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Parastish
तेरे - मेरे बीच रही अब पहले जैसी बात कहाँ पहले से जज़्बात कहाँ, पहले जैसे लम्हात कहाँ याद आता है वो सावन जब हम तुम भीगा करते थे बारिश अब भी होती है पर होती अब बरसात कहाँ चाँद को रक़्स कराते थे तस्वीर दिखा कर हम तेरी अब उससे आँख मिला पाने की भी अपनी औक़ात कहाँ रातों को पहलू में आ तुम प्यार के नग़्मे गाते थे वो सुन्दर, सुरमई शामों-सी अब जानाँ कोई रात कहाँ था वस्ल का दौर परस्तिश'तो हिज्र भी होना लाज़िम था मौसम के भी यकसर रहते इक जैसे हालात कहाँ ©Parastish यकसर- बिल्कुल, पूरी तरह #parastish #ghazal #Poetry #Shayari #Love #sadpoetry
Prerit Modi सफ़र
2122 2122 2122 212 जो मुक़म्मल हो न पाया मेरा टूटा ख़्वाब है।। रातों को मुझको जगाता जाने कैसा ख़्वाब है।। आशिक़ी समझी नहीं क्यों बेवफ़ा तूने सनम। दर-ब-दर फिरता हूँ मैं अब, तू अधूरा ख़्वाब है।। रात को मिलने वो मुझसे रोज़ आती है यहाँ। सुब्ह होते, शीशे सा वो टूट जाता ख़्वाब है।। ज़िन्दगी ने इम्तिहाँ मेरा लिया हर मोड़ पर। आग के मानिंद मेरा अब सुलगता ख़्वाब है।। है नहीं आसाँ जहां में कुछ भी हासिल करना अब। बंद आँखों से "सफ़र" क्यों तूने देखा ख़्वाब है।। यकसर- सपूर्ण, altogether, नितांत, अकेला #yqbaba #yqdidi #gazal #सफ़र_ए_प्रेरित #शायरी #philosophy #life DEEPAK Madhu Jhunjhunwala Rakesh
Sangeeta Patidar
ख़ुद किया करो मुलाक़ात, ज़माने से बेहतर समझ पाओगे, तुम पे किया है ऐतबार, एक तुम ही यकसर समझ पाओगे। रिश्ते उलझाने के लिये यूँ तो कतार बहुत लंबी है ज़माने में, तुम रहोगे साथ अगर ख़यालात का मज़हर समझ पाओगे। दूर-दराज़ से तराशे हुये अल्फ़ाज़ तो ग़ैर भी भेजा करते हैं, देखोगे हालात तो दिल का हाल भी बराबर समझ पाओगे। अधूरा दिल पूरा ना हो बेज़ार, पहुँचा देना उसे राहत-सामान, उतर कर गहराई में, मेरे एहसास का समंदर समझ पाओगे। कौन तय करेगा दुनिया में कौन अच्छा, कौन बुरा है 'धुन'? मेल-मुलाक़ात से अपने ख़याल का अबतर समझ पाओगे। यकसर- Entire मज़हर- अभिव्यक्ति अबतर- Confusion Rest Zone आज का शब्द- 'मुलाक़ात' #rzmph #rzmph38 #मुलाक़ात #sangeetapatidar #ehsaasdilsedil
Sameer Jain
पूछा जाता है मुझको, ढूंढा जाता है मुझको, देखो ना मैं कैसे हूँ, देखा जाता है मुझको, क्या ये इश्क़ गुनाह भी है, अब तस्लीम हुआ मुझको, पहले सोचा करता था, क्यों रोका जाता है मुझको, तुम मुझसे क्या कहते हो, मैं क्या-क्या बक देता हूँ, कहीं पे शायर कहीं पे पागल, समझा जाता है मुझको, शायद खुद को यकजा करलूँ , या फिर थोड़ा सिमट सकूँ, एक सहरा में यकसर तन्हा, रखा जाता है मुझको...! तुम मुझसे क्या कहते हो, मैं क्या-क्या बक देता हूँ, कहीं पे शायर कहीं पे पागल, समझा जाता है मुझको, शायद खुद को यकजा करलूँ , या फिर थोड़ा सिमट
