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INDIA CORE NEWS
संगीत कुमार
आज पुनीत दिन आया है पांच वर्ष बाद भागीदारी का जन आकांक्षा का पर्व ये हमसब भागीदार बन निभायेंगे फिर से फाताका फहरायेंगे विश्व में डंका बजायेंगी लूटेरा को दूर भगायेंगे मां भारती का लाज बचायेंगे निकम्मे को दूर भगायेंगे राष्ट्रहित की बात गुनगुनायेंगे चलो चलो मिल वोट डालेंगे फिर से भारत को स्वर्ग बनायेंगे आज पुनीत दिन आया है पांच वर्ष बाद भागीदारी का ©संगीत कुमार #election आज पुनीत दिन आया है पांच वर्ष बाद भागीदारी का जन आकांक्षा का पर्व ये हमसब भागीदार बन निभायेंगे फिर से फाताका फहरायेंगे विश्व में
Arpit Mishra
हां! आज शिक्षा मार्ग भी संकीर्ण होकर क्लिष्ट है, कुलपति सहित उन गुरुकुलो का ध्यान ही अवशिष्ट है। बिकने लगी विद्या यहां अब , शक्ति हो तो क्रय करो , यदि शुल्क आदि न दे सको तो मूर्ख रहकर ही मरो । । ©Arpit Mishra भारत भारती
Anuj Ray
कभी नियत नहीं भरती" एक दर से, दया की भीख मांगने वालों की कभी ,नियत नहीं भरती। बिना पिए बगैर ,दस दस घाट का पानी, उनकी कभी प्यास नहीं मिटती। दया के नाम पे ,करते हैं दगाबाजी,ऐसे लोगों को ज़िन्दगी कभी माफ़ नहीं करती। ©Anuj Ray कभी, नियत नहीं भारती"
राजीव भारती
HintsOfHeart.
"आ जाना प्रिय आ जाना! अपनी एक हँसी में मेरे आँसू लाख डुबा जाना! फैला वन में घन-अन्धकार, भूला मैं जाता पथ-प्रकार- जीवन के उलझे बीहड़ में दीपक एक जला जाना। सुख-दिन में होगी लोक-लाज, निशि में अवगुंठन कौन काज? मेरी पीड़ा के घूँघट में अपना रूप दिखा जाना। आ जाना प्रिय आ जाना!"¹ ©HintsOfHeart. #अज्ञेय #जन्मजयंती ( 07 March 1911) 1. सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' - हिन्दी में अपने समय के सबसे चर्चित कवि, कथाकार, निबन्धकार,
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल दीप यादों के जलाकर देख लो । प्यार से हमको बुलाकर देख लो ।। दौड़ आयें एक ही आवाज में । जब करे दिल आजमा कर देख लो ।। ये वतन तो आज अपनी शान है । तुम तिरंगा अब उढ़ाकर देख लो ।। हो अगर दुश्मन हमारे सामने । जान की बाजी लगाकर देख लो ।। जान भी कुर्बान हँसकर हम करें । तो अभी गर्दन झुकाकर देख लो ।। मातु अपनी भारती प्यारी मुझे । तुम कभी जादू चला कर देख लो ।। जिस तरह से घात दुश्मन कर रहा । चाल अपनी तुम चलाकर देख लो ।। आज पुलवामा शहीदों का दिवस । फूल चरणों में चढ़ा कर देख लो ।। अश्रु लेकर अब प्रखर लिख लो ग़ज़ल । और महफ़िल में सुनाकर देख लो ।। १५/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दीप यादों के जलाकर देख लो । प्यार से हमको बुलाकर देख लो ।। दौड़ आयें एक ही आवाज में । जब करे दिल आजमा कर देख लो ।। ये वतन तो आज अपनी शान है
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल दीप यादों के जलाकर देख लो । प्यार से हमको बुलाकर देख लो ।। दौड़ आयेंगे एक ही आवाज में । जब करे दिल आजमा के देख लो ।। ये वतन तो आज अपनी शान है । है कफ़न अपना तिरंगा देख लो ।। हो अगर दुश्मन हमारे सामने । जान की बाजी लगाते देख लो ।। जान भी कुर्बान हँसकर हम करें । मातु से है प्रेम इतना देख लो ।। मातु अपनी भारती अपनी यहाँ । भूलता ही मैं नहीं तुम देख लो ।। जिस तरह से घात दुश्मन कर रहा । वार तुम ये आज अपना देख लो ।। आज पुलवामा शहीदों का दिवस । पीठ खंजर है चुभा ये देख लो ।। अश्रु लेकर कर प्रखर करता नमन । वीर वो माँ लाल के हैं देख लो ।। १५/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दीप यादों के जलाकर देख लो । प्यार से हमको बुलाकर देख लो ।। दौड़ आयेंगे एक ही आवाज में । जब करे दिल आजमा के देख लो ।।