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Stories related to टनल सिंड्रोम

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Priya yadav

इस टनल का रास्ता खतम नही होता #Videos

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Vijay Tyagi

अटल-टनल टनल-अटल टनल-अटल अटल-टनल नहीं बोलूं जो बोला था कल कल घास थी चरने गई अकल वो बोली टनल मैं बोला सुरंग इसी बात पर श्रीमती से छिड़ गई भैया #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqdada #yqhindi #yqquotes #माशारत्ती

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अटल-टनल टनल-अटल,
साथ मेरे देखो हुआ क्या कल..

आपबीती अनुशीर्षक में👇 अटल-टनल टनल-अटल
टनल-अटल अटल-टनल
नहीं बोलूं जो बोला था कल
कल घास थी चरने गई अकल
वो बोली टनल मैं बोला सुरंग
इसी बात पर श्रीमती से
छिड़ गई भैया

rahasyamaya tathya

शिमला की भूतिया टनल नंबर 33 क्या आपको मालूम है कि हमारे देश के सबसे खूबसूरत नज़ारों वाले रास्तों में से एक है कालका शिमला टॉय ट्रेन रूट और इ #सस्पेंस

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 शिमला की भूतिया टनल नंबर 33

क्या आपको मालूम है कि हमारे देश के सबसे खूबसूरत नज़ारों वाले रास्तों में से एक है कालका शिमला टॉय ट्रेन रूट और इ

Subhasish Pradhan

बिहार में बच्चों के लिए कहर बने चमकी बुखार ने अबतक 135 मासूमों की जान ले ली. एक्यूट एंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (दिमागी) बुखार से मुजफ्फरपुर में अ #India #yqbaba #yqdidi #prayforbihar #pinta_quote

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कोई अपना बचपन हार गया,
माँ बाप अपनी बच्चे हार गए।।
वो शहर बिहार है जो तड़प रहा है,
बीमारी से लड़ते हुए रोज रोज मर रहा है।। बिहार में बच्चों के लिए कहर बने चमकी बुखार ने अबतक 135 मासूमों की जान ले ली. एक्यूट एंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (दिमागी) बुखार से मुजफ्फरपुर में अ

पूर्वार्थ

मिसिंग टाइल सिंड्रोम एक मनोवैज्ञानिक समस्या है जिसमें हमारा सारा ध्यान जीवन की उस कमी की तरफ रहता है जिसे हम नहीं पा सके हैं | और यहीं बात ह #Thoughts

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मिसिंग ट्रायल सिंड्रोम

©purvarth मिसिंग टाइल सिंड्रोम एक मनोवैज्ञानिक समस्या है जिसमें हमारा सारा ध्यान जीवन की उस कमी की तरफ रहता है जिसे हम नहीं पा सके हैं | और यहीं बात ह

Writer1

इतिहास गवाह है हमारी गाथाओं का, क्या क्या करूं वर्णन अपनी कविता में, निकोलस जेम्स वुजिकिक एक प्रेरक वक्ता है, जो टेट्रा-अमेलिया सिंड्रोम के #czविशेष_प्रतियोगिता

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विकलांगता 
********************
अखिलेश्वर कि हम भी देन हैं,
ना करो हमसे गिरना आखिर हम भी इंसान हैं,
विकलांग हुए तो क्या हुआ सोच तो विकसित है,
हर क्षेत्रों में नाम हमारा ही गौरवंत हैं।

शेष अनुशीर्षक में पढ़ें
👇👇👇👇👇👇👇 इतिहास गवाह है हमारी गाथाओं का,
क्या क्या करूं वर्णन अपनी कविता में,
निकोलस जेम्स वुजिकिक एक प्रेरक वक्ता है,
जो टेट्रा-अमेलिया सिंड्रोम के

