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साहित्य संजीवनी
White नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती है, कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती है. जो जुर्म करते है इतने बुरे नही होते, सजा न देकर अदालत बिगाड़ देती है। -डॉ. राहत इंदौरी ©साहित्य संजीवनी #election2024 #poem #Poetry
साहित्य संजीवनी
White शत्रु से मैं खुद निबटना जानता हूँ, मित्र से पर देव! तुम रक्षा करो। -रामधारी सिंह दिनकर ©साहित्य संजीवनी #Hope #Poetry #poem #Poet
Pragya Karn
बिछ चुकी है बिसाते फिर से , फिर नया अब एक खेल होगा, कुर्सी बदलेगी या बदला कोई चेहरा होगा , फिर नया अब एक खेल होगा .... सब के आगे अब हाथ जुड़ेंगे , गर्दन शीश भी अब डट के झुकेंगे , मुख से केवल अब फूल की बरसाते होंगी , वादों के फिर से नए मेले लगेगे, फिर नया अब एक खेल होगा ..... आंखों में नई आशाएँ होगी , नित नई अभिलाषाएं होगी , फिर नया अब एक खेल होगा .... आगे पीछे नारों की जयकार होगी , चमचों के सहारे होंगे , सबको अब ये एहसास होगा , हर व्यक्ति अब ख़ास होगा , फिर नया अब एक खेल होगा ... फिर आएगी परिणाम की घड़ी , फिर सबके बहाने होंगे , जनता फिर मुनहार करेगी , नेताओ के द्वार पड़ेगी , नेता जी के होंगे जब सबके सामने , जाने कितने उनके बहाने होंगे ,, फिर हमको मत का महत्व समझ आएगा , फिर नया अब एक खेल होगा ..... फिर नया अब एक खेल होगा ... ©Pragya Karn #nojotapp # chunav#poem #poetry
Swati kashyap
Autumn Know the difference between bondage and restrictions, live and let live ©Swati kashyap #Difference
Sarita Kumari Ravidas
Men walking on dark street राहगीर हूं चलता रहूंगा अपनी राह पर अड़चनें क्या रोकेंगी मुझे............ मुश्किल पहाड़ों पर भी रास्ता ढूंढा है मैंने होती नहीं रात किसी के दिया बुझा देने से तुम मुझे बाहर का रास्ता क्या दिखाओगे जलती अंगारों पर भी नंगें पैर चलकर खुद अपना सफ़र तय किया है मैंने। ©Sarita Kumari Ravidas #Emotional #Nojoto #poem #Poetry
Rishi Ranjan
*मानुष कितना पीछे है* *तृष्णा कितनी आगे है ।* *तृप्त करे सो ठहरी तृष्णा* *मनुज जा रहा भागे तृष्णा।।* *माया लिप्सा मन में बैठी* *माया मन ना जाने है।* *इक धन तोड़े रिश्ते को* *इक धन रिश्ता पहचाने है।।* *तृष्णा माया मिल करके* *यह मनवा भ्रमित नचाए है ।* *आग लगा दी उस पूंजी में* *जो पुरखे रहे बचाए है।।* *छोड़ - छाड़ के सब संबंधों को* *खोज रहे सब प्रचुर धनम् को ।* *कौन -कहां अब कहता है ?* *कि संतोषम है परम सुखम को।।* ©Rishi Ranjan #PhisaltaSamay #Poetry #poem
Shivam Jaiswal
।।अभिमान।। है श्रीमद् भगवत गीता का ज्ञान ये, ना कर तू तनिक भी अभिमान रे। तू लम्बी दौड़ का घोड़ा बन, ना की कुछ पलों का मेहमान रे।। तू हर हीन दीन की कर मदद, और दे हर निर्दयी को सबक। खूब ऊंचा अपना नाम कर, पर पहले खुद को इंसान कर।। ©Shivam Jaiswal #हिंदी #Attitude #poem #OneSeason #Poetry #positiveAttitude #poem