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Mukesh Tyagi
अलाउद्दीन का चिराग तो नहीं हूँ जो चमत्कार दिखा दूँ हिम्मत और जुनून इतना है चाहूँ तो फ़ौलाद को भी पिघला दूँ ©Mukesh Tyagi अलाउद्दीन का चिराग
Sangeeta Patidar
बाबाजी! उठेंगे मेरे हाथ दुआ के लिए, मगर बात सबकी होगी। करूँगी जो भी दरख़ास्त, उसमें शामिल फ़रियाद सबकी होगी। बरसाकर रहमतें अपनी, अब माफ़ कीजिए हमारी गुस्ताख़ियाँ, जहाँ में अमन चैन की ख़्वाहिश में शामिल मुराद सबकी होगी। दुनिया को सिखा दिये हैं आपने पल में ज़िन्दगी के सबक कई, एक से अनेक कोशिशें और नेकी की वो सिरात सबकी होगी। उम्मीद और हौसला देने के साथ खोल दी हैं आँखें भी हमारी, जो माने न आपके वचन फिर घटती हुई तादाद सबकी होगी। ऐसे हालात में यूँ बातों से ज़्यादा ये दुआएँ असर करेंगी 'धुन', साईं! आपकी रहमत से, फिर सँवरी हुई हयात सबकी होगी। सिरात- राह ॐ साईं राम 🌹🙏 अलाउद्दीन अंसारी जी की पंक्ति से प्रेरित.. स्वीकृति देने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया एवं आभार 😊😊😇😇 #omsairam #th
Divyanshu Pathak
सत्य के लिए लड़ना पड़ता है ! पल्ला झाड़ने से यह छुप जाता है। और देर से सामने आता है। जिसकी क़ीमत पूरी पीढ़ी को चुकानी पड़ती है। ...😊💐💐💐 बुराई इसलिए नहीं बढ़ गई कि बुरे लोग बहुत हो गए बल्कि बुराई इसीलिए प्रबल हुई क्योंकि अच्छे लोगों ने आँख मूंदना सुरु कर लिया !💐💐💐💐💐 😊☕🍧🌷🍉🍨👨 फ़ोटो चित्तौड़गढ़ राजस्थान के विजयस्तम्भ का है। : "रानी पद्मिनी" (सन 1301 - 1303 )ने अलाउद्दीन ख़िलजी से अपनी मान मर्यादा बचाने के लिए यहीं अपनी
अरफ़ान भोपाली
पीरों के पीर हज़रत मख़दूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर को मेरा सलाम बुला ले मुझको अपने दर पर ए सरताज़-ए पीर हमें भी अपनी दुआओं का हिस्सा कर दें रहम साबिर पिया रहम , बादशाहे पीर , पीरों के पीर मेरा सलाम क़बूल करें asslamu alaiqum warahmatulla wabarqathu पीरों के पीर हज़रत मख़दूम
Divyanshu Pathak
प्यार कभी कम नहीं करना कोई सितम कर लेना ! मरजाएँगे आशिक़ वरना इतना करम कर लेना ! :💕😔🍫🐒 मेरी सुबह और मेरी शाम आती है लेकर आपका नाम :💕👨 आपके ही क़दमो में सनम गुजरेगी मेरी उम्र तमाम हमको जुदा मत करना चाहे सर को क़लम कर देना !
