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Babita Singh
तन्हाई बोलती है पर कोई सुने ना यहां बना लेती फिर कलम को जुबा में यहां सुकून मिले कोरे पन्नों में जब लिखती हूं साथ तेरा ©Babita Singh बोलना जानती है फिर भी मौन रहना है कोई समझेगा या नहीं इस बात का डर लगता है ज्यादा बोलूं तो कोई परेशान ना हो मुझसे इसलिए तन्हाई से दोस्ती
Manya Parmar
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 1-18 📜 भीमसेन का गान्धारी को अपनी सफाई देते हुए उनसे क्षमा मॉंगना, युधिष्ठिर का अपना अपराध स्वीकार करना, गान्धारी के दृष्टिपात से युधिष्ठिर के पैरों के नखों का काला पड़ जाना, अर्जुन का भयभीत होकर श्रीकृष्ण के पीछे छिप जाना, पाण्डवों का अपनी माता से मिलना, द्रौपदी का विलाप, कुन्ती का आश्वासन तथा गान्धारी का उन दोनोंको धीरज बँधाना. 📜 वैशम्पायन उवाच वैशम्पायन जी कहते हैं-जनमेजय ! गान्धारी की यह बात सुनकर भीमसेन नें डरे हुए की भॉंति विनय पूर्वक उनकी बात का उत्तर देते हुए कहा। माताजी ! यह अधर्म हो या धर्म मैंने दुर्योधन से डरकर अपने प्राण बचाने के लिये ही वहॉं ऐसा किया था अत: आप मेरे उस अपराध को क्षमा कर दें। 📜 आपके उस महाबली पुत्र को कोई भी धर्मानु कूल युद्ध करके मारने का साहस नहीं कर सकता था अत: मैंने विषमता पूर्ण बर्ताव किया। पहले उसने भी अधर्मसे ही राजा युघिष्ठिर को जीता था और हम लोगों के साथ सदा धोखा किया था, इसलिये मैंने भी उसके साथ विषम बर्ताव किया। कौरव सेना का एक मात्र बचा हुआ यह पराक्रमी वीर गदा युद्ध के द्वारा मुझे मारकर पुन: सारा राज्य हर न ले, 📜 इसी आशड्का़ से मैंने वह अयोग्य बर्ताव किया था। राजकुमारी द्रौपदी से, जो एक वस्त्र धारण किये रजस्वला अवस्था में थी, आपके पुत्र ने जो कुछ कहा था, वह सब आप जानती हैं। दुर्योधन का संहार किये बिना हम लोग निष्कण्टक प्रथ्वी का राज्य नहीं भोग सकते थे, इसलिये मैंने यह अयोग्य कार्य किया। 📜 आपक ेपुत्र ने तो हम सब लोगों का इससे भी बढ़कर अप्रिय किया था कि उसने भरी सभा में द्रौपदी को अपनी बॉंयी जॉंघ दिखायी। आपके उस दुराचारी पुत्र को तो हमें उसी समय मार डालना चाहिये था, परंतु धर्मराज की आज्ञा से हम लोग समय के बन्धन में बँधकर चुप रह गये। 📜 रानी ! आपके पुत्र ने उस महान् वैर की आग को और भी प्रज्वलित कर दिया और हमें वन में भेजकर सदा क्लेश पहुँचाया इसीलिये हमने उसके साथ ऐसा व्यवहार किया है। रणभूमि में दुर्योधन का वध करके हमलोग इस वैर से पार हो गये। राजा युधिष्ठिर को राज्य मिल गया और हम लोगों का क्रोध शान्त हो गया। 📜 गान्धार्युवाच गान्धारी बोलीं –तात ! तुम मेरे पुत्र की इतनी प्रशंसा कर रहे हो इसलिये यह उसका वध नहीं हुआ (वह अपने यशोमय शरीर से अमर है) और मेरे सामने तुम जो कुछ कह रहे हो, वह सारा अपराध दुर्योधनbने अवश्य किया है। भारत ! परंतु वृषसेन ने जब नकुल के घोड़ो को मारकर उसे रथहीन कर दिया था, 📜 उस समय तुमने युद्ध में दु:शासन -को मारकर जो उसका खून पी लिया, वह सत्पुरुषों द्वारा निन्दित और नीच पुरुषों द्वारा सेवित घोर क्रूरता पूर्ण कर्म है। वृकोदर ! तुमने वही क्रूर कार्य किया है, इसलिये तुम्हारे द्वारा सत्यन्त अयोग्य कर्म बन गया है। भीमसेन उवाच भीमसेन बोले—माताजी ! दूसरे का भी खून नहीं पीना चाहिये फिर अपना ही खून कोई कैसे पी सकता है ? 📜 जैसे अपना शरीर है, वैसे ही भाई का शरीर है।अपने में और भाई में कोई अन्तर नहीं है। मॉं ! आप शोक न करें। वह खून मेरे दॉंतो और ओठों को लॉंघकर आगे नहीं जा सका था। इस बात को सूर्य-पुत्र यमराज जानते हैं, कि केवल मेरे दोनों हाथ ही रक्त में सने हुए थे। 