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HINDI SAHITYA SAGAR
साथ देकर जो तुम्हारा, हर ले मन का कष्ट सारा। सामने सबके जो बचाये, बाद मे गलती समझाए। दुर्गुणों से जो बचाये, सद्गुणों में जो लगाए। संकटों मे साथ देकर, दूर करता बोझिली है। दोस्तों से ज़िंदगी है, दोस्ती ज़िंदादिली है। ©HINDI SAHITYA SAGAR साथ देकर जो तुम्हारा, हर ले मन का कष्ट सारा। सामने सबके जो बचाये, बाद मे गलती समझाए। दुर्गुणों से जो बचाये, सद्गुणों में जो लगाए। संकटों
HINDI SAHITYA SAGAR
साथ देकर जो तुम्हारा, हर ले मन का कष्ट सारा। सामने सबके जो बचाये, बाद मे गलती समझाए। दुर्गुणों से जो बचाये, सद्गुणों में जो लगाए। संकटों मे साथ देकर, दूर करता बोझिली है। दोस्तों से ज़िंदगी है, दोस्ती ज़िंदादिली है। -शैलेन्द्र ©HINDI SAHITYA SAGAR #Friend #friendforever #Friendship साथ देकर जो तुम्हारा, हर ले मन का कष्ट सारा। सामने सबके जो बचाये, बाद मे गलती समझाए। दुर्गुणों से जो
HINDI SAHITYA SAGAR
कविता : दोस्तो से ज़िंदगी है दोस्ती में जां जो मांगे, छोड़कर न साथ भागे। नीति के बांधे जो धागे, रूढ़ियों को तोड़ त्यागे। दोस्त बेशक़ कम ही चुनना, आये जिनको तुमको गुनना। दोस्त हैं तो शान्त है मन, वरना मन मे खलबली है। दोस्तों से ज़िंदगी है दोस्ती ज़िंदादिली है। साथ देकर जो तुम्हारा, हर ले मन का कष्ट सारा। सामने सबके जो बचाये, बाद में गलती समझाए। दुर्गुणों से जो बचाये, सद्गुणों में जो लगाए। संकटों में साथ देकर दूर करता बोझिली है, दोस्तों से ज़िंदगी है दोस्ती ज़िंदादिली है। मित्रता रघु ने निभाई, ख़ुशहाली किष्किंधा पाई। था समान जो मित्र अरु भाई, लंका का अधिपति कहाई। मित्रता ही के लिए थे, कर्ण ने भी प्राण दिए थे। लाख दुःख भोगा सुदामा, मित्रता हर शय भली है। दोस्तों से ज़िंदगी है, दोस्ती ज़िंदादिली है। -शैलेन्द्र राजपूत ©HINDI SAHITYA SAGAR #FriendshipDay कविता : दोस्तो से ज़िंदगी है दोस्ती में जां जो मांगे, छोड़कर न साथ भागे। नीति के बांधे जो धागे, रूढ़ियों को तोड़ त्यागे। दोस्त
HINDI SAHITYA SAGAR
दोसà¥à¤¤à¥€ का à¤à¤• उसूल होता है साथ देकर जो तुम्हारा, हर ले मन का कष्ट सारा। सामने सबके जो बोले, पीठ पीछे भेद न खोले। दुर्गुणों से जो बचाये, सद्गुणों में जो लगाए। संकटों में साथ देकर दूर करता बोझिली है, दोस्तों से ज़िंदगी है दोस्ती ज़िंदादिली है। ©HINDI SAHITYA SAGAR #Friendship साथ देकर जो तुम्हारा, हर ले मन का कष्ट सारा। सामने सबके जो बोले, पीठ पीछे भेद न खोले। दुर्गुणों से जो बचाये, सद्गुणों में जो लग
Nisheeth pandey
#वो रात बेहया !!!! ----------- वो रात मानो ,बेहया हो गयी थी जब तुम बाल खोल कर घूर रहीं थी ... आधुनिकता में तुम्हारे शर्ट के खुले बटन नाभी के ऊपर से बाँधे शर्ट का कोर... मुझे रिझाती रहीं ... तुम्हारे होठों पर हँसी कातिल निगाहें ... वो रात बन गई थी शराब ... नहीं झेंप रहीं थी ...किसी भी बात पर अपनी अदां तुम ,मैं और वो रात कोई भी हो... मुहब्बत तन मन बेबाक सुनाती अपनी प्यास... दिल की चाहत प्यार बरसे मिटे प्यास.. इश्क़ के गीत...सरेराह गाती तुम बल्ब के घूरने पर... स्विच ऑन ऑफ करती तुम मानो 'आँख मारकर' लुभाती तुम... अपने पारदर्शी पोसाक में...इतना इतराती तुम . हाँ!बेहया सी दिख रहीं थी वो! आधुनिकता जो आज काम वासना ग्लाश में शराब शराब में घुलता बर्फ स्त्री पुरुष के हर गुण अपनाया...