Abhishek Tiwariz

जब दुनियां को जीत सकते हैं प्यार से, तो लड़ाई-जंग क्यों जरूरी है, जब रह सकते हैं संभाव से, तो भेद भाव क्यों जरूरी है, जरूरी है इंसान का इंसा #Poetry #Love #peace #world #poem #poems #different #poetic #environment #poeticworld #poeticatma

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जब दुनियां को जीत सकते हैं प्यार से,
तो लड़ाई-जंग क्यों जरूरी है,
जब रह सकते हैं संभाव से,
तो भेद भाव क्यों जरूरी है,
जरूरी है इंसान का इंसान होना,
और सबको एक बराबर समझना,
या यूं कहो इंसान को इंसान समझना,
और फिर उस इंसान को बराबरी का हक दिलाना,
 जहां रोटी,कपड़ा और मकान से ज्यादा जरूरत,
इंसानी जज़्बातों की है,
जहां कोई दूसरा सीरिया, 
इराक़ या अफगानिस्तान बनाने की चाह ना हो,
और ना ही जहां नया मुल्क बनाने की चाह हो,
चाह हो तो बस इंसानियत को पनपने देने की,
 जहां एक पागल कुत्ता भी आराम से रह सके,
और एक समझदार इंसान भी,
या यूं कहें कि एक पागल आदमी और एक समझदार कुत्ता,
दोनों आराम से रह सकें,
क्यों की समझदार, विकासशील इंसान ने तो,
विकास के नाम पर, वन उपवन, प्राकृतिक नियम,
 तौर तरीकों को ही बदल डाला है,
और समझदारी तो पूछिए ही मत,
हर गली कूचों में समझदारी कदम कदम पे
गिरे प्लास्टिक, कांच, कूड़े करकट के रूप में दिखती है,
और अगर कुछ नहीं दिखता है तो वो है,
धारा की धमनियों में घुला हुआ ज़हर,
जो तेज़ी से समझदार इंसान की वजह से,
धरा और जीवन के अविरल प्रवाह में,
विष बन के दौड़ रहा है,
एक ऐसा विष जो कभी
पानी, वायु या रेडिएशन के द्वारा ना सिर्फ़ मनाव सभ्यता,
परन्तु संपूर्ण जीव जगत को लील रहा है,
और विकास के नाम पे हम कभी अंतरिक्ष,तो कभी धरा पर,
या समुद्र के अंदर मंथन कर कोई पुल, टनल या अंतरिक्ष यान भेज,
अपने नव मृत्यु के समान के बन ने पर तालियां बजा रहे हैं
Abhishekism 💕 जब दुनियां को जीत सकते हैं प्यार से,
तो लड़ाई-जंग क्यों जरूरी है,
जब रह सकते हैं संभाव से,
तो भेद भाव क्यों जरूरी है,
जरूरी है इंसान का इंसा

ashutosh anjan

कोरोना वायरस, जिसकी शुरुआत पिछले साल चीन के वुहान प्रांत के सीफ़ूड और पोल्ट्री बाजार मे हुई  है, आज दुनिया भर के लिए एक गंभीर मामला  बन गयी ह #yqbaba #yqdidi #कोराकाग़ज़ #corona #collabwithकोराकाग़ज़ #kkr2021 #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #kkकोरोनाकाकहर

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कोरोना का क़हर
(लेख) कैप्शन 👇 में पढ़े। कोरोना वायरस, जिसकी शुरुआत पिछले साल चीन के वुहान प्रांत के सीफ़ूड और पोल्ट्री बाजार मे हुई  है, आज दुनिया भर के लिए एक गंभीर मामला  बन गयी ह

Agrawal Vinay Vinayak

एक बार पढ़ो सब समझ आ जायेगा 👇 क्या चीन भारत पर हमला करने की सोच रहा है? भाई एक बात दिमाग में बिठा लो कि जो भी LAC पर हो रहा है वो चीन नहीं क #china #Indian #NarendraModi #IndianArmy #proudindian #nationfirst #yqvinayvinayak

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LAC पर चीनी विवाद
एक बार पढ़ो सब समझ आ जायेगा
[ Read Caption ] एक बार पढ़ो सब समझ आ जायेगा 👇
क्या चीन भारत पर हमला करने की सोच रहा है?

