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Prerna Rathore
जीवन में आस तब तक नहीं छोड़ना जब तक भगवान सांस और साथ, एक साथ न छोड़े। ©Prerna Rathore #बीज आस का
Aनुभा
नफरत की आग नफरत की जगह ,बो देते हैं बीज मोहब्बत का।देखें कौन जीतेगा,प्यार का पौधा कि शोला नफरत का। बीज.... मोहब्बत का...
बीज.... मोहब्बत का... #शायरी
read moreYogenddra Nath Yogi
#5LinePoetry खुशियों का एक बीज, बोने चला। खुद लगा लिया एक पौधा,जग पगला देख जला।। आज नहीं तो कल, फल तो देगा भला। कब तक मोहताज रहे,जमाना कभी ना सोचे भला।। ये अरमां कितना प्यारा, जो मेरे मन में पला। ©Yogendra Nath #5LinePoetry#खुशियों का एक बीज
#5LinePoetry#खुशियों का एक बीज #कविता
read moreDR. LAVKESH GANDHI
जग की माता हे जगत जननी मांँ अब तो दया कर दो अब तो क्षमा कर दो युद्ध की विभीषिका से त्रस्त हो रही है मानवता इंसानियत हो रही कलंकित है नर पिचाशों ने तांडव मचा रखा है आतंकवाद का नंगा नाच मचा रखा है अब तो मानवता के लिए रामराज की कल्पना लिख दो ©DR. LAVKESH GANDHI #navratri # # शांति का बीज बो दो #
navratri # # शांति का बीज बो दो #
read moreAparna Bansal
अकेलेपन कि राही हूं अकेलापन हि मोको भाए। संग बैरी पिया को राखी हू न दूजी "निबोली" मोको भाए।। #निबोली "नीम का बीज #nojoto #alone
Naveen Mahajan
" बीज प्रीति का बोता हूँ " भारी हरपल सहते-सहते, बोझ सभी का ढोता हूँ एक से हंसता, एक से देखूं, एक आँख से सोता हूँ ज़िम्मेदारी इतनी सारी, मैं एक आँख से रोता हूँ। हर आंसू तकिये में जो है, ढेर आंसुओं से धोता हूँ हर रात स्वप्न में पाऊं तुझे, हर सुबह तुझे मैं खोता हूँ ज़िम्मेदारी इतनी सारी, मैं एक आँख से रोता हूँ। हर आंसू एक नुक्ता सा है, पड़ा अधूरा कविता होने है वक्त कहाँ सब लिख पाऊं, अब खुद ही कविता होता हूँ ज़िम्मेदारी इतनी सारी, मैं एक आँख से रोता हूँ। पढ़ लेना ये कविता तू भी, वक्त तुझे जब हो खाली, सींच कभी तू देना इसको, बीज प्रीत का बोता हूँ ज़िम्मेदारी इतनी सारी, मैं एक आँख से रोता हूँ। #NaveenMahajan बीज प्रीति का बोता हूँ #NaveenMahajan #TumBinIshqNahi
बीज प्रीति का बोता हूँ #NaveenMahajan #TumBinIshqNahi #poem
read moreBabli Gurjar
श्याम लोग ढूंढते हैं जवाब बेचैन सवालों के सब्र रहा नहीं अब चलन में ना रिवाजों में बगैर बीज रोपे ही फसल काटना चाहते हैं खर पतवार को असल संग तौलना चाहते हैं रोपते समय बीजों के गुण और गुणवत्ता भूल जाते हैं काटते समय चुभते शूलों को बार बार नापते हैं पैमाने अलग-अलग नहीं हो सकते एक ही दर्द के तकलीफ़ मेरी ज्यादा औरों की कम है खोट है नजर में बबली गुर्जर मे ©Babli Gurjar बीज
बीज #शायरी
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