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Parasram Arora
क्यों तुम जलते रहे गलते रहे बहते रहे? क्यों तुम अपने जीवन की बलि जगत क़ो किश्तो में देते रहे? और ये भी तो सोचो उसके बदले तुम्हे मिला क्या?? अपमान के ताप.. हिंसक प्रहार.. असहनीय वेदना के अभिशाप......... जीवन की झर्जर. हो चुकी सीड़ी के अंतिम पाय दान पर बैठ कर अब तुम चिंतन कर. रहे हो और अपने बलिदानो का इतिहास लिख रहे हो पर बीता हुआ समय और खोया हुआ अवसर. कभी लौटने वाला नही ये बात शायद तुम जानते नही हो ? ©Parasram Arora बलिदान....
बलिदान.... #कविता
read moreआशुतोष "गोरखपुरी"
भारत का ताज कहे जाने वाले कश्मीर की घाटी में, कश्मीरी पंडितों का नरसंघार हुआ कश्मीर की ही माटी में, तब कहाँ गया वह भाईचारा जब देश मे हिन्दू-मुस्लिम भाई-2 के नारे लगवाए जाते थे, कितने घर जले कितनी औरते हुई विधवा और बच्चे अनाथ हुए, मानवता तो मरी पड़ी थी यह देख वहाँ के अन्य लोग जिंदा लाश हुए, कितनों ने कश्मीर छोड़ी और अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए, मगर धन्य है वो लोग जो खुद तो बलिदान हुए मगर कश्मीर और अपने धर्म को न छोड़ने को तैयार हुए 🙏🏼🙏🏼❤️ बलिदान हुए सभी कश्मीरी पंडितो को मेरा नमन🙏🏼 ©Mr cool बलिदान हुए कश्मीरी पंडितों को विनम्र श्रद्धांजलि🙏🏼🙏🏼 #KashmiriFiles
बलिदान हुए कश्मीरी पंडितों को विनम्र श्रद्धांजलि🙏🏼🙏🏼 #KashmiriFiles #समाज
read moreAlone
अब सब कुछ अपने हित के लिए करोगे तो केसे चलेगा स्वर्ग मे जगह चाहिए तो बहुत कुछ बलिदान करना होगा... अपने लिए नहीं कभी दुसरो के भले के लिए भी सोचना होगा.... बलिदान
बलिदान
read moreDarshan Aacharya
टूटने ओर बिखरने का चलन मांग लिया , हमने हालात से शिशे का बदन मांग लिया , हम भी खड़े थे तकदीर के दरवाजे पर , लोग दौलत पर गिरे हमने वतन मांग लिया ! Darshil.. #बलिदान
Lucky Rai
हिंदुस्तानी होकर मैं यह अभिमान करता हूँ भारत माता की खातिर मैं भी बलिदान करता हूँ। #बलिदान
Rajendra Kumar Ratnesh
देशभक्ति का जुनून उनमें, कूट कूट कर भरी थीं, जब अंग्रेजों की बेड़ियां, चहुंओर देश में पड़ी थी। भगत, सुखदेव और राजगुरु देश के वीर लाल थे। इन क्रांतिवीरों के रगों में बहती लहू में उबाल थे।। जब भगतसिंह ने तिलक लगाए जालियां वाला बाग में। मानो वो झुलस रहे हो, उस नरसंहार बदले की आग में। गतिविधियां उन क्रांतिकारियों की देख, अंग्रेज थर्राते थे। चोरी-चौरा जैसे कांड देख, अंग्रेज़ बेहद घबरा जाते थे। लाला लाजपतराय की बदला, स्कॉट को मार गिराने का, ठाना एक दिन असेम्बली में, साथियों संग बम गिराने का। धमाका से बहरी सरकार के खिलाफ़, नौजवान जागेंगे। बम फेक, देंगे गिरफ्तारियां हम कदापि न भागेंगे। वे जेल में भी, सैकड़ों क्रान्तिकारियों के पुस्तकें पढ़ डाले थे, वे वीर सपूतों ने, मात्र देश की आजादी दिलों में पाले थे। कहे मां से-दुल्हन मेरी आजादी होगी, ऐसे प्रण उनके निराले थे। वे जन्मे थे मात्र देश के लिए, भारत मां के सच्चे अमर लालें थे। 23 मार्च का वह काला दिन, जब तीनों को फांसी पर लटकाने वाले थे। तीनों साथियों ने मिलकर गीत गाए, इन्कलाब जिंदाबाद,इन्कलाब जिंदाबाद, वन्दे मातरम् की गूंज निराले थे। धरती गूंजी, आसमान गूंजा, गूंज उठी चारों दिशाएं उनकी हंसी से। अंग्रेज़ी हुकूमत झुका नहीं पाए, इन अमर क्रान्तिकारियों को फांसी से। - राजेन्द्र कुमार मंडल सुपौल (बिहार) ©Rajendra Kumar Ratnesh #अमर बलिदान।
#अमर बलिदान। #पौराणिककथा
read moremadanlal
बलिदान सेना आप सभी से अपील करतीं हैं कि आप सभी हिंसा ना फेलाए बलिदान सेना
बलिदान सेना
read moreअनुराग "सुकून"
जब से तुम रुखसत हुए मेरे जहां से, तब से जिन्दगी कराह रही है, पर शब्द नहीं निकल रहे हैं जुबां से। .... कविराज जब से तुम रूखसत हुए इस जहां से//कविराज
जब से तुम रूखसत हुए इस जहां से//कविराज
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