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shaukat ali shaukat
نوکری مانگی تو بندوق تھمایا تونے اپنے ہی لوگوں کو آتنکی بنیا تونے شوکت علی شوکتؔ नौकरी मांगी तो बंदूक़ थमाया तूने نوکری مانگی تو بندوق تھمایا تونے अपने ही लोगों को आतंकी बनाया तूने اپنے ہی لوگوں کو آتنکی بنیا تونے शौक
नौकरी मांगी तो बंदूक़ थमाया तूने نوکری مانگی تو بندوق تھمایا تونے अपने ही लोगों को आतंकी बनाया तूने اپنے ہی لوگوں کو آتنکی بنیا تونے शौक
read moreKeshav Kamal
कैसे दर्द सहकर मुस्कुरातें हैं तुम भी समझ जाओगे... जब अपने ही लोगों से अपने ही दिल पर चोट खाओगे... ©Keshav Kamal.... ✍ ©Keshav Kamal #LostTracks कैसे दर्द सहकर मुस्कुरातें हैं तुम भी समझ जाओगे... जब अपने ही लोगों से अपने ही दिल पर चोट खाओगे... ©Keshav Kamal.... ✍ PRATIK
#LostTracks कैसे दर्द सहकर मुस्कुरातें हैं तुम भी समझ जाओगे... जब अपने ही लोगों से अपने ही दिल पर चोट खाओगे... ©Keshav Kamal.... ✍ PRATIK #अनुभव
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नौकरी मांगी तो बंदूक़ थमाया तूने अपने ही लोगों को आतंकी बनाया तूने शौकत अली 'शौकत' نوکری مانگی تو بندوق تھمایا تونے नौकरी मांगी तो बंदूक़थमाया तूने اپنے ہی لوگوں کو آتنکی بنیا تونے अपने ही लोगों को आतंकी बनाया तूने شوکت
نوکری مانگی تو بندوق تھمایا تونے नौकरी मांगी तो बंदूक़थमाया तूने اپنے ہی لوگوں کو آتنکی بنیا تونے अपने ही लोगों को आतंकी बनाया तूने شوکت
read moreMohammad Arif (WordsOfArif)
अपने ही लोगों को तबाह कर के तबाही नहीं दिखती मुल्क अपना बर्बाद हो रहा है फिर भी बर्बादी नहीं दिखती आशियानें धीरे-धीरे सभी के बर्बाद हो रहे है यहां पर कितने दिनों से सड़कों पर बैठे है लोगों में गद्दारी नहीं दिखती ©Mohammad Arif (WordsOfArif) अपने ही लोगों को तबाह कर के तबाही नहीं दिखती मुल्क अपना बर्बाद हो रहा है फिर भी बर्बादी नहीं दिखती आशियानें धीरे-धीरे सभी के बर्बाद हो रहे
Mohammad Arif (WordsOfArif)
हवाओं का रुख़ बदलते देखा है वक्त पर अपनों को बदलते देखा है चन्द रोज की फानी दुनिया है एक दूसरे को हमने रोते देखा है कितने अजीब लोग है यहां पर अपने ही लोगों को सजा देते देखा है मजबूर कर देती है अपनों की जुदाई गैरों को साथ मिलते-जुलते देखा है सवाली दर पर खड़ा है बच्चों की तरह दूसरों को अपनों से माफ़ी मांगते देखा है रास्ते बहुत है मंजिल का पता नहीं आरिफ बच्चों को यहां बिगड़ते देखा है हवाओं का रुख़ बदलते देखा है वक्त पर अपनों को बदलते देखा है चन्द रोज की फानी दुनिया है एक दूसरे को हमने रोते देखा है कितने अजीब लोग है यहा
हवाओं का रुख़ बदलते देखा है वक्त पर अपनों को बदलते देखा है चन्द रोज की फानी दुनिया है एक दूसरे को हमने रोते देखा है कितने अजीब लोग है यहा #Quotes #Life #Love #experience #Hindi #writer #Shayari #urdu #Arif #Life_experience
