Find the Latest Status about गुंजार from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, गुंजार.
इकराश़
फ़साना कोई दिल का तुम सुना दो ना, तड़पती रूह को इस पल सुला दो ना। तू किस्मत में नहीं, कहता ज़माना है, गलत हैं सब, ये सबको तुम दिखा दो ना। एक मतला और एक शेर नज़र कर रहा हूं। ज़िंदगी के बेहद करीब है ये दोनों शेर। और शायद ये इक गुंजारिश भी है अपनी मुहब्बत से। सुनो, तुम लौट आओ ना।
_suruchi_
निष्पर्ण पलाश तो जरी बहरला तप्त तेजात ही तोच झळकला पर्ण रहित जरी बाहु तयाचें अनिमिष घेवुनी कवेत नभ सारा पुष्प वर्षा तरीही करी तो अविरत धरेला अर्पुनी तो हिरवा नजराणा धरी अग्निफुलांच्या मोहक शलाका पहा गर्वात उभा हा पलाश देखणा किती विहंग ते येती जाती माधुर्याचे ओहोळ जणू तयाला गुंजारव सभोवती न कधी आटला वाटते आज असे मला पलाश तो दिमाखात उभा असा सूर्यास ही वाटे हा नयनरम्य नजारा जाणवले आज असे मला....... निष्पर्ण पलाश तो जरी बहरला तप्त तेजात ही तोच झळकला पर्ण रहित जरी बाहु तयाचें अनिमिष घेवुनी कवेत नभ सारा
Juhi Grover
इल्ज़ाम बहुत झेले हैं,समाज में आ कर, और नहीं सहना है, देखा है आज़मा कर, यही पैगाम पहुँचाना है, घर घर जा कर, ज़िन्दगी को बेहतर बनाना है, ठान कर। समय की मांग को सुनो, मन लगा कर, सच्चाइयों को देखो, गम्भीर ही हो कर, अब नहीं रहना है, दिल को बहला कर, बस अब कदम रखना है,धरती हिला कर। चप्पा चप्पा पुकार सुनें, दिल दहला कर, जगह जगह हुँकार हो, यों पुकार सुन कर, नहीं समय उठो अब यों फुफकार सुन कर, गंवाना नही इक पल भी, गुंजार सुन कर। इल्ज़ाम बहुत झेले हैं,समाज में आ कर, और नहीं सहना है, देखा है आज़मा कर, यही पैगाम पहुँचाना है, घर घर जा कर, ज़िन्दगी को बेहतर बनाना है, ठान कर। इल्ज़ाम बहुत झेले हैं,समाज में आ कर, और नहीं सहना है, देखा है आज़मा कर, यही पैगाम पहुँचाना है, घर घर जा कर, ज़िन्दगी को बेहतर बनाना है, ठान
Author Munesh sharma 'Nirjhara'
ना सोचो तुम भी ना सोचूँ में भी...🌈 14 कैप्शन में पढ़ें... नहीं जानती मैं जानना भी नहीं चाहती जो महसूस हो रहा तुम्हारे लिए आजकल नहीं पता मुझे क्या है वो.. प्रेम है...? लगाव है..?
B Pawar
 बागों मे फूल लिए, खुशियों की महक लिए. पंछियों के शोर से, फसलों के हिलोर से. हे ऋतुराज ! वसुधा कर रही स्वागत तुम्हारा। हो नववर्ष शुभ , मंगलमय जीवन हमारा ।। 👇यहां नीचे पूरा पढ़ें 👇👇👇👇👇👇 बागों मे फूल लिए, खुशियों की महक लिए.
स्मृति.... Monika
Shivkumar
White दोस्ती का प्यारा रंग छाया, दिल के रिश्ते को सजाया। जीवन के हर मोड़ पर, साथ देने वाला कोई यार। मुसीबतों में सहारा है वो, खुशियों के अंगारा है वो। हंसी-मजाक से भरी जिंदगी, मेहनत की सफलता का रास्ता है वो। जिसे देखो दिल बहक जाए, उन पलों को याद करके मुस्कराए। दोस्ती की अमरीत रूह से, हंसता हर लम्हा निकल आए। जैसे रंगीन बादलों की गति, दुनिया को आँचल से छू लेती है। यारों के हाथों में बंध जाती है, हर गम की बंधन खो लेती है। चाहे जहां भी सफर करो, दोस्ती की हो जबरदस्त नजर। उस्तादों की तरह बनकर लापरवाह, हर मुकाम पे शानदार हो जाए। चोकर जो मिले खुद को अपनाए, मुसीबतों को झेलते रहें ये दिल्लगी से। यारों की यारी, अमर राशि है, जीवन का सहारी, नहीं गुँजारी है। आज इस पंक्ति को बनाने के लिए, हम दोस्ती की बांहें फेला रहें हैं। यारों के दिल की धड़कन, ये कविता में झलक रही है। तारे हमसे नाते बनाए हैं, हर पल बदलते जैसे मौसम। दोस्ती की राहों में चलना, हर कदम जैसे ख्वाब पूरे। यारों को नहीं मिलता हमें पढ़ंध, इस काव्य की विरासत मिल जाए। यह दोस्ती का रंगीन काव्य, बनाएगा आपके दिल को रंगीन। हमारे दिल की गहराई को छूने, सूरज की किरणें यहाँ ढली हैं। नयी उम्र में जीने का हाथ पकड़ें, दोस्ती की रौशनी को फैलाएं। ये काव्य सिर्फ आपकी मेहनत से, हो जाएगा खुद ब खुद सुंदर। हम यहाँ क़लौंजी से परख कर, आपके दिल को छू लेंगे सुंदरता। सामान्य शब्दों की सजा में, इन्हीं शब्दों का जूनून, यह दोस्ती की मिठास और प्यार का गुंजारा है हमारा। ©Shivkumar #Friendship #दोस्ती #दोस्त #Nojoto #nojotohindi #दिलकीबातशायरी143 दोस्ती का प्यारा रंग छाया, दिल के #रिश्ते को सजाया। #जीवन के हर मोड़
Vikas Sharma Shivaaya'
सुंदरकांड दोहा – 2 सुरसा, हनुमानजी को प्रणाम करके चली जाती है:- राम काजु सबु करिहहु तुम्ह बल बुद्धि निधान। आसिष देइ गई सो हरषि चलेउ हनुमान ॥2॥ तुम बल और बुद्धि के भण्डार हो,सो श्रीरामचंद्रजी के सब कार्य सिद्ध करोगे-ऐसे आशीर्वाद देकर, सुरसा तो अपने घर को चली,और हनुमानजी प्रसन्न होकर, लंका की ओर चले ॥2॥ श्री राम, जय राम, जय जय राम मायावी राक्षस का प्रसंग:- समुद्र में छाया पकड़ने वाला राक्षस निसिचरि एक सिंधु महुँ रहई। करि माया नभु के खग गहई॥ जीव जंतु जे गगन उड़ाहीं। जल बिलोकि तिन्ह कै परिछाहीं॥1॥ समुद्र के अन्दर एक राक्षस रहता था- वह माया करके आकाश मे उड़ते हुए पक्षी और जंतुओको पकड़ लिया करता था ,जो जीव जन्तु आकाश में उड़कर जाता,उसकी परछाई जल में देखकर परछाई को जल में पकड़ लेता॥ हनुमानजी ने मायावी राक्षस के छल को पहचाना गहइ छाहँ सक सो न उड़ाई। एहि बिधि सदा गगनचर खाई॥ सोइ छल हनूमान कहँ कीन्हा। तासु कपटु कपि तुरतहिं चीन्हा॥2 परछाई को जल में पकड़ लेता, जिससे वह जीव जंतु फिर वहा से सरक नहीं सकता-इस तरह वह हमेशा, आकाश मे उड़ने वाले जीव जन्तुओ को खाया करता,उसने वही कपट हनुमान् जी से किया।/-हनुमान् जी ने उसका वह छल तुरंत पहचान लिया॥ हनुमानजी समुद्र के पार पहुंचे:- ताहि मारि मारुतसुत बीरा। बारिधि पार गयउ मतिधीरा॥ तहाँ जाइ देखी बन सोभा। गुंजत चंचरीक मधु लोभा॥3॥ धीर बुद्धिवाले पवनपुत्र वीर हनुमानजी उसे मारकर समुद्र के पार उतर गए- वहा जाकर हनुमानजी वन की शोभा देखते है कि भँवरे मधु (पुष्प रस) के लोभसे गुंजार कर रहे है॥ हनुमानजी लंका पहुंचे: नाना तरु फल फूल सुहाए। खग मृग बृंद देखि मन भाए॥ सैल बिसाल देखि एक आगें। ता पर धाइ चढ़ेउ भय त्यागें॥4॥ अनेक प्रकार के वृक्ष, फल और फूलोसे शोभायमान हो रहे है-पक्षी और हिरणोंका झुंड देखकर तो वे मन मे बहुत ही प्रसन्न हुए॥वहां सामने हनुमानजी एक बड़ा विशाल पर्वत देखकर,निर्भय होकर उस पहाड़ पर कूदकर चढ़ बैठे॥ भगवान् शंकर पार्वतीजी को श्रीराम की महिमा बताते है:- उमा न कछु कपि कै अधिकाई। प्रभु प्रताप जो कालहि खाई॥ गिरि पर चढ़ि लंका तेहिं देखी। कहि न जाइ अति दुर्ग बिसेषी॥5॥ भगवान् शंकर पार्वतीजी से कहते है कि हे पार्वती! इसमें हनुमान की कुछ भी अधिकता नहीं है।यह तो केवल रामचन्द्रजीके ही प्रताप का प्रभाव है कि,जो काल को भी खा जाता है॥ पर्वत पर चढ़कर हनुमानजी ने लंका को देखा,तो वह ऐसी बड़ी दुर्गम है की, जिसके विषय में कुछ कहा नहीं जा सकता॥ .....आगे शनिवार को ....., विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 56 से 66 नाम 🙏 56 शाश्वतः जो सब काल में हो 57 कृष्णः जिसका वर्ण श्याम हो 58 लोहिताक्षः जिनके नेत्र लाल हों 59 प्रतर्दनः जो प्रलयकाल में प्राणियों का संहार करते हैं 60 प्रभूतस् जो ज्ञान, ऐश्वर्य आदि गुणों से संपन्न हैं 61 त्रिकाकुब्धाम ऊपर, नीचे और मध्य तीनो दिशाओं के धाम हैं 62 पवित्रम् जो पवित्र करे 63 मंगलं-परम् जो सबसे उत्तम है और समस्त अशुभों को दूर करता है 64 ईशानः सर्वभूतों के नियंता 65 प्राणदः प्राणो को देने वाले 66 प्राणः जो सदा जीवित है 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' सुंदरकांड दोहा – 2 सुरसा, हनुमानजी को प्रणाम करके चली जाती है:- राम काजु सबु करिहहु तुम्ह बल बुद्धि निधान। आसिष देइ गई
दि कु पां
हिंदू तन मन.... मैं शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार-क्षार। डमरू की वह प्रलय-ध्वनि हूं जिसमें नचता भीषण संहार। रणचण्डी की अतृप्त प्यास, मैं दुर्गा का
2novicity
दुनिया के वीराने पथ पर जब जब नर ने खाई ठोकर दो आँसू शेष बचा पाया जब जब मानव सब कुछ खोकर मै आया तभि द्रवित होकर मै आया ज्ञान दीप लेकर भूला भटका मानव पथ पर चल निकला सोते से जगकर पथ के आवर्तोंसे थककर जो बैठ गया आधे पथ पर उस नर को राह दिखाना ही मेरा सदैव का दृढनिश्चय हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ अटल थे जिनके इरादे, नमन उनको कर बाँधे... #अटलबिहारीवाजपेयी (25 दिसम्बर 1924 - 16 अगस्त 2018) हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा पर