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Sandeep Roushan
सुसि ग़ाफ़िल
टूटी हड्डियां समंदर सी उल्टियां रोने की ख्वाहिशें सोने का मन जख्म भरी त्वचा नमक बहुत कम जोड़ों में कांटे रास्तों में सूजन जलाती हुई हवाएं गफलत में बदन छिन्न-भिन्न आत्माएं घर लौटते कफन आखरी बात सब जाने दफन ही दफन दफन टूटी हड्डियां समंदर सी उल्टियां रोने की ख्वाहिशें सोने का मन जख्म भरी त्वचा नमक बहुत कम
Jiyalal Meena ( Official )
Rakesh Dwivedi
*शहद और दालचीनी से करे उपाय ,जानिए इनके खास गुण और अपनाए आप_* *जानिए शहद और दालचीनी के बेहतरीन सेहत लाभ* 1 हृदय रोग - हृदय को स्वस्थ बनाए रखने और हृदय रोगों पर नियंत्रण रखने में दालचीनी सहायक होती है, क्योंकि यह हृदय की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल को जमने से रोकती है। प्रतिदिन शहद और दालचीनी का गर्म पानी के साथ सेवन करें। आप दालचीनी और शहद के मिश्रण को रोटी के साथ भी खा सकते हैं। इसके अलावा दालचीनी को चाय में डालकर भी ले सकते हैं। 2 मोटापा - मोटापे के लिए दालचीनी का सेवन एक रामबाण उपाय है। यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करती है, जिससे मोटापा नहीं बढ़ता। इसके लिए दालचीनी की चाय बहुत फायदेमंद है।एक चम्मच दालचीनी पाउडर को एक गिलास जल में उबालकर आंच से उतार लें। इसके बाद उसमें दो बड़े चम्मच शहद मिलाकर सुबह नाश्ता करने से आधा घंटा पहले पिए 3 जोड़ों में दर्द - जोड़ों में दर्द होने पर दालचीनी का प्रयोग आपको राहत देता है। इसके लिए प्रतिदिन दालचीनी का गर्म पानी में सेवन तो लाभप्रद है ही, इसके अलावा इस हल्के गर्म पानी की दर्द वाले स्थान पर मालिश करने से भी जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है 4 सर्दी-खांसी - सर्दी, खांसी या गले की तकलीफों में दालचीनी बेहद असरकारक दवा के रूप में काम करती है। इसे पीसकर एक चम्मच शहद के साथ एक चुटकी मात्रा में खाने से जुकाम में लाभ मिलता है। आप गर्म या गुनगुने पानी में दालचीनी के पाउडर को शहद के साथ मिलाकर पी सकते हैं। दालचीनी के पाउडर को पिसी हुई काली मिर्च के साथ सेवन करने से भी राहत मिलती है 5 पेट के रोग - अपच, गैस, पेट दर्द और एसिडिटी जैसी समस्यों में भी दालचीनी का पाउडर लेने से आराम मिलता है। इससे उल्टी-दस्त की समस्या में भी लाभ होता है, और भोजन का पाचन भी बेहतर होता है। 🌸♾️🌸♾️🌸♾️🌸♾️🌸♾️🌸 ©Rakesh Dwivedi *शहद और दालचीनी से करे उपाय ,जानिए इनके खास गुण और अपनाए आप_* *जानिए शहद और दालचीनी के बेहतरीन सेहत लाभ* 1 हृदय रोग - हृदय को स्वस्थ बन
JALAJ KUMAR RATHOUR
बचपन में छत पर चढ बहुत इंतजार किया है। इस करवाचौथ के चाँद का। शायद वही लगाव और प्रेम है जिस वजह से आज भी यह त्योहार हमारे लिए खास है। कड़ी और चावल जैसा भोजन इस दिन के महत्व को और बढाता है। मोहल्ले भर की स्त्रियाँ सुंदर वस्त्रों व आभूषणो में अप्सराएँ सी प्रतीत होतीं हैं। उत्तर भारत में मुख्यरूप से मनाया जाने वाला ये त्योहार स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घ आयु के लिए मनाती है। करवा नामक पतिवृता स्त्री के द्वारा अपने पति को यमराज और मगरमच्छ दोनो से बचाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। अन्य कई किदवंतियाँ है। सभी में पति की दीर्घ आयु प्रमुख कारण है। इस त्योहार को मनाने के लिए सोलह श्रृंगार कर स्त्रियाँ दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चाँद की तरह अपने पति की दीर्घ आयु की कामना करती हैं।