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Srinivas
कठिनाइयाँ हमें तोड़ती नहीं, तराशती हैं, जैसे हीरे को तराशा जाता है। ©Srinivas #Hardships कठिनाइयाँ हमें तोड़ती नहीं, तराशती हैं, जैसे हीरे को तराशा जाता है।
Mohd Asif
White जख्म जब मेरे सीने के भर जायेंगें …. आसूं भी मोती बन कर बिखर जायेंगें …. ये मत पूछना किस-किस ने धोखा दिया …. वर्ना कुछ अपनों के चेहरे उतर जायेंगें ©Mohd Asif #SunSet जख्म जब मेरे सीने के भर जायेंगें …. आसूं भी मोती बन कर बिखर जायेंगें …. ये मत पूछना किस-किस ने धोखा दिया …. वर्ना कुछ अपनों के चेहरे
Shivkumar
hanuman jayanti 2024 ।। हनुमंत वीर ।। आओ हिल मिल मंगल गान गाएं । रामेष्ट का जन्मदिवस मुस्कान संग मनाएं । जन्मोत्सव बजरंगबली का बहुत हर्षाता । मां अंजनी का लाल दुख करता सबके दूर । बाल्यकाल से ही जग में हुआ नाम रोशन । पवनपुत्र हनुमानजी पीड़ा हरते हर जन की । महाबल के हो धनीन्। दर्प का आप करते नाश । राम जी के लाडले करते सबके काज । सीता मैया के अतिप्रिय वीर हनुमान । पवन वेग से जा लाए संजीवन बूटी । मूर्छित लक्ष्मण के प्राण दाता कहलाए । सीता मैया का पता लगा राम के लाडले बने । जन जन का आप रखते ख्याल । दसग्रीव दर्पहा का करा नाश । रोट, गुड़, मोती चूर के लड्डू का भोग मन भाता । राम जी के चरणों के अलावा कहीं ना सुहाता । नमन चरणों में बालाजी आपको बारम्बार । करो सारे जग का कल्याण । ©Shivkumar #hanumanjayanti24 #हनुमानजयंती #हनुमानजन्मोत्सव #हनुमान #hanumanjayanti #Hanuman #Nojoto ।। हनुमंत वीर ।। आओ हिल मिल मंगल गान गाएं । रा
gaTTubaba
White तुम हमको ना चाहो ये शरीर तो सजा सजाया हैं चारों और बस रूह को चाहो यकीन नहीं होगा अंदर नजारा ही हैं कुछ और बाहर होटों पे कितनी मुस्कुराहट हैं अंदर भीगा हुआ समंदर बाहर ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे चाहिए मोती तो बह जाना रूह की और .... ©gaTTubaba #Road तुम हमको ना चाहो ये शरीर तो सजा सजाया हैं चारों और बस रूह को चाहो यकीन नहीं होगा अंदर नजारा ही हैं कुछ और
꧁ARSHU꧂ارشد
गुलाबों की तरह दिल.. अपना शबनम में भिगोतें हैं... मोहब्बत करने वाले.. ख़ूबसूरत लोग होते हैं.. किसी ने जिस तरह... अपने सितारों को सजाया है... ग़ज़ल के रेशमी धागों में... यूँ मोती पिरोते हैं..🌹 ©꧁ARSHU꧂ارشد गुलाबों की तरह दिल.. अपना शबनम में भिगोतें हैं... मोहब्बत करने वाले.. ख़ूबसूरत लोग होते हैं.. किसी ने जिस तरह... अपने सितारों को सजाया है..
