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भाग्य श्री बैरागी
"इश्तिहार" हाॅं विज्ञापन माने इश्तिहार ज़रूरी है। अनुशीर्षक में देखें इश्तिहार हाॅं इश्तिहार ज़रूरी है, जब तक पूरे देश को बेचा ना जाए, जब तक राजनीति को बिकाऊ ना लिखा जाए। कभी-कभी इश्तिहार देखना मजबूरी है, और
इश्तिहार हाॅं इश्तिहार ज़रूरी है, जब तक पूरे देश को बेचा ना जाए, जब तक राजनीति को बिकाऊ ना लिखा जाए। कभी-कभी इश्तिहार देखना मजबूरी है, और #yqhindi #होलीकेहमजोली #होली2021 #कोराकागज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #kkhkh2021 #विशेषप्रतियोगिता
read moreJALAJ KUMAR RATHOUR
सुनो कॉमरेड, आज रास्ते में जब "बुढिया के बाल" खरीदते हुए। एक बच्ची को देखा तो वो वक्त मेरे नयनो के समक्ष अपने बीज अंकुरित करने लगा। जब हम स्कूल से वापस जाते हुए चौराहे पर रामू काका की साईकिल पर सेट दुकान से बुढिया के बाल खरीदते थे। गुलाबी रंग की इस चीज को देख तुम्हारी आँखे गुलाबी हो जाती थीं। बगल में ही बरगद के पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर बैठ जब बड़े चाव से हम इस मिठाई को खाते थे तब तुम अपना एक हाथ मेरी हथेली पर और सिर मेरे कंधे पर रख देतीं थी।मैंने कहीं सुना था कि "हाथों की उंगलियों के बीच जगह इस लिए होती है कि उनमें कोई और जगह बना कर हमारे साथ चल सके। तुम मेरी हथेली को अपनी नरम हथेली का दबाब देकर अक्सर बोलती थी कि "यार तू बिल्कुल इन "बुढिया के बाल" जैसा है।" मैं हँसते हुए पूछता था कि " वो कैसे ? " तुम कहती थी "जैसे ये मेरे मुहँ में जाकर खुद ब खुद मिठास घोल देते हैं,वैसे ही तू भी मेरे जीवन में मिठास घोलता रहता है पर कभी जताता नहीं। *बुढिया के बाल- चीनी से बनने वाली एक प्रकार की रेशोंनुमा मिठाई। .... जलज कुमार " राठौर" #happybirthdaypmmodi सुनो कॉमरेड, आज रास्ते में जब "बुढिया के बाल" खरीदते हुए। एक बच्ची को देखा तो वो वक्त मेरे नयनो के समक्ष अपने बीज अंक
#happybirthdaypmmodi सुनो कॉमरेड, आज रास्ते में जब "बुढिया के बाल" खरीदते हुए। एक बच्ची को देखा तो वो वक्त मेरे नयनो के समक्ष अपने बीज अंक
read moreAnisha Dodke
विनम्र अभिवादन सिडको कर्मभूमी असलेले श्रेष्ठ नागरिक सर्वांच्या मनावर अधिराज्य गाजवणारे एक अनुभवी वेक्तिमहत्व म्हणून पाहण्याचा सर्वांचाच दृष्टिकोन बा..... जय भीम जय भीम हा नारा मुखीं बाळगत लहान थोरांना संभाषित करणारे लहान मुलापासून ते मोठयान पर्यन्त सर्वांचेच काका...... दिलखुलास जगणं सदा हसऱ्या चेहऱ्याने मनसोक्त पणे वावरणारे असे सर्वांचे लाडके काका...... आज तुम्ही जगाचा निरोप घेतला अस म्हणतात की जी वेक्ती निसर्गाला प्रिय असते त्या व्यक्ती साठी निसर्गही दुःख व्यक्त करतो अगदी तेच झालं ढगांना ही तुमचं अचानक निरोप न देता अस जाण्याच दुःख रावलं नाही म्हणून त्यांची ही आपना साठी अश्रू डाळले........ तुम्ही आज जगाचा निरोप घेतला पण तुमची महती माणुसकी मात्र आजही शिल्लक आहे...........! कवयित्री:कु अनिषा दिलीप दोडके ©Anisha Dodke काका कविता काका कविता #friends
काका कविता काका कविता #friends #मराठीकविता
read morejay Ravray
फूलो जैसी जिदंगी वो शेर कि तरह जिकर गए ; वादा किया था साथ निभाने का पर बीच मे हि साथ छोड़ दिया ©jay Ravray काका
काका
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