read moreसुसि ग़ाफ़िल
फूंक देंगे दिल्ली को श्मशान बना देंगे अपने ही लोगों के घर को बियाबान बना देंगे ! शांति की अपील के साथ हम कोहराम मचा देंगे हम भी किसी से कम नहीं यकीन दिला देंगे! सामने पड़े बैरियर को तोड़ आग लगा देंगे , सामने आई खाकी की लाठी तो तलवार चला देंगे। बनकर आए जो शरीफ उसको शैतान बना देंगे, खुद की आन बान शान को हम मिट्टी में मिला देंगे। फेंक देंगे तिरंगा और अपना नाम कमा लेंगे , भारत मां की प्राचीर पर हम कालिख लगा देंगे । फूंक देंगे दिल्ली को श्मशान बना देंगे अपने ही लोगों के घर को बियाबान बना देंगे ! शांति की अपील के साथ हम कोहराम मचा देंगे हम भी किसी से कम
फूंक देंगे दिल्ली को श्मशान बना देंगे अपने ही लोगों के घर को बियाबान बना देंगे ! शांति की अपील के साथ हम कोहराम मचा देंगे हम भी किसी से कम
read moreSanjeeb Jha
आज देश के सामने सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि जब बीस लाख करोड़ के पैकेज से आत्मनिर्भर भारत बनानें की बातें की जा सकतीं हैं,तो कुछ सौ करोड़ ख़र् #nojotovideo
read moreMohammad Arif (WordsOfArif)
हमी से घर का अभी तक उजाला है और हमें ही घर से निकाला जा रहा है अपनों को छोड़कर अब जाये कहां दुश्मनों को अब गले लगाया जा रहा है किसी का भरोसा नहीं यहां पर अपनों को गैरों से मिलाया जा रहा है दंगे भड़काकर तुम लोगों में अब अपने ही लोगों को जलाया जा रहा है मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं एक दूसरे को ऐसे घर बुलाया जा रहा है अपनी एकता की निशानी बची है आरिफ गलत कहकर उलझाया जा रहा है हमी से घर का अभी तक उजाला है और हमें ही घर से निकाला जा रहा है अपनों को छोड़कर अब जाये कहां दुश्मनों को अब गले लगाया जा रहा है किसी का भरो
Mohammad Arif (WordsOfArif)
प्यार करने वालों को अब देखो जीना सीखा रहे है नफ़रत की चारों तरफ हवाएं और जीना सीखा रहे है अपने ही लोगों को अब आपस में लड़ा रहे है कितने पागल है आपस में फिर लड़ना सीखा रहे है धर्म का ऐसा पाठ पढ़ाया बच्चें रास्ते भूल गए धर्म के नाम पर आपस में जीना मरना सीखा रहे है देख के ऐसा लगता है देश का कैसे होगा उद्धार सियासत के लोग धर्म जाति में उलझाना सीखा रहे है अपने ही जाल में फंसे हुए है राजनेता यहां पर जनता को अब देखो आपस में रहना सीखा रहे है अपने को अपना नहीं समझते है यहां पर आरिफ बच्चों की मुस्तकबिल अब खराब करना सीखा रहे है ©Mohammad Arif (WordsOfArif) प्यार करने वालों को अब देखो जीना सीखा रहे है नफ़रत की चारों तरफ हवाएं और जीना सीखा रहे है अपने ही लोगों को अब आपस में लड़ा रहे है कितने पाग
Vijay Tyagi
अबके राम.. बाद हैं लौटे पाँच सदी के, हम सबके राम.. युगपुरूष... मर्यादापुरुषोत्तम... दयानिधि प्रभु श्री राम को उन्हीं की जन्मभूमि पर स्थापित करने हेतू हमें वर्षों तक माँ सीता सरीखी कोर्ट-कचहरी