अनिता कुमावत
आदि पुरूष को पहना आधुनिकता का चोला मात्र करने मनोरंजन रंगमंच का द्वार है खोला "आदि पुरुष " रामायण पर आधारित मूवी आज इसका ट्रेलर देखा, जो देखा वही लिख दिया सनातन संस्कृति पर फिल्म बनी है गर्व की बात है लेकिन कुछ कम
Anita Saini
मैं भारतीय नारी हूँ युद्ध का बिगुल बजाती हूँ राणा हुकुम के शान से अस्त्र शस्त्र सजाती हूँ। राजपूती आन बान शान का लोहा मनवाती हूँ कोमलांगी न समझो मुझे मैं जौहर दिखाती हूँ। मर्यादा पर जो आँच आए अग्नि में समा सकती हूँ वीरांगना हूँ झुक नहीं सकती गला कटवा सकती हूँ मैं भारतीय नारी हूँ युद्ध का बिगुल बजाती हूँ राणा हुकुम के शान से अस्त्र शस्त्र सजाती हूँ। राजपूती आन बान शान का लोहा मनवाती हूँ कोमलांगी न
Divyanshu Pathak
हम फ़ना हो जाएंगे अब तुम्हारे प्यार में। फूल जीवन में खिलें या हों गुजारें ख़ार में। बस रज़ा दिल की ये मेरे दूर जाएंगे नहीं! आईना ख़ुद का बनालेंगे हम दिलदार में । बस तवाक्कुल के सहारे मुद्दतें होतीं रहीं! वक्त से छूटी गई ये ज़िन्दगी भी ज़ार में। तो इलाही हुक़्म की तामील करनी चाहिए! पीर सूफ़ी संत सारे रीजा किए हैं प्यार में। वहदत-उल-शुहुद से परहेज़ मुझ्को है नहीं! वहदत-उल-वुजुद ही चाहूँ में अपने यार में। दिल इबादतगाह तेरा बन गया मेरा सनम! मैं दिवाना सुलह-ए-कुल चाहता संसार में। ख़ुश नसीबी सी लगे अब फ़कीरी में मुझे! फ़िक्र 'पंक्षी' को नहीं उनके ही इनक़ार में। हम फ़ना हो जाएंगे अब तुम्हारे प्यार में। फूल जीवन में खिलें या हों गुजारें ख़ार में। बस रज़ा दिल की ये मेरे दूर जाएंगे नहीं! आईना ख़ुद का बन
Divyanshu Pathak
"जैत्रसिंह" मेवाड़ के शौर्य का एक और पन्ना। (1213 - 1252 ई.) मेवाड़ की गद्दी पर जैत्रसिंह के बैठते ही जालौर में चौहान राज्य के संस्थापक कीर्तिपाल से गुहिल राजा सामन्तसिंह की पराजय का बदला लेने के लिए अपने समकालीन नाडौल के चौहान राजा उदयसिंह पर आक्रमण कर दिया।उदयसिंह ने अपने राज्य को बचाने के लिए अपनी पौत्री रुपादेवी का विवाह जैत्रसिंह के पुत्र तेजसिंह के साथ कर मेवाड़ और नाडौल में मैत्री स्थापित की।जैत्रसिंह ने मालवा के परमार राजा देवपाल को हराकर अपना अधिकार जमाया और गुजरात के सोलंकियों का मैत्री प्रस्ताव ठुकरा दिया।इधर दिल्ली में तुर्कों की जड़ें मज़बूत हो गईं तो "इल्तुतमिश" ने मेवाड़ को अधिकार में लेने के लिए आक्रमण कर दिया। जब अजमेर के चौहानों की शक्ति का पतन हो गया तो राजस्थान के विस्तृत भू-भाग पर तुर्को ने लूट ख़सूट शुरू कर दी थी।मेवाड़ अभी भी मोहम्मद गौरी और कु
Divyanshu Pathak
इतिहास युवाओं से जबतक भारत का छुपाया जाएगा राष्ट्र चेतना का तब कैसे , बिगुल बजाया जाएगा ! भ्रमित भ्रांति का लाभ उठाकर फ़िर से गौरी आएगा धोखे और गद्दारी का तब जाल बिछाया जाएगा ! विजय पताका फहराकर तब हम रण में मुस्काएंगे क्षमा दया का भाव हमें फ़िर साबित कायर कर जाएगा ! एक हार अपनी होते ही जमकर ढोल बजाएंगे कर महिमा मंडन गद्दारी का इतिहास बनाया जाएगा ! जयचंदों की कायरता को, ले मौज़ पढ़ाया जाएगा राष्ट्र चेतना का तब कैसे बिगुल बजाया जाएगा ! 🙏☕🍁🍂🍂🌞🌹🌺🌸🏵️🌼 इस देश के इतिहासकारों ने हमें अधिकतर उसी लडाई लडाई या युद्ध को बताया जिसमे हम कमजोर रहे ! बप्पा रावल और राणा सांगा जैसे योद्धाओ