद सी, है काया सुंदर सोने सी, हिरण चाल सी वो चलती, कोमल पुष्प सी वो खिलती, ©राजेश कुशवाहा -------प्रेयसी-------- चितवन में है धरी चित्र सी, जीवन उमंग भरती तरंग सी, यूँ रूठकर मुझको सताती, चुपके से सागर भर जाती। तिमिर घना हो अमावसी
-------प्रेयसी-------- चितवन में है धरी चित्र सी, जीवन उमंग भरती तरंग सी, यूँ रूठकर मुझको सताती, चुपके से सागर भर जाती। तिमिर घना हो अमावसी #standAlone #कुशवाहाजी
read moreसंगीत कुमार
#हे भगवन अब तू जाग जाओ धरती पर एक बार आ जाओ दानव दहशत फैला रहा संहार उसका कर डालो ना अपना रूप दिखाओ ना जग का कल्याण कर डालो ना
read moreरजनीश "स्वच्छंद"
स्वातंत्र्य भाव वर्णन।। ये शीश तर्पित आज है, ये वीर वर्णित आज है। कण कण लहु में ज्वार है, ये काव्य छन्दित आज है। कम्पित नहीं हुंकार है, वाणी में भी ललकार है। कोटि कोटि स्वजनों में, आह्लादित ये जयकार है। ये भाव स्तंभित आज है, ये जग अचंभित आज है। जो पूत तेरे बढ़ चले, सृष्टि भी कम्पित आज है। ये धीर अंगद पांव है, रौद्र मन का ही ठाँव है। हम अडिग जो हैं खड़े, मातृ आँचल की छांव है। वो वीर जो सरहद डटे, हैं धूप बारीश जो खड़े। उनको नमन पभु आज है, जो देश ख़ातिर है लड़े। स्वातंत्र्य वेदी है ये पावन, है गूंजता जो मुक्त गायन। खग विहग तरु ताल नदियां, हैं झूमते मानो हो सावन। स्वरचित जन भाव संचित, दारिद्र्य-रहित, न कोई वंचित। मुक्ति स्वर नभ में जो गूंजा, पुनः हुआ ये प्रण स्पंदित। ये दृष्टि लक्षित आज है, ये सार गर्भित आज है। ये शीश तर्पित आज है, ये वीर वर्णित आज है।। ©रजनीश "स्वछंद" स्वातंत्र्य भाव वर्णन।। ये शीश तर्पित आज है, ये वीर वर्णित आज है। कण कण लहु में ज्वार है, ये काव्य छन्दित आज है। कम्पित नहीं हुंकार है,