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सिद्धार्थ मिश्र स्वतंत्र
Vedantika
कैसे मैं कहूँ तम्हीद उनसे इश्क़ की? लफ्ज़ गुम हो जाते है उनके दीद से। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "तम्हीद" "tamhiid" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है भूमिका, प्राक्कथन, प्रस्तावना एवं
Vedantika
ख़ुत्बा-ए-ज़िंदगी सुनकर भी गुना नहीं हमनें, शिकायत में वक़्त सारा लगा दिया है हमनें ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "ख़ुत्बा" "KHutbaa" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है उपदेश, भाषण, प्रस्तावना एवं अंग्र
CM Chaitanyaa
"श्रीराम चरितावली" प्रस्तावना : जिनका मुख-मंडल देख, अश्रु जल छलके अविराम। वे हैं नील मणि की भाँति, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम।। दशरथ के नंदन बड़े अद्भुत,
Krish Vj
शीर्षक :- एहसास की दुनिया "कोरा काग़ज़" काग़ज की नाव बनाकर, चलना मैंने जल पर सीख लिया कोरा काग़ज़ संग एहसास लेखन के, यूँ ढलना सीख लिया पूर्ण निबंध पढ़िए.. अनुशीर्षक मेें 📖 🖋️ अंतिम चरण :- शीर्षक :- एहसास की दुनिया "कोरा काग़ज़" निबंध का शीर्षक जो उसकी आत्मा है, अर्थात आत्मा बिना जीवन की कल्पना असम्भव
Insprational Qoute
कोरोना वायरस पर निबंध प्रस्तावना:-कोरोना एक वायरस हैं जो कि covid-19 के नाम से जाना जाता है। 19 से अभिप्राय हैं कि यह विश्व मे दिसम्बर माह 2019 में आया था।विश्व स
AK__Alfaaz..
अधखुले नैनों से, ताकती वो, पगडंडी की ऊँची ढ़लान से, उतरते सूरज को, व, तलाश रही है वो, अपने जीवन की, वास्तविकता का यथार्थ, और..श्वाँसों के आने जाने से, तय करती, उम्र का उपसंहार, उसकी पलकों मे बँधे मोती, अपनी स्थिरता की प्रस्तावना, करने में असमर्थ हो गये, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #अनामिका अधखुले नैनों से, ताकती वो, पगडंडी की ऊँची ढ़लान से, उतरते सूरज को,
AK__Alfaaz..
अपने, जीवन की प्रस्तावना, लिखकर, अपनी श्वाँसों के, उपसंहार तलाशती वो, मृत्यु.., पहला व अन्तिम, निबंध है उसके जीवन का, उसके.., जीवन की पुस्तक का, पहला पन्ना कोरा है, और..दूसरे पन्ने पर लिखी है, उसके श्वाँसों की विषय सूची, उसकी अश्रुओं की स्याही से, कुल ग्यारह.., पीर अनुसूचियों में, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #आर्तनाद_एकादश अपने, जीवन की प्रस्तावना, लिखकर, अपनी श्वाँसों के,
AK__Alfaaz..
चाहती है हर वो स्त्री, हरे रंग की चूड़ियाँ, जिसे पहन सके वो, अपने सुहाग के लिए, तीज और करवा चौथ के दिन, चाहती है हर वो स्त्री, लाल रंग की चूड़ियाँ, जिसे पहनाया जाए उसको, अरथी पर निकलने से पहले, अपने पिया के घर से, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #बेरंग_चूड़ियाँ चाहती है हर वो स्त्री, हरे रंग की चूड़ियाँ, जिसे पहन सके वो, अपने सुहाग के लिए,
Richa Mishra
|| संविधान दिवस || शान ए शौकत का मिशाल हैं हमारा विस्तृत संविधान ! लिखित विवरण की छाप से अलंकृत ... लोकतंत्र का सम्मान हैं ।। करता है सामाजिक प्रयोजन प्रस्