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Sarvesh Kumar Maurya
amit Kumar kaushik
amit Kumar kaushik
नए युग कि आगाज को राम मंदिर बनाया है जो खाई थी हमने कसमें उनका नया आयाम दिलाना है तत्पर किसी प्रेरण के लिए नए स्रोत बनाना है राम मंदिर बनाया है उसका हर बोल हमको सरहदों के पार सुनाना है नए युग की आधारशिला रखने के लिए हम को नया आगाज़ बनाना है जो पहल समाज को समझ में आए ऐसा माहौल बनाना है हम को एसा विश्व बनाना है ©amit Kumar kaushik #राममंदिर_की_शांति #भगवानरामका_आशीर्वाद #समरसताकीराह #अखंडभारत_रामराज्य #श्रीराममंदिर_का_गर्व #एकता_में_शक्ति #सद्भावनाकीप्रेरणा #राममंदिर_स
Devesh Dixit
सहयोग (दोहे) नये छंद का आपसे, हमें मिला जो ज्ञान। दिया सहयोग आपने, पाया है वरदान।। करें समीक्षा ध्यान से, हो चाहे दिन-रैन। व्याकुल हम सब हो रहे, मिले न बिलकुल चैन।। बड़ी कृपा है आपकी, करते हो सहयोग। बिन शिक्षा के यूँ लगे, जैसे कोई रोग।। बिन मतलब के अब कहाँ, करते हैं सहयोग। होती सबको लालसा, हो नोटों का भोग।। आपस के सहयोग से, बनते हैं सब काम। कहती है सद्भावना, होता इससे नाम।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #सहयोग #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry सहयोग (दोहे) नये छंद का आपसे, हमें मिला जो ज्ञान। दिया सहयोग आपने, पाया है वरदान।। करें समी
Devesh Dixit
धड़कन (दोहे) प्रियसी तेरे रूप को, देख हुआ मदहोश। तू जब आए सामने, हो धड़कन में जोश।। तेरी भी धड़कन बढ़ें, आकर मेरे पास। हो बेकाबू तू रही, है मुझसे पर आस।। बाहों में तुझको लिया, धड़कन पकड़े जोर। कहती है सद्भावना, मन का नाचे मोर।। पल होता ये खुशनुमा, जब तू देती साथ। धड़कन ही सिमटी रहे, चूमूँ तेरा माथ।। लिया हाथ को हाथ में, ऊपर मेरा हाथ। धड़कन भी अब सम हुई, पूरा तेरा साथ।। सोचा ये सब ख्वाब में, कैसे करूँ बखान। धड़कन के टुकड़े हुए, सिमट गये अरमान।। ............................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #धड़कन #दोहे #nojotohindipoetry धड़कन (दोहे) प्रियसी तेरे रूप को, देख हुआ मदहोश। तू जब आए सामने, हो धड़कन में जोश।। तेरी भी धड़कन बढ़ें, आकर
Srinivas
जीवन गुलाब का बिस्तर नहीं है, बल्कि रंगों का कैनवास है। दर्द का प्रत्येक स्पर्श गहराई और विपरीतता जोड़ता है, खुशी का प्रत्येक स्पर्श प्रकाश और सद्भाव जोड़ता है। हम अपने स्वयं के जीवन के कलाकार हैं, और हमें साहस और शालीनता के साथ चित्रित करना चाहिए। ©Srinivas #Life जीवन गुलाब का बिस्तर नहीं है, बल्कि रंगों का कैनवास है। दर्द का प्रत्येक स्पर्श गहराई और विपरीतता जोड़ता है, खुशी का प्रत्येक स्पर्श प
Devesh Dixit
गलती (दोहे) गलती खुद जो मान ले, है वो ही बलवान। क्रोध-कष्ट सब दूर हों, बना रहे सम्मान।। गलती को जो थोपता, दूजों पर तब जान। बिना वजह मुश्किल बढ़े, घात ह्रदय पर मान।। गलती कर खुद को बड़ा, समझे जो इंसान। कहती है सद्भावना, कैसे बने महान।। निश्छल निर्मल जो मिले, समझो वह भगवान। बिन गलती के है कहाँ, अब कोई इंसान।। हो गलती जब जान के, करे नहीं स्वीकार। अकड़ दिखाता भी वही, बुरा करे व्यवहार।। .............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #गलती #दोहे #nojotohindi गलती (दोहे) गलती खुद जो मान ले, है वो ही बलवान। क्रोध-कष्ट सब दूर हों, बना रहे सम्मान।। गलती को जो थोपता, दूजों
Ravendra
Sameera Raghuwanshi
सत्य अहिंसा और सद्भाव, बापू के ध्यातव्य प्रस्ताव.! ©Sameera Raghuwanshi #gandhijayanti #सत्य #अहिंसा और #सद्भाव #Hindi #विचार
Devesh Dixit
कैसी है ये जिंदगी (दोहे) कैसी है ये जिंदगी, नहीं सका पहचान। औरों को मैं देखता, फिर भी हूँ अनजान।। भटक रहा किस राह में, नहीं मुझे संज्ञान। कैसी है ये जिंदगी, समझा दो भगवान।। विपदाओं से घिर रही, दिखे नहीं अब ठौर। कैसी है ये जिंदगी, करे न कोई गौर।। असमंजस में हैं फंँसे, बढ़े नहीं अब हाथ। कैसी है ये जिंदगी, मिले कहाँ अब साथ।। मुख दर्शक बन कर रहें, और दिखें लाचार। कहती है सद्भावना, ये कैसा व्यवहार।। रक्षक ही भक्षक बने, फिर भी हैं नादान। कैसी है ये जिंदगी, खत्म करें ईमान।। पल दो पल का ये सफर, क्यों करता उत्पात। कैसी है ये जिंदगी, समझ न आती बात।। ................................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कैसी_है_ये_ज़िन्दगी #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry कैसी है ये जिंदगी कैसी है ये जिंदगी, नहीं सका पहचान। औरों को मैं देखता, फिर भी