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VISHAL PREM
हर बार सोचकर कई बातें, बस यूँही मैं रह जाता हूँ, मुझे कुछ कहना है उससे, पर कुछ कह नहीं मैं पाता हूँ । कितना लगाव है मुझे उससे, ये उससे ही भला क्यूं मैं छुपाता हूँ, पल-पल करता हूं,कमी जिसकी महसूस, ये क्यों नहीं उसे मैं बताता हूँ । अपनी लेखनी में जिक्र उसका, बड़े चाव से मैं लाता हूँ, बस, कई बातें दिल की अपनी, इसी राह उसे पहुंचाता हूं । हर लिखे छंद में मेरे, मैं उसको ही गुनगुनाता हूँ, हर अल्फ़ाज़ से उसकी तारीफ़, दिल से अपने मैं सुनाता हूँ । मैं उसे कितना चाहता हूँ, पर उसे क्यूं नहीं सब बतलाता हूँ । बुरा न लग जाए उसको कहीं, अपने मन से, दिल को बार-बार मैं डराता हूँ, मुझे कुछ कहना तो है उससे, पर इसीलिए मैं उसे कुछ नहीं बताता हूँ ।। विशाल प्रेम कह नही मैं पाता हूँ ।।
Ajay Kumar Dwivedi
शीर्षक - मैं भूल नहीं पाता हूँ। मैं भूल नहीं पाता हूँ अपने जीवन का वो पल। जब कहा था मौत ने मुझसे साथ मेरे तू चल। पकड़ा तो था मृत्यु ने दामन पर हाथों से फिसल गया। माँ का था आशीष शीश पर मैं बचकर आगे निकल गया। एक पल को तो लगा था मुझको घर वापस न जाऊंगा। हंसते खिलखिलाते मैं न बच्चों संघ बतियाऊंगा। क्या मिल पाऊंगा माँ से अपनी या यहीं मर जाऊंगा। क्या हंसकर पत्नी को अपने मैं फिर से हृदय लगाऊंगा। याद आया बहनों का मुखड़ा भाई की याद सतायी थी। सोच पिताजी के बारे में आँख मेरी भर आईं थीं। वाहन ने मारा मुझको टक्कर मैं उछलकर यार गिरा। वाहन चकनाचूर हो गया मैं हुआ बिंदास खड़ा। उपरवाले ने गोद में लेकर मुझको यार बचाया है। मात-पिता के आशीषों से फिर लौट के जीवन आया है। अजय कुमार द्विवेदी ©Ajay Kumar Dwivedi #अजयकुमारद्विवेदी मैं भूल नहीं पाता हूँ।
{¶पारसमणी¶}
Ajay Kumar dhiryan
कहना तो बहुत कुछ है तुझसे मगर कह नही पाता हूँ। सच है कि जीना है तेरे बगैर मगर एक पल भी रह नही पाता हूँ। कोशिश हर बार होती है तुझे भुलाने की पर एक पल भी कहा भुला पाता हूँ। देखना चाहता हूँ हर रात सपने पर मैं खुद को सुला नही पाता हूँ। तू अगर देख पाती तो समझ जाती की इस बेबसी को कहा छुपा पाता हूँ। छलक जाता है दर्द आँखों से कभी पर मैं खामोश भी कहा रह पाता हूँ। लिए फिरता हूँ एक समुन्दर इन आँखों में मगर रो लू जी भरके ऐसा भी कहा कर पाता हूँ। मुकिन नही था तेरे बिना जीना मगर क्या करूँ मर भी नही पाता हूँ। कहना तो बहुत कुछ है तुमसे मगर कह नही पाता हूँ। कहना तो बहुत कुछ है तुझसे मगर कह नही पाता हूँ।
Nitin Kr Harit
कवि हूँ मैं स्वयं को कवि पाता हूँ मैं। #nitindilse #nkharit #yqdidi #yqhindi #thoughts #poetry
Chandan Bharati
शब्द लङखङाने लगते हैं मेरे, जब तुम्हे पास पाता हूँ, ना कुछ बोल पाता हूँ, ना सोच पाता हूँ, बस महफ़िल का, एक पात्र मात्र बन जाता हूँ, वैसे तो मैं एक वक्ता हूँ, लेकिन ना जाने क्यूँ, तुम्हारे सामने चुप सा हो जाता हूँ, शब्द लङखङाने लगते हैं मेरे, जब तुम्हे पास पाता हूँ... #NojotoQuote #शब्द #इजहार #इजहार_ए_मोहब्बत #प्यार #love#proposal#confession_of_feelings#feelings शब्द लङखङाने लगते हैं मेरे, जब तुम्हे पास पाता हूँ, ना
Praveen Jain "पल्लव"
एक तस्वीर है मेरे पास जो पल्लव की डायरी उसकी यादों में उसका चेहरा नजर आता है उदासी में रहता हूं तो उसकी तस्वीर गले लगाता हूँ लगता है अपनापन वजूद अपना उसके हाथों में पाता हूँ जीवन की बांध डोर अपना अक्स उसमे देखना चाहता हूँ प्यार के हर पलो को तस्वीरों में जिंदा रखना चाहता हूँ प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #AdhureVakya वजूद अपना उसके हाथों में पाता हूँ #AdhureVakya
mannat maan
ना सुख खरीद पाता हूँ ना दुःख किसी को बेच पाता हूँ फिर भी ना जाने क्यों हर रोज़ कमाने जाता हूँ ना सुख खरीद पाता हूँ ना दुःख किसी को बेच पाता हूँ फिर भी ना जाने क्यों हर रोज़ कमाने जाता हूँ
Prashant Roy
कई बार लिखने को सोचता हूँ, मगर कहाँ सोच कर लिख पाता हूँ, लिखना तो तभी होता है, जब सोचना छूट जाता है, और थक कर दिमाग़ दिल के सुपुर्द-ऐ-अहसास कर देता है, तो जो लिखता है, उसे लिखना कहाँ आता है। जिसे दर्द और दवा का अहसास, मुक़म्मल नजर आता ही नही, दिमाग ठहर कर, मासूम आँखों से, यू हीं बह जाता है, तब चंद लफ़्ज अपना मकाम पहुंच पाते है, और कहने को कुछ लिखा जाता है, फिर भी दिल तो जनता ही है, कि सोच कर कहाँ लिख पाता हूँ, फिर भी बेअक्ल सा, कई बार लिखने को सोचता हूँ....... ©Prashant Roy #pen #सोच कर कहाँ लिख पाता हूँ! #spontaneouswriting#स्वतः#स्फूर्त#सहज#सरलप्रवाह Rakesh Srivastava IshQपरस्त