करवाचौथ का चाँद अन्य दिनों से भिन्न होता है अथार्त भिन्नता आपको पूज्यनीय बनाती है। प्रेम, इंतजार और समर्पण का यह त्यौहार वैवाहिक जोड़ों में विश्वास और एक दूसरे के साथ को मजबूत करता है। अपनी धर्मपत्नी को साहस देने के लिए आजकल के नवयुवक भी व्रत रखते हैं। यही तो सात वचनो का सार है। .. करवाचौथ की शुभकामनाए ... #जलज कुमार #Karwachauth बचपन में छत पर चढ बहुत इंतजार किया है। इस करवाचौथ के चाँद का। शायद वही लगाव और प्रेम है जिस वजह से आज भी यह त्योहार हमारे लिए ख
B Pawar
गुजरते वक्त में, पेड़ो ने फलों को पका दिया। वैसे, बढ़ती उम्र ने मेरे तजुर्बों को बढ़ा दिया। मै तो आज भी हरएक से सबक ले रहा हूं बस कुछ कमउम्रो ने मुझको सयाना बना दिया।। जब तक मैं कमाता था, क्या-क्या तमाशा था जब नही कमा रहा ,अब ये क्या तमाशा है? इस तमाशे ने मुझको कई किरदार बना दिया कभी बेटा कभी बाप अब दादा बना दिया। सोचता हूं आज फिर से मैं तुम सबका बोझ उठा लूं। ज्यादा नही तो फिर भी थोड़ा और जुटा लू। ये दर्द तो रिटायरमेन्ट का है इन घुटनों और जोड़ों में, लाठी देकर तुमने मुझे मुफ़्त का पहरेदार बना लिया। उस जमाने मैने चंद रुपयों में सबका पेटभर दिया था और ये दौर है लोग परिवार सहित कमा रहे है और पूछो तो कहते है बस जो कर रहे है सो खा रहे हैं शायद तुम्हारी ख्वाहिशों ने ज़माने को महंगा बना दिया। सबने बहुत टोका फिर भी उम्र को बहुत रोका योग किए, मेंहदी चश्में चमनप्राश भी प्रयोग किए मै तो पोते के साथ आज भी बचपन जी रहा हूं बस लोगो ने बूढ़ा कह कह कर मुझे बूढ़ा बना दिया। #बूढ़ा गुजरते वक्त में, पेड़ो ने फलों को पका दिया। वैसे, बढ़ती उम्र ने मेरे तजुर्बों को बढ़ा दिया। मै तो आज भी हरएक से सबक ले रहा हूं, बस क
Parul Sharma
सफेद दरख्त अब उदास हैं जिन परिंदों के घर बनाये थे वो अपना आशियाना ले उड़ चले। सफेद दरख्त अब तन्हा हैं करारे करारे हरे गुलाबी पत्ते जो झड़ गये परिंदो के पर उनके हाथों से छूट गये। सफेद दरख्त अब लाचार हैं छाव नहीं है उनके तले अब परिंदों को वो बोझ लगने लगे। सफेद दरख्त अब असहाय हैं बदन काँपता है जोड़ों में टीस हैं अब वो परिंदों के लिए काम के नहीं रहे। सफेद दरख्त पहले ऐसे न थे जब युवा थे, सपनों से भरपूर थे रंग बिरंगी ख्वाहिशों से हरे-भरे,फूले-फले,थे। आये जब परिंदे गर्भ और जीवन में तो वो अपनी सुधबुध भूल गये लगा उन्हें ये कि अमृत मिल गया उन्हें। अपनी संतान पे कुर्बान कर दी दरख्तों ने सम्पत्ति,खुशी,लम्हें, सपने और ख्वाहिशें धीरे-धीरे वो खाली और खोखले हो गये। जरा भी हौले हौले जकड़ रही थी उनको अंत: जर्जर हो वो सफेद दरख्त अब हो गये उदास,तन्हा लाचार,असहाय,बेबस क्योंकि वो अब बूढ़े हो गये क्या इस लिए बेटों ने छोड़ दिया इन्हें। निकाल फेंक दिया अपने घर से जीवन से सफेद दरखस्तों को जाने कैसे जो कभी उनके माँ-बाप हुआ करते थे। उनके आदर्श,उनके परमात्मा,उनके जिन्ह, ख्वाबों के मसीहा,सपने पूरे करने वाले अब परिंदों के लिये सफेद दरख्त पराये हो गये । हाँ सफेद दरख्त अब उदास,लाचार,बेबस,तन्हा हो गये हैं। पारुल शर्मा #NojotoQuote सफेद दरख्त अब उदास हैं जिन परिंदों के घर बनाये थे वो अपना आशियाना ले उड़ चले। सफेद दरख्त अब तन्हा हैं कर