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vaishali

अष्टाक्षरी काव्यमराठी काव्य

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होऊ अबला सबला

अष्टाक्षरी काव्य
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होऊ अबला सबला 
लेकी सावित्रीच्या आम्ही
खूप सोसला अन्याय 
नका हे विसरू तुम्ही  

लढू अन्याय विरुद्ध 
आता बनून सबला 
कमजोर नाही कोणी
नाही कोणीच अबला

कष्ट करुनी जिद्दीने
क्षेत्र सारी सर केली
चंद्रावर पोहचले
कुठे ना कमी पडली

स्वतः निघाले शोधण्या
हरवले जे अस्तित्व
दाखवण्या जगाला हे
माझे खरे व्यक्तिमत्त्व  अष्टाक्षरी काव्य#मराठी काव्य

jyoti gurjar

जिस से कुछ लोग जलते हैं,
उस से चार कदम दूर से चलते हैं।
  
          _ज्योति गुर्जर #काव्य

Parasram Arora

काव्य

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काव्य ... हमारे  भीतर
भाव का  उद्रेक  है
एक भावभीनी  तरंग है
काव्य  अप ने से जुड़ने की  पहली प्रतीति  है
पहला साक्षीत्कार है
काव्य क़े बिना  हमारे  जीवन मे  वह  जो
ह्रदय और अदृश्य  क़े बीच  का सेतुः है
वह निर्मित नहीं हो पाताहै. काव्य 

एक  इंद्रधनुष को पृथ्वी और आकाश   से जोड़
क़र सारे ध्वदो को  मिटा देता है 
वही काव्य   दो किनारो को दो  नहीं रहने देता
एक  कर देता है
काव्य क़े लिए  ह्रदय को नाचने की  कला  आनी  चाहिए

©Parasram Arora काव्य

Shivkumar Nishad

काव्य #समाज

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Durga Deshmukh

काव्य #मराठीकविता

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Darpan Kanpuri

तुम जीवन का रूप सम्यग् अन्तर्मन की  अभिलाषा !
रूप तेरा  ऐसे  कि  जैसे  काव्य की स्वयं परिभाषा !!

©Darpan Kanpuri #काव्य

Manubhai Harijan

काव्य #DearZindagi

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#DearZindagi वो एक अज़नबी है मगर 
रुहं-समान लगता है
मेरी तरह मुझे वो भी उदास 
लगता है करूँ तलाश तो
 शक हो वजुद पर उसके जो 
आँखे बंद करुँ तो आस-पास 
लगता है जो करुँ सवाल 
कभी उसे । कही से मेरा दिल बोलता है काव्य

Mohan Somalkar

# काव्य #मराठीविचार

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काव्य शिरोमणी
विषय:- मानवता

मानव
मानवाच्या संपर्कात 
सदा असतो सानिध्यात 
येई एक दुसर्‍याच्या कामात! 

मानव 
जीवन जगतो
आपले सुंदर बनवितो
दुसर्‍याच्या सदा कामी येतो.!

मानव
रणणिती आखतो
सहाय्य अडचणीत करतो
हात मदतीचा पुढे करतो...!

मोहन सोमलकर नागपुर

©Mohan Somalkar # काव्य

Poet Shivam Singh Sisodiya

काव्य लता

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रोते - रोते रात जागकर विरहिणी जो पढ़ती है |
विरही नैनों के जल से ही मेरी कविता बढ़ती है ||
कलियाँ लगीं अलंकारों की नव रस के हैं पर्ण लगे, 
सँग वियोग के वृक्ष सहारे काव्य लता यह चढ़ती है ||
-शिवम् सिंह सिसौदिया
"अश्रु" काव्य लता
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