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Prakash writer05
ए अम्मा! साँझ को टिरेन पकड़नी है! इस्टेसन दूर है, तो अभई निकल रहे हैं! बलउ के टेक्टर से चले जाएंगे! थोड़ी पहले निकल रहे हैं, जानते हैं न, की जब हम झोला टांगते है तुम्हरे सामने तो लगती हो रोने, फिर टिरेन में यात्रा और मुश्किल लगने लगती है! आलू के सब्ज़ी और 7 रोटी बना के बाँध लिए हैं, थोड़ा चना और गुड भी रखे हैं! बाहर नलके से पानी भर लेंगे! डाक्टर से दवाई ला दिए हैं, रसोई वाले ताखा पर है, उठा लेना नहीं तो सिता जायेगी! और समय समय से खाना भी है! गोली सफ़ेद वाली, खाली पेट सुबह! बाकी की संतरी रंग और चौकोर वाली सुभे साम! तुम्हारा कपड़ा धो के पसार दिए हैं! शाम को जागना तो उठा लेना! बाबूजी सुबह किराया भाड़ा दे दिए थे, तो उसका टेंसन न लेना! उनको कह दिए थे की निकल जाएंगे दुपहर में! बाकी खाता में पइसा पड़ा है, काम चल जाएगा इस महीने! मोटकी रजाई घाम दिखा के बड़के बक्सा में, और तुम्हारे सारे सुइटर बाबूजी के सुइटर भी उसमें ही रखे हैं! शाल दुशाला सब साफ़ है! निकाल के ओढ़ पहिन लेना! तुम्हारी जूती मोची से सिलवाय लाये थे! वहीँ आँगन में पन्नी में लपेट के रखे हैं! खाना बनाना हो तभी उतारना! नहीं तो पहनी रखना! गैस भरा दिये 3 महिना तक चली, 10 किलो शीशम की लकड़ी चीर ऊपर कमरे में रख दिए हैं! भगेलू को 5 10 रूपया दे के उतरवा लेना! तुम्हारे फोन में 239 रुपया का रिचार्ज करवा दिए हैं, जब मन करे फोन घुमा लेना! और रोना मत, खाना पीना समय से खाना! जल्दी नौकरी से लौटेंगे! तुम्हारे जागने तक हम टिरेन में बइठ गए रहेंगे! तो ख़त पढ़ के एक आँसू मत रोना! पैर छुए हैं, आसिरबाद भेज देना! ~ तुम्हारे बेटे//लल्ला/करेजा का टुकड़ा! ©Prakash writer05 #ए अम्मा! साँझ को टिरेन पकड़नी है! इस्टेसन दूर है, तो अभई निकल रहे हैं! बलउ के टेक्टर से चले जाएंगे! थोड़ी पहले निकल रहे हैं, जानते हैं न, की
Nisheeth pandey
तुमने अपने लिये शीशमहल चुने.. हमारी झोपड़ी में पत्थर बरसा कर.. हिफाजत से रखना अपने शीशमहल को.. सुना है मैंने टूटे शीशे घर में नहीं रखते🤔 #निशीथ ©Nisheeth pandey तुमने अपने लिये शीशमहल चुने.. हमारी झोपड़ी में पत्थर बरसा कर.. हिफाजत से रखना अपने शीशमहल को.. सुना है मैंने टूटे शीशे घर में नहीं रखते🤔 #
Ravendra
Kamaal Husain
वक्त का सबसे कहना है सबकुछ चलते रहना है जमीं आसमाँ ज्यों था ज्यों है दरिया यूं ही बहना है लोग बदलते मौसम जैसे रोज़ बदलते जातें हैं यूं ही जिस्म में जान है जब तक जुल्म जहां के सहना है मैंने कहा सब मुमकिन है तो यारों ऐसे रूठो मत नामुमकिन कुछ काम नहीं है मेरा बस ये कहना है रौशन करलो नेकी करके यारों अपनी कब्रें तुम क्यों कि कब्र ही अस्ली घर है शीशमहल तो ढहना है क्या मुँह दिखलाएंगे जाके हम सब इश्वर अल्लाह को देख रहा हूँ मक्कारी का सबने मुखोटा पहना है #yqbaba #yqdidi #myquote #openforcollab #collabwithmitali #chalterahnahai #समय 📀Time limit till 11:59 pm tommorow... 📀No word limit