ये बेहयापन कैसे निभाया? दरवाज़ा बंद रहा...गैरों के लिए तो ,अपनों से भी... कभी अस्तिव बचाती थी ? धर्म पर अडिग थी हाँ! अब बेहया हो गयी थी आधुनिकता के तलब में वो! जो इरादों से अपनी आधुनिकता की पक्की थी सच में...वो रात ज़िद्दी थी... अब वो भीड़ में भी गम्भीर नही ...भीड़ से लड़ने की हुनर रखती अपनी हर मजबूरी से... हर-हाला लड़ी थी हर तूफ़ान जन्म देकर उड़ जाती जब उसके सर पे वोडका वाइन चढ़ता अपने ही ज़िस्म से चादर फाड़ देती ... ना सूरज की दरकार-ना चाँद का इंतज़ार चिटकती सड़कों पर नशे में झूमकर चलती है... हाँ! आधुनिकता में बेहया होती जा रहीं थी वो रात ! अपने हर ख्वाब को मुक़म्मल करने में हर पुरुष को ठोकर मार... खुद को बराबर जता रहीं ... स्त्रीत्व के चेहरे का नक़ाब नोंच कर पुरुष की तिलिस्म वो रच रहीं ... रात भर जागती-उघियाती , बियर के मगों से बतियाती है... कभी कुछ लिखती तो कभी संस्कार के कैनवास पर खुद को नंगी चित्रित करती है... हाँ! तुम बेहया हो गयी ! खुद को मॉडर्न बनाने में ढलती रात में , वाशना के चाशनी में मिठाई बनती रहीं... जिश्म का प्यार में रमी रहीं , रूह का गला घोंट दिया... आधुनिकता के बाज़ार में जिंदा रहेंगी मेरी साँसों के साथ वो रात और तुम , ये बात दोहराती रहेंगी ... आधुनिकता में परुष से बराबरी करना बराबरी में बेहया होने की जिद्द करना .... आधुनिकता की परिभाषा क्या था तुम्हारे लिये बस पुरुषों के दुर्गुणों का बराबरी करना .... हाँ वो रात बेहया हो गयी थी .... हाँ वो रात बेहया हो गयी थी .... #निशीथ ©Nisheeth pandey #WoRaat वो रात बेहया !!!! ----------- वो रात मानो बेहया हो गयी थी जब तुम बाल खोल कर घूर रहीं थी ... आधुनिकता में तुम्हारे शर्ट के खुले बटन
Kulbhushan Arora
सबसे आसान काम दुनिया का, मुफ़्त में सबको मशवरा देना😂😂 तो पेश है, मुफ़्त का मशवरा😂😂 *अपेक्षा......उपेक्षा* अपेक्षा रखो बस स्वयं से, वो भी इतनी सी, कि....
Kulbhushan Arora
सबसे आसान काम दुनिया का, मुफ़्त में सबको मशवरा देना 😂😂 लो पेश है मुफ्त दा मशवरा *अपेक्षा......उपेक्षा* अपेक्षा रखो बस स्वयं से, वो भी इतनी सी, कि.... किसी से अपेक्षा नहीं रखनी .... उपेक्षा....
Kulbhushan Arora
Another Questions and Answers session I had this session weeks ago with Ba Chau and wanted to post it in the morning but got delayed. P.S :- Ba Chau means Bade Papa (for those w
Kulbhushan Arora
*अपेक्षा......उपेक्षा* अपेक्षा रखो बस स्वयं से, वो भी इतनी सी, कि.... किसी से अपेक्षा नहीं रखनी .... उपेक्षा.... करनी चाहिए, नकारात्मक विचारों की, दुर्गुणों की, असभ्यता की, स्वयं को व्यवस्थित, संतुलित, रखने का मूल मंत्र है 🙏 *अपेक्षा......उपेक्षा* अपेक्षा रखो बस स्वयं से, वो भी इतनी सी, कि.... किसी से अपेक्षा नहीं रखनी .... उपेक्षा....
Anita Saini
में यदि पारंगत हो जाएँ,अभावों का न दुष्प्रभाव होगा और न प्रचुरता का प्रभाव होगा।जीवन में संतोष का भाव होगा दुःख पीड़ा से न विचलित होंगे न कोई मानसिक दवाब होगा। सन्तुष्टि होगी तो न तनाव होगा, अपने जीवन से लगाव होगा। दृढ़ इच्छाशक्ति से समस्त दुर्गुणों का मूलनाश करने की क्षमता का विकास होगा अन्यथा! लालसाएँ नृत्य करती रहेंगीं तथा जीवन में शांति का अभाव होगा। में यदि पारंगत हो जाएँ,अभावों का न दुष्प्रभाव होगा और न प्रचुरता का प्रभाव होगा।जीवन में संतोष का भाव होगा दुःख पीड़ा से न विचलित होंगे न