भाई एक बात दिमाग में बिठा लो कि जो भी LAC पर हो रहा है वो चीन नहीं क

Upendra Dubey

क्या आपका बच्चा भी घंटों मोबाइल में बिजी रहता है, जानिए आंखों से लेकर दिमाग तक होने वाले नुकसान। सिंगरौली छोटी उम्र के बच्चों के फोन के इस #जानकारी

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क्या आपका बच्चा भी घंटों मोबाइल में बिजी रहता है, जानिए आंखों से लेकर दिमाग तक होने वाले नुकसान। 

सिंगरौली छोटी उम्र के बच्चों के फोन के इस्तेमाल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। मात्र डेढ़ साल का बच्चा 5 घंटे तक मोबाइल में खोया रहता है। माता-पिता को बच्चे के फोन ज्ञान पर गर्व होता है। लेकिन बच्चे के रोने या किसी तरह की ज़िद करने पर बहलाने के लिए फोन देना उसे इस नई लत का ग़ुलाम बनाने का पहला क़दम हैं आंकड़ों के मुताबिक 1 से 5 साल की उम्र के बच्चों में स्मार्टफोन के इस्तेमाल की बढ़ोतरी देखी गई है ये स्क्रीन को आंखों के करीब ले जाते हैं और जिससे आंखों को नुकसान पहुंचता है।
आंखें सीधे प्रभावित होने से बच्चों को जल्दी चश्मा लगने, आंखों में जलन और सूखापन, थकान जैसी दिक्कतेे हो रही हैं स्मार्टफोन चलाने के दौरान पलकें कम झपकाते हैं। इसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहते हैं। माता-पिता ध्यान दें कि स्क्रीन का सामना आधा घंटे से अधिक न हो। कम उम्र में स्मार्टफोन की लत की वजह बच्चे सामाजिक तौर पर विकसित नहीं हो पाते हैं। बाहर खेलने न जाने की वजह से उनके व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पाता। मनोविशेषज्ञों के पास ऐसे केस भी आते हैं कि बच्चे पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर की तरह ही हरकतें करने लगते हैं इस कारण उनके दिमागी विकास में बाधा पहुंचती है बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल अधिकतर गेम्स खेलने के लिए करते हैं। वे भावनात्मक रूप से कमज़ोर होते जाते हैं ऐसे में हिंसक गेम्स बच्चों में आक्रामकता को बढ़ावा देते हैं बच्चे अक्सर फोन में गेम खेलते या कार्टून देखते हुए खाना खाते हैं। इसलिए वे जरूरत से अधिक या कम भोजन करते हैं अधिक समय तक ऐसा करने से उनमें मोटापे की आशंका बढ़ जाती है।फोन के अधिक इस्तेमाल से वे बाहरी दुनिया से संपर्क करने में कतराते हैं। जब उनकी यह आदत बदलने की कोशिश की जाती है तो वो चिड़चिड़े, आक्रामक और कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। माता-पिता एक राय रखें। यदि मोबाइल या किसी और चीज़ के लिए मां ने मना किया है तो पिता भी मना करें। वरना बच्चे यह जान जाते हैं कि किससे परमिशन मिल सकती है इंटरनेट पर कुछ अच्छा और ज्ञानवर्धक है तो उसे दिखाने के लिए समय तय निर्धारित करें और साथ बैठकर देखें। स्मार्ट टीवी का इस्तेमाल कर सकते हैं इससे आंखों और स्क्रीन के बीच दूरी भी बनी रहेगी।

©Upendra Dubey क्या आपका बच्चा भी घंटों मोबाइल में बिजी रहता है, जानिए आंखों से लेकर दिमाग तक होने वाले नुकसान। 

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