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Neelam Modanwal
घर से ये सोच के निकला हूँ कि मर जाना है घर से ये सोच के निकला हूँ कि मर जाना है अब कोई राह दिखा दे कि किधर जाना है जिस्म से साथ निभाने की मत उम्मीद रखो इस मुसाफ़िर को तो रस्ते में ठहर जाना है मौत लम्हे की सदा ज़िंदगी उम्रों की पुकार मैं यही सोच के ज़िंदा हूँ कि मर जाना है नश्शा ऐसा था कि मय-ख़ाने को दुनिया समझा होश आया तो ख़याल आया कि घर जाना है मिरे जज़्बे की बड़ी क़द्र है लोगों में मगर मेरे जज़्बे को मिरे साथ ही मर जाना है ©Neelam Modanwal #thepredator घर से ये सोच के निकला हूँ कि मर जाना है घर से ये सोच के निकला हूँ कि मर जाना है अब कोई राह दिखा दे कि किधर जाना है जिस्म से स
Poonam Suyal
व्यक्ति की पहचान हर व्यक्ति की पहचान आखिर होती है किससे उसकी धन दौलत से? या उसकी मान प्रतिष्ठा से? ये है इक सवाल ज्वलंत ज़हन में उठता है कई बार पहचान को सब क्यूँ देते हैं इतना मोल क्यूँ ये खड़ी कर देती है इंसानों के बीच दीवार (अनुशीर्षक में पढ़ें) ©Poonam Suyal व्यक्ति की पहचान हर व्यक्ति की पहचान आखिर होती है किससे उसकी धन दौलत से? या उसकी मान प्रतिष्ठा से?
Ada
आज़ादी हुई हमारी 75 बरस की मना रहें है बड़े उत्साह से हम इसे सभी प्रश्न है मेरा देशवासियों से यही ,कि क्या सच में आज़ादी देश की 75 बरस की हुई .. जो नक़्शे में दिखता है भारत हमारा क्या सच में ऐसा बना पाए हम उसे न धर्म से न कर्म से न जाति से न ग़रीबी और अमीरी से फ़र्क़ आज भी है वही ,जो था पहले कभी भ्रष्टाचार की जड़ें यहाँ गहरी हैं बड़ी न सूखती है न ही भस्म होंगी ये कभी महल खड़े हैं जवानों की कब्र पर यहाँ राजनीति से गन्दा यहाँ कोई क्षेत्र नहीं काग़ज़ के टुकड़ों के लिए होते हैं सौदे जहाँ बिक रहा है ईमान यहाँ पानी की तरह माँ भारती को छलनी होना पड़ता है पल पल में यहाँ चीर कर धरती का सीना फसलें उगती थी जहाँ आज लालच की फसलें उगती हैं वहाँ फ़ायदे के लिए अपनों का भी सौदा होता देखा है हमने आज़ादी के दीवानों ने खून के कतरे कतरे से सींचा था जिस धरती को अब जवानों की शहादत पर राजनीति की रोटियाँ सिकती हैं यहाँ सुरक्षित नहीं बहन बेटियाँ अपने कुटुम्ब और समाज में अब भारत माँ की लाज कोई क्यूँ बचाएगा यहाँ दर्द बड़ा सीने में छुपा के रखा है मैंने एक ज्वालामुखी दिल में दबा है कब से बलि चढ़ते वीरों के लिए एक टीस सी उठती है दिल में मेरे क्या आपके सीने में भी ऐसा दर्द होता है कभी क्यूँ अपने से बाहर निकल कर आते नहीं कभी हम हम से मैं हो गए ,क्या फिर से मैं से निकलकर बन सकते नहीं हम देश की सोचें तो बात बड़ी है नहीं तो कुछ भी नही जज़्बे और खून में कमी है कहीं जो दिल से देश की मिट्टी को माँ कहते नही करो प्रण इस स्वतंत्रता दिवस पर सभी दिखाने के लिए तिरंगा फहराओ मत दिल से भावनाओं से जुड़ कर एक दूसरे से सब माँ भारती की करेंगे सदा रक्षा हम आँच न आने देंगे इस मिट्टी पर कभी बन के रहेंगे सहारा सदा एक दूसरे का हम जय हिन्द ! Hello Resties! ❤️ Collab on this #rzpictureprompt and add your thoughts to it! 😊 आज़ादी हुई हमारी 75 बरस की मना रहें है बड़े उत्साह से ह
RituRaj Gupta
कौन रोक रहा है तुम्हें, अपने पाँव उठाने को, काट दो उन हाथों को, जो रोके तुम्हें, अपने पांव जमाने को, मज़बूरियों कि बेड़ियां, जब चुभने लगे पाँव में, तोड़ दो मजबूर बेड़ियों को, दिखा दो जमाने को, बहुत ऊंचाई है आसमां कि, आकाश को नापने में, झुका के रख दो आसमां को, अपने हौंसले फैलाने को, बेमौसम कि बारिशें, जब डगमगा दें तुम्हारें जज़्बे को, हवाओं का रुख मोड़ दो, अपनी धाक जमाने को, टूट रही हो हिम्मत जब, प्यास की अधरों पर, पहुंचा दो समुंदर को अधरों तक, अपनी प्यास बुझाने को !! पेश है एक नयी ग़ज़ल :: कौन रोक रहा है तुम्हें... कौन रोक रहा है तुम्हें, अपने पाँव उठाने को, काट दो उन हाथों को, जो रोके तुम्हें, अपने पां
Poonam Suyal
सफर तुम जारी रखो (अनुशीर्षक में पढ़ें) सफ़र तुम जारी रखो ज़िंदगी नहीं इतनी भी बेरंग, जियो इसे खुल कर अपनों के संग हताशा को रखो ख़ुद से कोसों दूर, दिल में जगाओ तुम नई उमंग सब क
Poonam Suyal
कुछ भी पाना असंभव नहीं (अनुशीर्षक में पढ़ें) मुहावरा - जहाँ चाह, वहाँ राह अर्थ - जब किसी काम को करने की व्यक्ति की इच्छा होती है तो उसे उसका साधन भी मिल ही जाता है। कुछ भी पाना असंभव न
Poonam Suyal
मौत (अनुशीर्षक में पढ़ें) मौत मौत तो इक दिन आनी ही है, वो तो आएगी ही ज़रूर कुछ ना ले जाएगा तू संग अपने, ना कर ख़ुद पर इतना गुरूर तेरे जाने के बाद, तेरे अच्छे कर्म
Poonam Suyal
ये झूठ बिल्कुल नहीं (अनुशीर्षक में पढ़ें) देर आए दुरुस्त आए किसी कार्य को जल्दी करके निपटाने में आप गलती कर सकते हैं। बेशक थोड़ी देर हो जाए पर आराम से कार्य करें। देर से चाहे करें पर
Poonam Suyal
कर्म का अंबार (अनुशीर्षक में पढ़ें) कर्म का अंबार इन हाथों में, जो लकीरें हैं, वो बदलती हैं रहतीं हर लकीर हमारी, हमसे कुछ है कहती बदलती ये रेखाएँ,
Poonam Suyal
व्यक्ति की पहचान (अनुशीर्षक में पढ़ें) व्यक्ति की पहचान हर व्यक्ति की पहचान, आखिर होती है किससे उसकी धन दौलत से? या उसकी मान प्रतिष्ठा से? ये है इक सवाल ज्वलंत,