Shivkumar
White बुराई दूर करने को यहाँ भगवान आते हैं । अधर्मी राक्षसों का नाश कर पृथ्वी बचाते हैं ।l पुराणों में कहा जाता धरा पर पाप बढ़ जाता l कभी श्री कृष्ण या श्री राम बन लीला रचाते हैं ।l धरा पावन बनाने को प्रभू सुत रूप में आए । लता- पत्ता सभी झूमें तथा नर- नार मुस्काए ।l घड़ी थी चैत्र की नवरात्रि नवमी मात कौशिल्या l अयोध्या राम की नगरी पिता अवधेश कहलाए ।l ll आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं ll ©Shivkumar #ramnavmi #ramnavmispecial #ramnavmi2024 #ramnavmi2025 #Nojoto #बुराई दूर करने को यहाँ #भगवान आते हैं । अधर्मी राक्षसों का #
Devesh Dixit
अयोध्या सज गई (दोहे) देख अयोध्या सज गई, आएँगे श्री राम। राह निहारें हम सभी, सुन्दर हों सब काम।। प्राण प्रतिष्ठा आपकी, करने को संसार। हैं उत्साहित देखलो, झूमें सब नर-नार।। कृपा आपकी हो जिसे, है वो ही धनवान। राह खड़े सब आपकी, पाने को वरदान।। भोग सभी तैयार हैं, आ जाओ भगवान। द्वार खड़े हैं आपके, हम सब ही नादान।। भक्ति भाव से तृप्त हों, ऐसा हो रघुनाथ। जीवन में यश भी मिले, और आपका साथ।। ............................................................ देवेश दीक्षित स्वरचित एवं मौलिक ©Devesh Dixit #अयोध्या_सज_गई #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi अयोध्या सज गई (दोहे) देख अयोध्या सज गई, आएँगे श्री राम। राह निहारें हम सभी, सुन्दर ह
Bhanu Priya
Black क्षणिक सुख टपके आंसू छलकी बूंदे यूं मोती बन वह तो वही जाने कैसे बिसरे थे उन्होंने वे दिन तुम्हारे बिन आंसू तो लाज़मी थे बहुत रोका लेकिन वे तो वह ही रहे थे खुशी से चहक रहे थे कहां वह स्थाई थी वह तो मिटने से पहले ही मिट कर आई थी फिर भी दो शब्द कहे दो शब्द सुने क्षणिक सुख बरसाया था कहां वह उस प्रेम के आगे टिक पाया था वो यादगार लम्हा उस दिन आया था किसी ने बुलाया नहीं वह तो स्वयं हमसे मिलने आया था । ©Bhanu Priya #Thinking क्षणिक सुख टपके आंसू छलकी बूंदे यूं मोती बन वह तो वही जाने कैसे बिसरे थे उन्होंने वे दिन तुम्हारे बिन आंसू तो लाज़मी थे
Shishpal Chauhan
White नारी बिन नर कुछ भी नहीं, घर संसार कुछ भी नहीं। एक हाथ से ताली बजती नहीं, सुख के बिना दुख नहीं। एक से बनते अनेक, शादी के बाद बन जाते दो जान एक। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, नारी के बिना घर बन जाता नर्क है। ©Shishpal Chauhan #नर और नारी
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी :- लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो । त्यागो अभी हृदय से , दुष्ट अभिमान को । नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो , चलो सब मिलकर, करो मतदान को । ये तो सब लुटेरे हैं , करते हेरे-फेरे हैं पहचानते है हम , छुपे शैतान को । मतदान कर रहे , क्या बुराई कर रहे, रेंगता है मतदाता , देख के विधान को ।।१ वो भी तो है मतदाता, क्यों दे जान अन्नदाता , पूछने मैं आज आयी , सुनों सरकार से । मीठी-मीठी बात करे , दिल से लगाव करे, आते हाथ सत्ता यह , दिखता लाचार से । घर गली शौचालय, खोता गया विद्यालय, देखे जो हैं अस्पताल , लगते बीमार से। घर-घर रोग छाया , मिट रही यह काया , पूछने जो आज बैठा , कहतें व्यापार से ।।२ टीप-टिप वर्षा होती , छत से गिरते मोती , रात भर मियां बीवी , भरते बखार थे । नई-नई शादी हुई , घर में दाखिल हुई , पूछने वो लगी फिर , औ कितने यार थे । मैने कहा भाग्यवान , मत कर परेशान , कल भी तो तुमसे ही , करते दुलार थे । और नही पास कोई , तुम बिन आँख रोई, जब तेरी याद आई , सुन लो बीमार थे ।।३ २८/०३/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो । त्यागो अभी हृदय से , दुष्ट अभिमान को । नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो , चलो