📜 युद्ध में वृषसेन के द्वारा नकुल के घोड़ो को मारा गया देख जो दु:शासन के सभी भाई हर्ष से उल्लसित हो उठे थे, उनके मनमें वैसा करके मैंने केवल त्रास उत्पन्न किया था। द्यतक्रीडा के समय जब द्रौपदी का केश खींचा गया, उस समय क्रोध में भरकर मैंने जो प्रतिज्ञा की थी, उसकी याद हमारे हृदय में बराबर बनी रहती थी। ©N S Yadav GoldMine #sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 1-18 📜 भीमसेन का गान्धारी को अपनी सफाई देते हुए उनसे क्
Irfan Saeed
Manya Parmar
Bhanu Priya
मैं उसे मासूम कहती रही , मेरे लिए जो झूठ को भी सच कह देती है , मैं जानती नहीं थी कि वो आंखे भी पढ़ लेती है । ©Bhanu Priya मैं उसे मासूम कहती रही , मेरे लिए जो झूठ को भी सच कह देती है , मैं जानती नहीं थी कि वो आंखे भी पढ़ लेती है । Ak.writer_2.0 Neel Ravi Ranjan
Rameshkumar Mehra Mehra
White जानती हो.............. किसे कहते है...! जन्नत में घूमना.......!! तुझे बाहों मे भर के.......!!! तेरे माथे को चूमना...💓 ©Rameshkumar Mehra Mehra # जानती हो,किसे कहते है,जन्नत में घूमना,तुझे बाहों में भर के,तेरे माथे को चूमना.....💓
Anuradha T Gautam 6280
पति पर झूठे मुकदमे करने वाली औरतों का टांका 100% बाहर भिड़ा रहता है...90% तो अपने ही जीजू या रिश्तेदारों संग व्यस्त रहती है, शादी तो बस समाज को दिखाने के लिए और पति से धन ऐंठने के लिए ही करती हैं..!! ऐसी औरतें शादी करके सबसे पहले पति को इस बात के लिए राज़ी करती हैं कि मैं भी गृहस्थी में आपके साथ हाथ बटाउंगी और मैं भी कोई काम-काज करूंगी... ताकि उन्हें घर से बाहर निकलने का मौका मिले और वो अपने आशिकों से मिल-जुल सकें..!! कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि धन की भूखी लालची लड़कियां जहां काम करती हैं, वही अपने से बड़े कर्मचारी या अधिकारी पर ही डोरे डालने लगती हैं... जबकि वो अच्छी तरह जानती है कि वो भी शादीशुदा व्यक्ति हैं फिर भी...लगी रहती हैं उसको रिझाने में.. वो भी सिर्फ इसलिए ताकि तरक्की/प्रमोशन हो जाएं... मेरे पैसे बच जाएं और वो ही सारे मेरे शौक और ब्रांडेड कपड़े, मेकअप और घूमने फिरने का खर्च पूरे करें...!! अपने फायदे के लिए किसी के भी साथ हमबिस्तर हो जाने पर इन्हें कोई अफसोस नहीं होता है....!! बाकी गृहणियों की तरह इनकी सोच नही होती है क्योंकि इनको मर्यादा में रहना गंवार पन लगता है...!! संस्कारी गृहणियों को ये गुलाम समझती हैं..!! ......... ...... ......... ...... ......... ...... ..... ..... ..... लिव इन रिलेशनशिप में रखैल बनकर रह लेंगी मगर इज्जत से ससुराल में नही रह पाएंगी क्यों कि... ससुराल में मर्यादा से रहना पड़ता है और बड़े-बुजुर्गों की रोक-टोक एवं हिदायतें सुननी पड़ती हैं..!! नोट-यह पोस्ट प्रेमी की खातिर या जिद पूरी करवाने की खातिर पति को झूठे मुकदमे में फंसाने वाली औरतों को समर्पित है, कृपया यह ना कहे कि "सभी एक जैसी नहीं होती" जो हैं या ऐसा करती हैं, उन्हें ही कहा गया है👍बाकी सभी घरेलू, गृहकार्य में दक्ष महिलाएं ही परिवार चला सकती है और सदैव सम्मान पाती हैं..!! सभी संस्कारी माताओं और बहनों को सादर 🙏🌹 #Repost #हर_बेटी_मेरी ©Anuradha T Gautam 6280 पति पर झूठे मुकदमे करने वाली औरतों का टांका 100% बाहर भिड़ा रहता है...90% तो अपने ही जीजू या रिश्तेदारों संग व्यस्त रहती है, शादी तो बस समाज