Anil Ray
लबों पर मुस्कान देखी अन्दर नहीं देखा यारों ने अभी गम-ए-समन्दर नहीं देखा। कितना हसीं हुस्न है देखा है आप सबने मर-मर कर जिंदा लाशें-मन्जर नहीं देखा। बनाया मुसाफ़िर शीशमहल सुंदर आपने पर इस वक्त के हाथों में पत्थर नहीं देखा। दर-बदर भटका 'अनिल' तलाशे-मुहब्बत पर दिल-दरग़ाह झांककर अंदर नही देखा अहम विकार नष्ट होता जगते-समष्टि से दिल्लगी-परिधि समूल समर्पण नही देखा। रूह हितार्थ रूह तड़पती रक्त-अश्रु लिए दिल का दिल को अभी अर्पण नही देखा। कभी न गिरे नफ़रते-दिवार मनमंदिर से यदि दिले-जहां प्रेम मूरत को नहीं देखा। बंदगी है खुदा की हसीं मुहब्बत जहां में परेशां दिल जो खुद सूरत को नहीं देखा। 💖🧡♥️💞💗❣️💗💞♥️🧡💖 ©Anil Ray लबों पर मुस्कान देखी अन्दर नहीं देखा यारों ने अभी गम-ए-समन्दर नहीं देखा। कितना हसीं हुस्न है देखा है आप सबने मर-मर कर जिंदा लाशें-मन्जर नहीं
AK__Alfaaz..
गली के नुक्कड़ से, चौराहे का चौथा मकान, चाहरदीवारी से घिरा, खिड़की इक, जो झाँकती है, जिंदगी की तलाश में, बेतहाशा दौड़ती सड़कों पर, तन्हाई में, दहलीज पर, दरवाजा शीशम की लकड़ी का मकान के लोगों का, है विश्वास बनकर, अरसे से खड़ा, मकान में है, तीन चारपाई,चार कुर्सियाँ और एक मेज, बिस्तर हैं चादरों संग, तकिए हैं गिलाफ़ ओढ़े सिरहानों पर मौन, पूर्ण रचना अनुशीर्षक मे है.. #मेरा_मकान... गली के नुक्कड़ से, चौराहे का चौथा मकान, चाहरदीवारी से घिरा,
Anupama Jha
माता पिता शीशम की लकड़ी समान न कर इस्तेमाल बना उनको सामान वक्त रहते कर ले जरा उनका सम्मान #शीशम #समान#सामान#सम्मान #YQDidi
तुषार"आदित्य"
जैसी भी कहानी अपनी है,नादानी-सयानी अपनी है। सब शीशमहल है भाड़े के,कुटिया ये पुरानी अपनी है। वो लोग है बेहद चमकीले,नूर लिए सब फिरते है। ये धूल-धुआं,ये बेनूरी,सब काया काली अपनी है। शायद उन्हें ये भरम हुआ,वो हमको काबू करते है। हम ख़ुद काबू हो जाते है,क्यूंकि मनमानी अपनी है। तुम अपने-अपने रंगों का बंटवारा आपस मे कर लो। हर एक रंग से रंगी चुनर,ये हिंदुस्तानी अपनी है। वो मंदिर-मस्ज़िद करता है,वो तेरा-मेरा करता है। समझाओ है सब मिट्टी का और मिट्टी सारी अपनी है। जैसी भी कहानी अपनी है,नादानी-सयानी अपनी है। सब शीशमहल है भाड़े के,कुटिया ये पुरानी अपनी है। वो लोग है बेहद चमकीले,नूर लिए सब फिरते है। ये धू
शशांक गौतम
घंटो निहारो गौतम तुम मुझे, मैं तुम्हें भी एकटक देखा करूँ, क्यों न तुम अक़्स बन जायो, क्यों न मैं आईना हो जायूँ !! हर जगह तुम्हारा अक़्स यूँ नज़र आता है, गौतम ये घर मुझे शीशमहल नज़र आता है !! #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqhindi #yqdada #yqbhaijan #yqlove #yq