Ranu Saklecha
यकसर एक ख़्वाब में उलझे हुए हैं हम दोनों गाहे-गाहे मिल कर बिछड़ चुके हैं हम दोनों हम बदन हम सितम सी है उल्फ़त हमारी छूकर एक दूसरे को जल चुके हैं हम दोनों पैकर उदासी का मिलता नहीं था यूँ ही सर-ब-सर मिल कर खिल चुके हैं हम दोनों यकसर एक ख़्वाब में उलझे हुए हैं हम दोनों गाहे-गाहे मिल कर बिछड़ चुके हैं हम दोनों हम बदन हम सितम सी है उल्फ़त हमारी छूकर एक दूसरे को जल चुके
writing.mypassion (Honey) #Hana
झूठ कुछ यूं फैल रहा है हर ओर , कि सच्चाई को भी सहारे की जरूरत पड़ रही है । ◆ सदाक़त - सच्चाई , असा - walking stick यकसर - frequently , हाजत
Pankaj Singh Chawla
दीदार-ए-बेरिदा कर हम, तुम्हारी शाबाहत पर फ़िदा हुए, पाकर यकसर संग अपने, दिल कुर्बत-ए-लम्स का करें ।। बेरिदा- बिना घूंघट के शबाहत- सादगी, अदा, खूबसूरती यकसर- अकेला कुर्बत -निकटता, पास लम्स- स्पर्श, छूना OPEN FOR COLLAB✨ #ATcouplepic8 • A Chal
Abid
सच पे जमकर रहो ज़िन्दगी अग्निपथ है इस पे डटकर रहो हर किसी से मिलों सब से यकसर रहो दुख मिटा दो सभी तुम वो मन्तर रहो अशरफुल मखलुक हो सब से बेहतर रहो। सुप्रभात। इंसान को कोशिश करनी चाहिए कि वो झूठ से बचकर रहे। यकसर = completely अशरफुल मखलुक = the best among Allahs creation. खुदा की सबसे
Prerit Modi सफ़र
1222 1222 1222 1222 मिलाकर हाथ वो मुझ से, मिरे नज़दीक आती है मुझे बाहों में भरकर वो, मिरी नींदें उड़ाती है है कोई बात कहने को, मगर कहती नहीं मुझ से कि आँखों में हज़ारों ग़म, वो शिद्दत से छुपाती है क़फ़स में क़ैद है वो, इक सदी से है यहाँ तन्हा मचलती है वो उड़ने को, मिरे ख्वाबों में आती है कोई मेरे से पूछे, दिल में क्या-क्या है छुपा रक्खा तिरी ग़ाफ़िल निगाहें, राज़ ये मुझको बताती हैं कि आती है मिरे ख़्वाबों में वो यकसर कभी ऐसे कि वो आग़ोश में भरकर मुझे अपना बनाती है पता है ये मुझे, कोई 'सफ़र' कटता नहीं तन्हा कि तन्हा वो मुझे करके, मिरा दिल तोड़ जाती है ©Prerit Modi सफ़र 1222 1222 1222 1222 मिलाकर हाथ वो मुझ से, मिरे नज़दीक आती है मुझे बाहों में भरकर वो, मिरी नींदें उड़ाती है है कोई बात कहने को, मगर कहती
Prerit Modi सफ़र
ख्वाबों में मेरे तुम यकसर ही आती हो बाहों में भरकर, मुझे बहोत सताती हो ये जानता हूँ मैं, कि तुम मेरी ही हो सनम दुनिया की भीड़ में भी मुझे ढूँढ लाती हो जुदाई एक पल की भी ये सही नहीं जाती तन्हाइयों में मेरी तुम आके शोर मचाती हो तेरी ये नज़र झुके तो क्या समझूँ मैं बता इशारों-इशारों में मुझे तुम क्या बताती हो ज़िन्दगी का 'सफ़र' सुहाना है ये संग तेरे होता हूँ जब मैं दूर मुझे तुम पास बुलाती हो यकसर- अकेले में ♥️ Challenge-617 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए।