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Neel
भूल जाता हूँ मैं अक्सर, ज़िक्र करना बहुत कुछ, देखता हूँ बन्द ऑंखों से, चपलता प्रेम की। न कहीं कुछ है पराया, न कहीं कुछ अपना है, जो भी है मेरे लिए, बस ये तरलता प्रेम की।। 🍁🍁🍁 ©Neel तरलता प्रेम की 🍁
Sarita Shreyasi
अंतस की तरलता, जैसे शेष होती जाती है, स्नेह की अजस्र धारा, अवशेष होती जाती है। सहज प्रेम का सतत-प्रवाह, अवरुद्ध हो जाता है, जब स्वाभिमान स्नेह के, विरूद्ध हो जाता है। संबंधों की सरलता, क्षुब्ध हो जाती है, पारदर्शिता विलुप्त, संवेदनायें सुषुप्त हो जाती हैं। अंतस की तरलता, जैसे शेष होती जाती है, स्नेह की अजस्र धारा, अवशेष होती जाती है। सहज प्रेम का सतत-प्रवाह, अवरुद्ध हो जाता है, स्वाभिमान स्नेह
अशेष_शून्य
"मानसिक जड़ता" (शेष अनुशीर्षक में) हम जिस भी विचार से ,व्यक्ति से परिस्थिति से , विश्वास से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं उसे या तो बार बार दोहराना चाहते हैं; या उसे एक झटके
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
✨✨ एक नन्ही सी बूँद✨✨ एक नन्ही सी बूँद आकाश को छोड़ नही भूलती अपना वजूद नही खोती अपनी तरलता नही छोड़ती अपनी शीतलता। जानती है नन्ही सी बूँद अपनी क्षणिकता पर चुनती नही विवशता खोज लेती है उम्मीद ✨✨✨ अपना वजूद पहले खुद को खोकर फिर नदी या सागर होकर मृत्यु में भी ढूंढ लेती है युक्ति और जिन्दगी में खोज लेती है मुक्ति एक नन्ही सी बूँद ...... ©Ankur Mishra ✨✨ एक नन्ही सी बूँद✨✨ एक नन्ही सी बूँद आकाश को छोड़ नही भूलती अपना वजूद नही खोती अपनी तरलता नही छोड़ती अपनी शीतलता।
Dr Jayanti Pandey
अर्धनारीश्वर (पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़ें) पूर्ण नहीं है पुरुष बिना स्त्रीत्व के भाव की प्रवणता स्वभाव की शीतलता ममता की छांव अथक निभाव प्रेम के लिए सर्वस्व
Sarita Shreyasi
सो गयी-सी अधूरी मुलाकातों में, थोड़ा कहना-सुनना भी जरूरी है, अनवरत चल रही बातों में, कभी चुप रह जाना भी जरूरी है। नजदीकी वाले रिश्तों में, थोड़े फासले होना भी जरूरी है, बहुत नजदीक से जो देखी गयी, वो हर तसवीर अधूरी है। भावनाओं की तरलता में, कुछ चीजें घुल जाती हैं, लकीरें देख नहीं पाती, स्नेह,सीमायें भूल जाती हैं। दुनियादारी निभाने के लिए, हमारे बीच कुछ ठोस रहना भी जरूरी है, औरों से बनाए रखने के लिए, तुम्हारा तुम और मेरा मैं होना भी जरूरी है। सो गयी-सी अधूरी मुलाकातों में, थोड़ा कहना-सुनना भी जरूरी है, अनवरत चल रही बातों में, कभी चुप रह जाना भी जरूरी है। नजदीकी वाले रिश्तों में, थ
Rohit Thapliyal (Badhai Ho Chutti Ki प्यारी मुक्की 👊😇की 🙏)
सवाल- जंग में जीत किसकी होती है? जवाब- जंग में जीत 'तरलता' की होती है! जैसे- लोहे में जंग लग जाता है, तो उसको तेल या कोई तरल प्रदार्थ ही ठीक कर पाता है। धन्यवाद बधाई हो छुट्टी की by #NojotoQuote सवाल- जंग में जीत किसकी होती है? जवाब- जंग में जीत 'तरलता' की होती है! जैसे- लोहे में जंग लग जाता है, तो उसको तेल या कोई तरल प्रदार्थ ही ठी
Mahfuz nisar
रचना रचना क्या है,जब किसी ने मुझसे पूछा था, दिन और रात के मध्य जीवन को तलाश करती मेरी आँखों की चमक, चाँद और सूरज के मध्य की गोधूलि बेला में टिमटिमाती कुछ छोटी छोटी लौ, सागर और बर्फ के मध्य आधी तरलता के रूपक जो स्पर्श मात्र से पानी बन जाते हैं, मिट्टी की धूल और सने मुलायम कुछ आकार का स्वरूप, अग्नि और बरखा की अवरूप,जो अपनी यश को साझा करते हैं, यही कुछ मेरा जवाब था मेरा जिनमें केवल अनुभव की ओत है, किंतु यही रचना है और इसका अवशेष। ✍ महफूज़ रचना रचना क्या है,जब किसी ने मुझसे पूछा था, दिन और रात के मध्य जीवन को तलाश करती मेरी आँखों की चमक, चाँद और सूरज के मध्य की गोधूलि बेला में
Alok Vishwakarma "आर्ष"
कभी दर्द की आवाज बन, कभी हँसी का आगाज़ बन कभी प्रेमिका का राज़ बन, कभी कवि हृदय का ताज बन कभी क़शमक़श का नाज़ बन, कभी गीत मेरा साज़ बन कभी एक चिरन्तन काज बन, कभी जीवन पथ का रिवाज़ बन कभी पुतलियों का फ़र्ज़ बन, कभी चौखट पे सजता कर्ज़ बन कभी शायरी का अर्ज़ बन, कभी चोट दिल का मर्ज़ बन दिलदार नूरानी तेरी नज़रों से बहता नीर हूँ दूरियों से हन्त आहत की अकथ तसवीर हूँ धार धरती प्रेम की गंगा पलक का क्षीर हूँ बेध बन्धन बुद्ध कर दूँ अश्रु अंकुर तीर हूँ "मेरे आँसू" आँसू की प्रेमल बूँदों की कहानी को कविता के माध्यम से मिली एक अनूठी प्रस्तुति... मेरा ऐसा विश्वास है कि पाठकगण इस कविता के हर श
अशेष_शून्य
एक निश्चित समय अंतराल के बाद हो रहे रक्त स्राव और उस स्राव की "तरलता से सींचता "जीवन" मैं तो अब भी यही कहूंगी कि.... सीखना चाहिए वैज्ञानिकों को "जिजीविषा" की दृढ़ता " किसी स्त्री से इस (प्रकृति से) तुम्हें ..मुझसे .....!! -Anjali Rai तुम हमेशा कहते हो की स्त्रियां "तरल" सी होती हैं जैसे........तुम कितनी "सहजता" से ढल जाती हो अपने किसी भी रूप में ! फ़िर मैं तुमसे यही कह